दिल्ली में 9 साल की बच्ची से हैवानियत की आशंका! बिना कपड़ों के सूटकेस में पैक मिली बॉडी...पॉक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज, आखिर कब हमारे समाज में महफूज रह पाएंगी बेटियां?

दिल्ली में 9 साल की बच्ची के साथ दरिंदगी का मामला सामने आया है। दिल्ली के नेहरू विहार इलाके में एक बच्ची के अपहरण, रेप और हत्या के मामले ने सभी को झकझोर कर रख दिया है। पॉस्को एक्ट के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है और जांच जारी है।  
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दिल्ली के नेहरू विहार इलाके में इंसानियत को शर्मसार करने वाली एक घटना सामने आई है। यहां एक 9 साल की बच्ची की बॉडी सूटकेस में मिली है। बताया जा रहा है कि बच्ची के शरीर पर कपड़े नहीं थे, शरीर पर कई जगह चोट के निशान थे और खून बह रहा था। बच्ची को बेहोशी की हालत में अस्पताल ले जाने पर पता चला कि बच्ची की पहले ही मौत हो चुकी है। पीड़ित परिवार की शिकायत के बाद पॉस्को एक्ट के तहत केस दर्ज कर लिया गया है। चलिए, आपको बताते हैं क्या है पूरा मामला।

दिल्ली में 9 साल की बच्ची संग हैवानियत का मामला आया सामने

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दिल्ली के नेहरू विहार इलाके में शनिवार रात हुई एक घटना ने सभी को चौंका दिया है। यहां एक सूटकेस में गंभीर रूप से घायल बच्ची मिली, जो अर्धनग्न हालत में थी। जब बच्ची को अस्पताल ले जाया गया, तो रास्ते में ही उसके दम तोड़ दिया। बच्ची की उम्र लगभग 9 साल बताई जा रही है और पुलिस को रेप के बाद हत्या की आशंका है। इस मामले में बच्ची के पिता ने बताया कि बच्ची शनिवार रात दादी के घर बर्फ देने गई थी और कुछ देर तक जब वह घर वापिस नहीं आई और दादी के यहां भी नहीं पहुंची, तो सभी घबरा गए। गली में खेल रहे बच्चों ने बताया कि उन्होंने उसे एक फ्लैट के अंदर जाते देखा है। जब बच्ची के परिजन वहां पहुंचे, तो उन्होंने देखा कि फ्लैट पर ताला है। ताला तोड़कर अंदर जाने पर सूटकेस में बच्ची मिली। सूटकेस में से खून बह रहा था, बच्ची के शरीर पर कपड़े नहीं थे और चोट के निशान थे। बच्ची के परिवार का आरोप है कि कुछ स्थानीय लड़कों ने ही नशे की हालत में इस घटना को अंजाम दिया है। मामले का मुख्य आरोपी अभी फरार है।

पॉस्को एक्ट के तहत दर्ज हुआ मामला

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बता दें कि पुलिस ने प्रिवेंशन ऑफ चिल्ड्रन फ्रॉम सेक्शुअल ऑफेंसेज (POCSO) एक्ट के तहत मामला दर्ज कर लिया है। यह एक्ट साल 2012 में लागू हुआ था और इसे बच्चों के साथ होने वाले सेक्शुअल हैरेसमेंट को रोकने के लिए बनाया गया था। इसके तहत 12 साल से कम उम्र के बच्चों के साथ रेप का आरोप साबित होने पर दोषी को फांसी की सजा दी जाती है।

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आखिर कब हमारे समाज में महूफज महसूस कर पाएंगी बेटियां?

Challenges of women safety in India
इस तरह की घटनाएं हमारे मन में एक ही सवाल खड़ा करती हैं कि आखिर कब हमारे समाज में बेटियां महफूज महसूस कर पाएंगी? कब माता-पिता को पड़ोस में अपनी बच्ची को भेजने में डर नहीं लगेगा? कब मासूम बचपन खुलकर मुस्कुरा पाएगा? कब लड़कियां घर और बाहर खुलकर अपनी जिंदगी जी पाएंगी? अफसोस...ऐसे सवाल तो कई हैं, लेकिन इनके जवाब दूर-दूर तक नजर नहीं आते हैं।

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यह काफी दुखद है कि हर महिला के दिल में सेक्शुअल हैरेसमेंट की कोई न कोई कहानी दबी है और हर रोज न जाने कितनी बेटियां इस तरह दरिंदगी का शिकार हो रही हैं और शायद लड़की होने का सम्मान नहीं बल्कि सजा पा रही हैं। इस तरह के मामलों में लड़कियों की गलतियां निकालने, मोमबत्ती जलाकर रोष प्रकट करने या महिला सम्मान के नारे लगाने से सूरत नहीं बदलेगी। जब तक सोच नहीं बदलेगी, तब तक हालात भी नहीं बदलेंगे। आपके विचार हमें फेसबुक पर कमेंट करके जरूर बताएं। ऐसे ही खबरों और मुद्दों के बारे में जानने के लिए पढ़ते रहें हरजिंदगी।
Image Credit: Freepik

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