हिंदू धर्म में नवरात्रि के पर्व का विशेष महत्व बताया गया है। इस दौरान माता दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों का पूजन किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि नवरात्रि के दौरान कुछ विशेष मन्त्रों से किया गया पूजन और दुर्गा सप्तशती का पाठ व्यक्ति के जीवन में सकारात्मकता ला सकता है।
वहीं यदि आप इस दौरान दुर्गा सप्तशती में मौजूद कवच का पाठ करती हैं तो आपको कई रोगों और द्वेषों से मुक्ति मिल सकती है। माता के भक्त देवी दुर्गा की शक्ति में विश्वास करते हैं और कई ऐसे दुर्गा मंत्र हैं जिन्हें सौभाग्य, अच्छे स्वास्थ्य और मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए उपयोगी माना जाता है।
उन्हीं में से एक सबसे शक्तिशाली मंत्र है जिसे देवी दुर्गा कवच के नाम से जाना जाता है। यदि आप इसका पाठ नवरात्रि के नौ दिनों में करते हैं तो आपको सभी परेशानियों से मुक्ति मिल सकती है। आइए ज्योतिषाचार्य डॉ आरती दहिया जी से जानें कि चैत्र नवरात्रि के दौरान दुर्गा कवच का पाठ किस तरह से फलदायी हो सकता है।
दुर्गा कवच हमारे पुराणों में से एक सबसे प्रचलित पुराण जिसे मार्कंडेय पुराण कहा जाता है उसका ही हिस्सा है। यह दुर्गा सप्तशती के प्रथम अध्याय से पहले मिलता है। पहली बार दुर्गा कवच भगवान ब्रह्मा जी ने ऋषि मार्कंडेय को सुनाया और इसमें 47 श्लोक शामिल हैं। यदि कोई व्यक्ति नियमित इसका पाठ करके घर से बाहर निकलता है तो उसे किसी भी जगह हार का सामना नहीं करना पड़ता है। इस पाठ से माता दुर्गा का आशीर्वाद मिलता है।
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यदि आप चैत्र नवरात्रि के दौरान कवच का पाठ नियमित रूप से करेंगी तो आपकी सभी नकारात्मक शक्तियों से रक्षा हो सकती है। कगार आप किसी महत्वपूर्ण काम के लिए बाहर निकल रहे हैं तो इसका पाठ जरूर करें।
इसमें मौजूद श्लोकों में किसी भी नकारात्मक शक्ति को सकारात्मकता में बदलने की संपूर्ण ताकत होती है। देवी कवच में माता दुर्गा के भिन्न नामों के बारे में विस्तार से बताया गया है, जो शरीर के विभिन्न अंगों की रक्षा करते हैं। ज्योतिषाचार्य आरती दहिया जी बताती हैं कि दुर्गा कवच का पाठ करने से आपको धन सौभाग्य की भी प्राप्ति होती है जो आपके लिए बहुत ही अच्छा माना जाता है।
दुर्गा माता को सभी रचनाओं की जननी माना जाता है। विभिन्न श्लोकों या मंत्रों में उनके नामों का जाप करना उनके भक्तों के लिए हमेशा से एक आशीर्वाद साबित हुआ है। दुर्गा, पार्वती, काली, प्रत्यंगिरा, आदि सभी एक ही ऊर्जा की अभिव्यक्ति मानी जाती हैं जो हिंदू शास्त्रों में आदिशक्ति के रूप में जानी जाने वाली सभी रचनाओं का स्रोत हैं।
देवी कवच उन मंत्रों को संदर्भित करता है जो भक्त को बुरी शक्तियों से बचाने के लिए उसके चारों ओर सुरक्षा का एक घेरा बनाते हैं।
नवरात्रि के दौरान, सूर्य भूमध्य रेखा के केंद्र में होता है और हम देखते हैं कि दिन और रात की अवधि समान होती है, उनमें से कोई भी एक-दूसरे पर हावी नहीं होता है जैसा कि हम दक्षिणायन और उत्तरायण के दौरान देखते हैं जहां मन या तो अत्यंत स्थिति में होता है या अत्यंत नकारात्मक होता है।
इसलिए, इस अवधि के दौरान हमारा मन पूरी तरह से तटस्थ रहता है और जब हम ध्यान करते हुए देवी कवच का जाप करते हैं, तो हमें इसके लंबे समय तक चलने वाले सकारात्मक परिणाम मिलते हैं।
दुर्गा कवच सभी रोगो से लड़ने की शक्ति प्रदान करता है। दुर्गा कवच का पाठ आपके जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ाने में सहायक होता है। दुर्गा कवच का पाठ करने से आपको धन सौभाग्य की भी प्राप्ति होती है जो आपके लिए बहुत ही अच्छा माना जाता है। दुर्गा कवच का पाठ करने से आपको कोर्ट कचहरी से जुड़े मामलों से भी राहत मिल सकती है।
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हमारे बाहरी और आंतरिक अंगों की भी रक्षा दुर्गा कवच ही करता है जिससे हम हर तरह से सुरक्षित रह सकते हैं। इसलिए आपको इसका पाठ नवरात्रि के दौरान जरूर करना चाहिए।
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