गर्मियों में कई लोग अपने घर में तोरई की बेल लगाते हैं, लेकिन अक्सर ऐसा होता है कि बेल पर ढेर सारे हरे-भरे पत्ते तो निकल आते हैं, पर तोरई की उपज नहीं होती है। गार्डनिंग का शौक रखने वाली महिलाओं को यह देख बहुत अफसोस होता है। साथ ही, ताजी-ताजी सब्जी खाने के लिए भी आपको पौधे को उचित पोषक तत्व देना बेहद जरूरी होता है। अगर आपकी तोरई की बेल के साथ भी कुछ ऐसी ही समस्या है और आप सोच रही हैं कि आखिर हरा-भरा दिखने वाले इस बेल में तोरई के फूल क्यों नहीं खिल रहे हैं, तो आपको चिंता करने की जरूरत नहीं है। इसका बेहद आसान और किफायती समाधान हम आपको बताने वाले हैं। मार्केट वाली केमिकल युक्त खाद डालने की भी जरूरत नहीं पड़ेगी। जड़ के पास आपको बस एक छोटी सी चीज डालनी है, जो आपके घर में ही मौजूद हो सकती है। इसके बाद, आप देखेंगे कि हफ्ते भर में आपकी बेल पर ताजी तोरई लगने लगी है।
क्यों नहीं लगती तोरई की बेल पर सब्जी?
तोरई की बेल पर सिर्फ पत्ते आना और फल न लगने के कई कारण हो सकते हैं, लेकिन सबसे आम कारण पोषक तत्वों की कमी है। खासकर जब पौधे को पोटेशियम और फास्फोरस जैसे आवश्यक मैक्रोन्यूट्रिएंट्स पर्याप्त मात्रा में नहीं मिलते, तो वह पत्तियां तो करता है, लेकिन फल और फूल नहीं पैदा कर पाता है। इसके पीछे मिट्टी की गुणवत्ता, धूप की कमी, या सही परागण न होना भी अन्य कारण हो सकते हैं।
तोरई की बेल के जड़ के पास डालें यह एक चीज
तोरई की बेल के जड़ के पास सरसों की खली डाल सकते हैं। यह पौधों के लिए एक उत्कृष्ट जैविक खाद है। इसमें नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटेशियम जैसे प्रमुख पोषक तत्व भरपूर मात्रा में होते हैं, जो पौधों की समग्र वृद्धि, फूलों और फलों के विकास के लिए आवश्यक होते हैं। पोटेशियम किसी पौधे में फूलों और फलों के बनने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। वहीं, जड़ों के विकास और फूलों की संख्या बढ़ाने में फास्फोरस मदद करता है। बात अगर नाइट्रोजन से होने वाले लाभ की बात करें तो यह पत्तियों की वृद्धि और हरे रंग के लिए जिम्मेदार है। इसके अलावा, यह मिट्टी की संरचना में सुधार करती है और सूक्ष्मजीवों की गतिविधियों को बढ़ावा देती है।
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सरसों की खली का उपयोग कैसे करें?
सरसों की खली का उपयोग दो तरीकों से किया जा सकता है।
सीधे मिट्टी में मिलाकर ऐसे करें यूज
- तोरई की बेल की जड़ के आसपास 20-30 ग्राम (लगभग 2-3 मुट्ठी) सूखी सरसों की खली लें।
- बेल की जड़ से थोड़ी दूर लगभग 4-6 इंच ऊपर एक हल्की सी नाली या गोला बनाएं। इस नाली में खली को फैला दें।
- खली को मिट्टी की एक पतली परत से ढक दें ताकि वह उड़ न जाए और कीड़े आकर्षित न हों।
- खली डालने के तुरंत बाद पर्याप्त पानी दें, ताकि पोषक तत्व धीरे-धीरे मिट्टी में घुल सकें।तरल खाद के रूप में
- लगभग 100 ग्राम सरसों की खली को 1 लीटर पानी में भिगो दें। इसे किसी प्लास्टिक या मिट्टी के बर्तन में रखें।धातु के बर्तन में रखने से बचें।
- इसे 3-5 दिनों के लिए किसी ठंडी और छायादार जगह पर किण्वित होने दें। हर दिन एक बार इसे लकड़ी के डंडे से हिलाते रहें। आपको इसमें बुलबुले उठते दिखेंगे और एक हल्की गंध आएगी, जिसका मतलब है कि किण्वन की प्रक्रिया हो रही है।
- 3-5 दिनों के बाद, यह घोल गाढ़ा हो जाएगा। इसे सीधे उपयोग न करें, बल्कि 1 भाग किण्वित घोल को 10 भाग पानी में मिलाकर पतला करें।
- इस पतले घोल को तोरई की बेल की जड़ के पास मिट्टी में डालें। ध्यान रहे, पत्तों पर सीधे न डालें।
- यह तरल खाद हर 10-15 दिन में एक बार इस्तेमाल की जा सकती है।
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