बेहतरीन शाम का सब मजा ले रहे थे। जाने-माने बैंड कोल्डप्ले का कॉन्सर्ट था। फिर अचानकर म्यूजिक से भरे माहौल में एक कॉर्पोरेट बम फूटा- एस्ट्रोनॉमर के सीईओ एंडी बायरन और एचआर हेड क्रिस्टिन कैबोट अचानक किस कैम में नजर आए...यह मुद्दा नहीं है, बल्कि वह जिस तरह रोमांस में डूबे हुए थे, मुद्दा वो बन गया। उनका अफेयर कैमरे में कैद हो गया। नतीजा? लाखों लोगों ने न केवल गाने सुने, बल्कि रिश्तों, नैतिकता और ऑफिस रोमांस पर बहस छेड़ दी।
कंपनी ने सीईओ को लंबी छुट्टी पर भेज दिया और एचआर मैडम ने भी कुछ दिन आराम करना बेहतर समझा। इस सबके बीच लोगों की नजरें टिकी हैं एंडी बायरन की वाइफ पर... पति की अडल्टरी पर उनका रिएक्शन या स्टेटमेंट नहीं आया, लेकिन ग्लोबल स्टेज तक बहस छिड़ गई।
अब सवाल भारत में भी होने लगे हैं और लोग पूछ रहे हैं कि क्या अफेयर अब सिर्फ एक निजी मामला है? क्या शादी के बाहर संबंध बनाना 'गलती नहीं, आजादी' हो गया है?
भारत में भी कई लोग पूछ रहे हैं कि अगर ऐसा हमारे साथ होता तो क्या कानून हमें सुरक्षा देता? एक दौर था जब शादीशुदा महिला से संबंध बनाने पर पुरुष को सजा मिलती थी। लेकिन 2018 में भारत की सुप्रीम कोर्ट ने इस कानून को असंवैधानिक करार दे दिया था। तो अब क्या अफेयर जुर्म नहीं है? क्या शादी के बाहर रिश्ता कानूनी रूप से माफ है?
चलिए इस लेख में हम विस्तार से जानें कि अडल्टरी या इंफिडिलिटी या व्याभिचार को लेकर हमारे देश में क्या कानून बनाए गए हैं?
2018 से पहले क्या था भारत में Adultery Law?
- भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 497 के तहत, अगर कोई पुरुष किसी शादीशुदा महिला के साथ उसकी सहमति से शारीरिक संबंध बनाता था और वह महिला अपने पति की अनुमति के बिना ऐसा करती थी, तो वह पुरुष व्यभिचार का दोषी माना जाता था।
- आपको बता दें कि कानून के मुताबिक, तब केवल पुरुष को दोषी ठहराया जाता था, महिला को नहीं।
- अफेयर के मामले में केवल पति शिकायत कर सकता था, पत्नी को यह अधिकार नहीं था। इसमें 5 साल तक की कैद या जुर्माना या दोनों का प्रावधान था।
साल 2018 में सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले ने बदली परिभाषा
- 27 सितंबर 2018 को सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ ने IPC की धारा 497 को असंवैधानिक घोषित कर दिया था।
- कोर्ट का तर्क था कि महिला कोई वस्तु नहीं है। कानून महिलाओं को पुरुषों की संपत्ति की तरह देखता है, जो संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) और अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता) का उल्लंघन है।
- 2018 में बने कानून के मुताबिक अगर कोई शादीशुदा पुरुष अफेयर करता था, तो उसकी पत्नी को कोई अधिकार नहीं था कि वह मुकदमा कर सके, इसे कोर्ट ने आगे चलकर जेंडर बायस बताया।
- इतना ही नहीं, बेंच ने तर्क देते हुए कहा था कि विवाह के बाहर संबंध नैतिक रूप से गलत हो सकते हैं, लेकिन उसे आपराधिक बना देना संविधान के खिलाफ है।
अपराध नहीं, लेकिन अब भी गंभीर हैं इसके कानूनी नतीजे-
IPC से अडल्टरी को हटाने का मतलब यह नहीं कि यह रिश्तों में अहमियत नहीं रखता। विवाहेतर संबंध अब भी हिंदू मैरिज एक्ट (1955) और स्पेशल मैरिज एक्ट (1954) के तहत तलाक का कानूनी आधार है।
अगर पति/पत्नी के अफेयर के बारे में पता चलता है और सभी सबूत पेश किए जाते हैं, तो दूसरा पक्ष कोर्ट से तत्काल तलाक मांग सकता है। बस तलाक के लिए कोर्ट को स्पष्ट, ठोस सबूत चाहिए होंगे जैसे- चैट रिकॉर्ड्स, कॉल लॉग्स, गवाह, आदि।
CrPC की धारा 125(4) के अनुसार, अगर पत्नी के एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर के बारे में पता चलता है, तो वह गुजारा भत्ता की हकदार नहीं होगी।
यानि यदि पति ये साबित कर दे कि पत्नी का किसी और के साथ अफेयर है या वह पति को छोड़कर किसी और के साथ रह रही है, तो पत्नी को मेंटेनेंस से वंचित किया जा सकता है।
इसका ताजा उदाहरण मई 2025 का है। यह मामला छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में देखने को मिला, जहां पति ने पत्नी के अफेयर के स्क्रीनशॉट और कॉल रिकॉर्डिंग कोर्ट में पेश किए थे।
अदालत ने यह स्वीकार करते हुए कि पत्नी पति को छोड़कर प्रेमी के साथ रह रही थी, तलाक मंजूर किया और पत्नी की गुजारा भत्ता की मांग खारिज कर दी।
बच्चों की कस्टडी पर क्या होता है असर?
कानून बच्चों के हित में फैसला करता है, न कि माता-पिता के चाल-चलन पर। लेकिन अगर अफेयर का असर बच्चे की परवरिश, मानसिक स्थिति या सुरक्षा पर पड़ता है, तो कोर्ट इसे गंभीरता से देखता है।
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आर्म्ड फोर्सेज में अफेयर अब भी 'दंडनीय'
एक तरफ जहां आम नागरिकों के लिए अफेयर अपराध नहीं रहा हो, लेकिन आर्म्ड फोर्सेज में ऐसा नहीं है। भारतीय सेना, वायुसेना और नौसेना में इसे आज भी अनुशासनहीन आचरण माना जाता है।
आर्मी एक्ट और एयर फोर्स एक्ट के तहत यदि कोई ऑफिसर किसी साथी के पति/पत्नी से संबंध रखता है, तो उस पर विभागीय कार्रवाई हो सकती है और उसे सेवा से बर्खास्त किया जा सकता है।
भारत में शादी के बाद अफेयर कानूनन अपराध नहीं है, लेकिन तलाक, बच्चे की कस्टडी और एलिमनी जैसे मामलों में इसका बड़ा असर होता है। कानूनी रूप से आप किसी को जेल नहीं भिजवा सकते, लेकिन रिश्तों की नींव इससे हिल सकती है।
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