रामू काका का खेत कोई खरीदना नहीं चाहता था, हर बार वह इसे बेचने के लिए ग्राहक तो ढूंढते थे, लेकिन कुछ ऐसा हो जाता था कि अगले ही दिन वह इसके लिए मना कर देते थे। रामू काका की उम्र 90 साल हो गई थी, वह बिना डंडे के चल भी नहीं पाते थे, उनकी पत्नी कमला भी ज्यादा दिनों तक नहीं जीने वाली थी। रामू काका ने सोचा था कि वह जब तक जिंदा हैं तब तक ही खेत को बेचकर पैसे अपने पड़ोस में रहने वाले दोस्त को दे देंगे। अगर उन्होंने खेत नहीं बेचा, तो उनके जाने के बाद कोई और इस पर हक जता लेगा। रामू काका पिछले 5 सालों से कोशिश कर रहे थे लेकिन खेत बिक नहीं पा रहा था। एक दिन वह सामान लेने दुकान गए थे, तभी उन्होंने कुछ लोगों को बात करते सुना...अरे चाचा रामू काका का खेत बिक गया क्या? पिछले 5 सालों से बेचारे उसे बेचने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन खेत बिक ही नहीं रहा। मुझे नहीं लगता कोई उस खेत को खरीदने वाला है।
मनोज ने कहा - क्यों चाचा, ऐसा क्या है उस खेत में, खेत की जमीन उपजाऊ नहीं है क्या। चाचा - अरे नहीं नहीं, रामू काका की जमीन तो सबसे ज्यादा उपजाऊ है, उन्होंने अपनी जमीन का बहुत अच्छे से ख्याल रखा है। मनोज - तो फिर क्यों कोई इसे खरीदना नहीं चाह रहा?
चाचा - अरे तुम नहीं जानते क्या, उसी खेत में उनकी 20 साल की जवान बेटी की जली हुई लाश मिली थी...
मनोज - क्या उनकी बेटी भी थी, मैंने तो कभी उनकी बेटी के बारे में नहीं सुना, उनकी बेटी भी थी क्या, उसको क्या हुआ, जली हुई लाश कैसे...
चाचा - अरे उसने उसी खेत में खुद को आग लगा ली थी, आखिर क्या वजह थी ये किसी को पता नहीं लगा, लेकिन उस दिन उनका पूरा खेत भी जल गया था।
बेटी बहुत तेज और समझदार थी, रात भर अकेले वही खेत में रहती थी। उनकी बेटी इतनी तेज और हिम्मत वाली कि कोई उसे आंख उठाकर भी नहीं देख सकता था, लेकिन पता नहीं कैसे.. एक रात वह खेत में थी.... तभी रामू काका दुकान पर पहुंच गए। काका को देखकर मनोज घबराते हुए, कांपती हुई आवाज में बोला
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अरे काका नमस्ते... हम तो बस... ऐसे ही...रामू काका ने कुछ नहीं कहा और दुकानदार से कहा, दुनिया भर की बातों में ध्यान देने की बजाय ग्राहकों पर ध्यान दोगे तो बिक्री अच्छी होगी, 1 किलो चीनी दो। घबराते हुए चाचा बोले - अरे हां हां रामू, नाराज क्यों हो रहे हो, अभी लो। चाचा ने तुरंत रामू काका के लिए 1 किलो चीनी तोली और उन्हें पकड़ा दी।
रामू काका भी चीनी हाथ में पकड़े और बिना मुड़े, किसी को कुछ कहे बिना सीधा अपने घर की तरफ निकल दिए। ऐसा लग रहा था कि मनोज और चाचा ने मिलकर एक बार फिर रामू काका का दुख ताजा कर दिया था। वह चीनी लिए घर जा रहे थे, लेकिन सीधा खेत की तरफ मुड़ गए। खेत में हरी भरी सरसों उगी थी, उनकी बेटी पूजा को सरसों बहुत पसंद थी। क्योंकि सरसों की वजह से खेत बहुत सुंदर लगता था। वह खेत में जाकर सरसों के बिल्कुल बीचों-बीच जाकर बैठ गए।
वह अपनी बेटी को याद करके फूट-फूट कर रो रहे थे। धीरे-धीरे शाम के 6 बज गए और अंधेरा होने लगा था। रामू काका का आज घर जाने का मन नहीं हो रहा था। उनका दिल पूरी तरह से टूट गया था। ऐसा लग रहा था कि इतनी उम्र उन्होंने अपनी बेटी के बिना काट तो ली थी, लेकिन अब और जीने का मन नहीं है। तभी खेत में से उन्हें कुछ आवाज आई। उन्होंने चारों तरफ सिर घुमाया, उन्हें कोई नजर नहीं आया। लेकिन ऐसा लग रहा था जैसे कोई रो रहा है। इतना समय बीत गया था लेकिन वह कभी अंधेरे में अपने खेत में नहीं गए थे। उनकी बेटी के जाने के बाद वह रात में कभी खेत में समय नहीं बिताते थे।
उन्हें कोई नजर नहीं आया, तभी दूर से उन्होंने किसी आदमी को भागता हुआ देखा। रामू काका ने आवाज लगाई, अरे कौन है वहां, कौन भाग रहा है, रुको जरा मैं भी साथ चलूंगा। ये गांव का ही रहने वाला सुरेंद्र था। सुरेंद्र ने कहा - अरे रामू काका ये आप हैं क्या, मैं तो घबरा ही गया था। रामू काका - इसमें इतना घबराने वाली क्या बात है, बच्चे हो क्या जो तुम्हें अंधेरे में खेत में डर लग रहा है।
सुरेंद्र - अरे नहीं नहीं, रात में 8 बजे के बाद इस तरफ खेत में कोई नहीं रहता है।
रामू काका - क्यों, क्या दिक्कत है, इतना क्या डर रहे हो तुम लोग।
सुरेंद्र - अरे काका आप नहीं जानते क्या, यहां रात में किसी के रोने की आवाज सुनाई देती है। ऐसे लगता है जैसे कोई लड़की बहुत तेज-तेज रो रही है। लोगों का कहना है कि यह आवाज आपके खेत से आती है।
सुरेंद्र बोलने में बहुत मुंहफट था, उसने बिना कुछ सोचे-समझे बहुत बड़ी बात बोल दी थी। उसे समझ आया और फौरन शांत हो गया।
रामू काका - बोलो चुप क्यों हो गए? बोलो क्या बोल रहे थे, मेरे खेत से क्या...
रामू काका से गांव वाले बहुत प्यार करते थे, इतने साल हो गए थे, किसी ने रामू काका को यह बात नहीं बताई थी, लेकिन सुरेंद्र ने नादानी से गलती से बोल दिया था।
सुरेंद्र - नहीं काका कुछ नहीं, मैं तो ऐसे ही बोलता रहता हूं, आप तो जानते ही हैं।
रामू काका - ज्यादा होशियार मत बनो, जो भी बात है मुझे बताओ, मैं किसी को कुछ नहीं बताऊंगा, तुम परेशान मत हो। सुरेंद्र सिर झुकाकर खड़ा था, उसे समझ नहीं आ रहा था क्योंकि काका अब बात जाने बिना उसे जाने नहीं देंगे। रामू काका ने फिर कहा, इस बार उन्होंने गुस्से में कहा - अरे बोलोगे, मुंह में जंग लग गया क्या अचानक, बोलो जो बात है। सुरेंद्र ने धीमी आवाज में कहा - काका यहां रात 8 बजे के बाद कोई नहीं रहता। लोगों का मानना है कि जब से आपकी बेटी की मौत हुई है, तब से यहां किसी लड़की की रोने की आवाज सुनाई देती है।
लोगों का मानना है कि आपकी बेटी की आत्मा अभी भी यहीं है। सुरेंद्र की बात सुनकर, रामू काका हैरान रह गए थे। रामू काका की सांसें तेज हो गईं थी। उन्होंने कांपती आवाज में कहा, क्या सच में यहां कोई आवाज सुनाई देती है, आप लोगों को कैसे लगता है कि वह मेरी पूजा ही होगी। लेकिन सुरेंद्र डरकर पीछे हट गया था, उसने बोला- काका, रहने दो, रात बहुत हो गई है। हमें यहां नहीं रुकना चाहिए, चलो घर चलते हैं। हालांकि, अब काका वहां से नहीं जाना चाहते थे। उन्होंने सरसों के बीचों-बीच जाकर अपनी बेटी की आवाज सुनने की कोशिश की।
इस समय खेत में चारों ओर अजीब-सी ठंडी हवा बहने लगी थी, ऐसा लग रहा था मानों हवा भी काका को बता रही हैं। अचानक, से काका को भी सिसकने की आवाज सुनाई देने लगी। रामू काका का दिल बैठने लगा लेकिन वह कदम रोक नहीं पाए, उन्हें लगने लगा कि शायद सच में उनकी बेटी आज भी यहीं है। उन्होंने कांपते हुए कहा- पूजा.. तू है क्या यहां, बेटा तू मुझे सुन पा रही है। बेटा, तू डर मत, मैं आ गया हूं।
सरसों के बीच काका को सफेद धुंधला साया दिखाई दिया। सुरेंद्र की आंखें फटी रह गईं। उसने कांपती आवाज में कहा- काका पीछे देखो, वहां कोई है। अब वह वह साया धीरे-धीरे साफ होने लगा। लंबी चोटी, सफेद कपड़े और लाल चुनरी में एक लड़की नजर आई, यह बिल्कुल पूजा जैसी थी। उसकी आंखों से लगातार आंसू बह रहे थे। यह देखकर रामू काका के पैरों तले जमीन खिसक गई। यह उनकी बेटी ही थी, वह अपनी बेटी को कैसे भूल सकते हैं। इतने दिनों बाद एक बार फिर वह अपनी आंखों के सामने बेटी को देख पाए थे।
उनकी आंखों में आंसू भर आए। पूजा, तू सच में है बेटा? साया कुछ कदम उनकी तरफ बढ़ा। उसकी आवाज आई- बाबा, आपने मुझे क्यों अकेला छोड़ दिया… आप इतने दिन से यहां क्यों नहीं आए? मैं रौज आपका इंतजार करती थी।
रामू काका वहीं जमीन पर बैठ गए और हाथ जोड़कर बोले, बेटा, मैंने तुझे कभी नहीं छोड़ा। तू तो मेरा सबकुछ थी, मुझे लगा तू अब छोड़कर चली गई है, तो इस खेत में आकर क्या फायदा। इसलिए, मैं कभी खेती करने भी नहीं आता था। मैंने खेत किसी और को काम करने के लिए सौंप दिया था। बता मुझे, आखिर उस रात क्या हुआ था, क्यों तूने खुद को जला लिया, हम तो तुझसे बहुत प्यार करते थे। पूजा का साया कुछ कहने ही वाला था कि अचानक तेज हवा का झोंका आया और सरसों की फसल जोर-जोर से हिलने लगी। पूरा खेत जैसे किसी रहस्य को छिपाने लगा।
सुरेंद्र डरकर पीछे हट गया और बोला- काका, ये ठीक नहीं है... ये आत्मा है... हमें यहां से जाना चाहि, लेकिन रामू काका ने आंखें मूंद लीं और कहा- नहीं सुरेंद्र, अब मैं सच जानकर ही जाऊंगा, चाहे इसके बाद मेरी सांस चले या न चले। पूजा का साया कांपती हुई आवाज में बोला- बाबा... उस रात मैंने खुद को आग नहीं लगाई थी। मुझे जानकर किसी ने मारा था। रामू काका के कान सुन्न पड़ गए, उन्होंने कांपते हुए पूछा- ये कैसे हो सकता है बेटा, हमने तो कभी किसी का कुछ नहीं बिगाड़ा, आखिर किसने मेरी बेटी को मुझसे छीन लिया। पूजा की आंखों से आंसू और भी तेजी से गिरने लगे। उसने हाथ उठाकर खेत के किनारे इशारा किया। बाबा... उस रात जब मैं खेत में सोई थी, गांव का ही कोई आया था। रामू काका की रूह कांप गई। सुरेंद्र भी यह सुनते ही मुंह पर हाथ रख लिया।
कौन था वो... किसने ये किया?- काका हैरानी से चीख पड़े। पूजा कई आत्मा ने धीरे से कहा- बाबा, वो मनोज था। ये सुनते ही रामू काका और सुरेंद्र दोनों हैरान रह गए। मनोज, जो अभी दुकान पर उनके सामने बैठा था और मासूमियत से पूछ रहा था- खेत उपजाऊ नहीं है क्या? आखिर वह पूजा को क्यों मारेगा। सुरेंद्र डरते हुए बोला- काका, ये तो बहुत बड़ा राज है, इतने सालों से हमें लग रहा था कि पूजा ने अपनी जान खुद ली है, लेकिन अगर ये सच है, तो गांव के लोग अब तक क्यों चुप हैं? कैसे किसी को इस बारे में पता नहीं चला। पूजा का साया बोला- मनोज के परिवार का गांव में दबदबा है। उस रात उन्होंने सबूत भी मिटा दिए थे। मेरे चीखने की आवाज सिर्फ हवा में रह गई, रात में कोई खेत में नहीं था, जो मुझे बचा सके।
पूजा का साया पास आकर बोला – बाबा, मैं अब चाहती हूं कि आप यह सच सबके सामने लाओ, ताकि मेरी आत्मा को शांति मिले। आप मनोज को यहां लेकर आओ, मैं खुद उसका हिसाब लूंगी। जब तक गांव को सच पता नहीं चलेगा, मैं यहां से नहीं जाने वाली हूं, लेकिन तभी मनोज किसी काम से खेत के किनारों से गुजर रहा था। काका ने देखा और गुस्से में कहा- मनोज आज मैं तेरी जान ले लूंगा, मनोज भागने लगा, उसे समझ आ गया था कि काका सब जान गए हैं। काका, मनोज के पीछे भाग रहे थे, तभी पूजा की आत्मा ने उसे जकड़ लिया। वह अपनी जगह से हिल भी नहीं पा रहा था, मनोज ने कहा, रामू काका प्लीज मुझे बचा लो, मैंने कुछ नहीं किया। सब अनजाने में हो गया।
रामू काका-अनजाने में? मेरी बेटी हमारे बीच में नहीं रही और तू कर रहा है अनजाने में। मनोज ने कहा- काका, मैं बस पूजा से शादी करना चाहता था। मैंने उसे बहुत समझाया, लेकिन वो मानने को तैयार ही नहीं थी, मैं उस दिन नशे में था और गुस्से में मैने पूजा को खाट में बांध दिया। इसके बाद मैंने खेत में आग लगा दी। मैं होश में नहीं था, जब सुबह मेरी नींद खुली थी, तो मुझे रात की घटना याद आई। मैं फौरन खेत की तरफ भागा, लेकिन सब खत्म हो चुका था, प्लीज मुझे माफ कर दो। पूजा प्लीज मुझे माफ कर दो, यह अनजाने में हुआ।
पूजा बहुत ज्यादा गुस्से में थी.. उसने गुस्से में उसे हवा में उठा लिया था.. रामू काका बहुत उदास थे.. लेकिन वह नहीं चाहते थे कि उसकी बेटी के हाथों कोई पाप हो। उसने पूजा से कहा- बेटा शांत हो जा, जाने दे उसे, किसी ने गलत किया है, तो इसका मतलब ये नहीं है कि तू भी उसके साथ गलत करे। छोड़ दे उसे, उसके कर्म की सजा भगवान उसे दे ही देंगे, तब तक गांव वाले भी खेत की तरफ आ गए।
पूजा ने कहा- नहीं बाबा, मैं इसे नहीं छोड़ने वाली। इसकी वजह से मेरी जिंदगी खत्म हो गई, आप लोग अकेले इतने सालों से कैसे जी रहे हैं। रामू काका ने कहा- बेटा अगर तूने इसे नहीं छोड़ा, तो तू भी इसकी तरह हो जाएगी। तू मेरी बेटी है, मेरी बेटी ऐसी नहीं है। छोड़ दे उसे, जाने दे। पूजा ने अपने पिता की बात सुनते हुए आखिर उसे छोड़ दिया।
लेकिन गांव वाले उसे कैसे माफ कर सकते थे। गांव वालों ने उसे गांव से बाहर निकाल दिया, इसके बाद पूजी की आत्मा भी वहां से चली गई, लेकिन मनोज के दिमाग पर इस हादसे के बाद गहरा असर पड़ा और वह उसने अपना दिमागी संतुलन खो दिया। अब रामू काका की जमीन खरीदने के लिए भी खरीदार मिल गए थे, सब फिर से पहले जैसा हो गया।
यह कहानी पूरी तरह से कल्पना पर आधारित है और इसका वास्तविक जीवन से कोई संबंध नहीं है। यह केवल कहानी के उद्देश्य से लिखी गई है। हमारा उद्देश्य किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं है। ऐसी ही कहानी को पढ़ने के लिए जुड़े रहें हर जिंदगी के साथ।
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