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untold story of Cornelia Sorabji

Women's Day 2024: भारत की पहली महिला बैरिस्टर जिन्होंने महिलाओं के हक के लिए लड़ी थी लड़ाई

Women's Day 2024: क्या आपको पता है कि भारत की पहली महिला बैरिस्टर कौन है? चलिए जानते हैं महिला बैरिस्टर के जीवन से जुड़ी कहानी जिन्होंने महिलाओं के हक के लिए लड़ी थी लड़ाई। <div>&nbsp;</div>
Editorial
Updated:- 2024-02-29, 16:03 IST

First woman barrister of India: आज के समय महिलाओं का देश-विदेश की यूनिवर्सिटी में पढ़ना और दाखिला लेना कोई बड़ी नहीं है। लेकिन क्या आपको पता है कि यह कैसे संभव हो पाया। महिलाओं के हक दिलाने के लिए कई महिलाओं ने अहम भूमिका निभाई और जीत हासिल की। इस लेख में आज हम आपको एक ऐसी महिला के बारे में बताने जा रहे हैं जो देश की पहली महिला बैरिस्टर बनीं और महिलाओं के हक के लिए लड़ी कई लड़ाई।

आज का दौर काफी बदल गया है लोग अपनी बच्चियों को पढ़ाने और बेहतर भविष्य बनाने के लिए सपोर्ट करते हैं। लेकिन कोर्नेलिया सोराबजी को अपनी पढ़ाई के लिए कई समस्याओं और अत्याचारों का सामना करना पड़ा था। पुरूषों की दुनिय में अपने हक के लिए इन्हें कई लड़ाइयां लड़नी पड़ी।

कॉर्नेलिया सोराबजी का जीवन

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कोर्नेलिया सोराबजी का जन्म 15 नवंबर, 1866 को महाराष्ट्र के देवलाली में एक पारसी परिवार में हुआ था। कार्नेलिया के पिता कारसेदजी, एक ईसाई मिशनरी थे और महिलाओं की शिक्षा के समर्थन में थे। उन्होंने अपने पिता के कहने पर बॉम्बे यूनिवर्सिटी में दाखिला लिया। 

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सोराबजी पढ़ने में काफी अच्छी थी। उन्होंने 1 साल के अंदर पांच साल का पाठ्यक्रम पूरा कर लिया था। इसके साथ ही उन्होंने अपनी कक्षा में टॉप भी किया था। इसके बावजूद उन्हें लंदन के ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में पढ़ने और स्कॉलरशिप से वंचित कर दिया गया था क्योंकि वह एक महिला थी। बाद में उनके पिता ने उन्हें अपने पैसे से पढ़ाया। (रेप कानून में कब आया बदलाव)

डिग्री होने के बाद भी नहीं बन सकी बैरिस्टर

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कॉर्नेलिया सोराबजी के पास योग्यता होने के बाद भी वह एडवोकेट नहीं बन पाईं क्योंकि उस समय ब्रिटिश कानून में महिलाओं को वकालत करने की इजाजत नहीं थी। साल 1923 में जब कानून बदला तब सोराबजी ने कोलकाता में बतौर एडवोकेट प्रैक्टिस शुरू की। साल 1929 में वो हाईकोर्ट से रिटायर हुई थी। अपनी किताब'बिटविन द ट्वाइलाइट्स'में अपनी आत्मकथा को दो भागों में लिखा है।

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महिलाओं के लिए किया काम

वकील बनने के बाद कोर्नेलिया ने 600 से ज्यादा महिलाओं को इंसाफ दिलाने लड़ाई लड़ी। इसके लिए उन्होंने समय-समय पर जासूस की भी भूमिका निभाई और महिलाओं को लोगों के अत्याचार से बचाया। (कमर्शियल पायलट की कहानी)

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Image credit- Freepik, Sutterstock

 

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