गर्मी हो या सर्दी किसी भी मौसम में स्कर्ट महिलाओं के फैशन का अहम हिस्सा रही है। जब स्कर्ट का नाम आता है, तो हमारे दिमाग में एक महिला की तस्वीर बनती है, जिसने स्कर्ट पहनी हुई है। लेकिन, आपको जानकर हैरानी होगी कि हील्स की तरह ही हजारों साल पहले स्कर्ट को मुख्य तौर पर पुरुषों के लिए बनाया गया था और इसे मर्द गर्व से पहना करते थे।
समय के साथ क्लोथिंग स्टाइल्स में बदलाव हुआ और पुरुषों की स्कर्ट महिलाओं का फैशन स्टेटमेंट बन गई। आजकल महिलाएं मिनी, लॉन्ग स्कर्ट और मिडी खूब कैरी करती हैं। आज हम आपको इस आर्टिकल में बताने वाले हैं स्कर्ट का रोचक इतिहास और कब-कैसे यह पुरुषों से महिलाओं का परिधान बन गई।
माना जाता है कि प्राचीन मिस्र, यूनान, रोम और मेसोपोटामिया जैसी सभ्यताओं में पुरुष लंगोट, किल्ट और स्कर्ट की तरह कुछ पहना करते थे। यह परिधान गर्म जलवायु के लिए बेस्ट माना जाता था। पहले के समय में, स्कर्ट को लोग केवल कम्फर्टेबल क्लोथ मानते थे। उनको केवल एक कपड़े को कमर के चारों तरफ लपेटना होता है। जिसकी वजह से स्कर्ट जैसा परिधान अलग-अलग सभ्याताओं में काफी पॉपुलर हुआ।
खुदाई से मिले प्रमाण बताते हैं कि स्कर्ट का इतिहास सदियों पुराना है। आर्मेनिया की एक गुफा से करीब 3900 ईसा पूर्व की एक पुआल से बनी स्कर्ट मिली थी। वहीं, सुमेरिया और मिस्र सभ्यताओं में मर्द स्कर्ट पहनते थे। सुमेरिया में पुरुष और महिलाएं kaunakes पहनते थे, जो भेड़ की खाल या हाथ से बुने कपड़े से बनाई जाती थी। वहीं, मिस्र में पुरुष shendyt पहनते थे, जिसे केवल लपेटा जाता था। स्कर्ट गर्म क्षेत्रों में आरामदायक कपड़ा मानी जाती थी।
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मध्य युग के दौरान, महिलाओं और पुरुषों के कपड़ों के बीच फर्क दिखाई देने लगा था। पुरुषों ने घुटने तक लंबे टॉप और चिपके हुए टाइट्स पहनने शुरू कर दिए थे, जो घुड़सवारी में आरामदायक होते थे।
उस समय भी स्कर्ट को लोग पहना करते थे। खास मौकों और इवेंट्स में पुरुष स्कर्ट को पहनकर जाया करते थे। वहीं, युद्ध के दौरान योद्धा अपने निचले हिस्से में धातु से बनी स्कर्ट पहनते थे।
19वीं सदी आने तक स्कर्ट महिलाओं के बीच पॉपुलर हो गई थी। उस समय कुछ खास अंडरगारमेंट्स तैयार किए गए थे, जो स्कर्ट को बाहर की तरफ फैलाकर सुंदर लुक देते थे। इन भारी-भरकम स्कर्ट को अमीर औरतें पहना करती थीं। हालांकि, इनको पहनकर चलना काफी मुश्किल था।
19वीं सदी के आखिरी में स्कर्ट का नया स्टाइल आया, जिसे बस्टल कहा गया। बस्टल स्टाइल में स्कर्ट के पिछले हिस्से को फुलाकर पेश किया जाता था। यह स्टाइल फेमिनिटी को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाने का तरीका था। लेकिन, इस तरह की स्कर्ट काफी टाइट होती थी। अक्सर महिलाएं इसे पहनकर चलना मुश्किल काम समझती थीं।
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आजादी के बाद, 20वीं सदी में स्कर्ट को लेकर बड़ा बदलाव हआ। महिलाओं की जिंदगी में स्कर्ट अहम हिस्सा बन गई। 20वीं सदी की शुरुआत में हॉबल स्कर्ट आई, जो बहुत टाइट होती थी। यह स्कर्ट दर्शाती थी कि महिलाएं समाज में कितनी रूढ़िवादी सोच से जकड़ी हुई हैं। लेकिन, समय के साथ महिलाओं को शिक्षा, नौकरी जैसे अधिकार मिलने लगे और स्कर्ट के डिजायन भी बदलाव आया।
स्कर्ट को आरामदायक और सुविधाजनक बनाया जाने लगा। 1920 के दशक में फैशन का नया ट्रेंड आया। जिसमें महिलाओं ने बॉब कट हेयरस्टाइल के साथ घुटनों तक स्कर्ट पहनना शुरू कर दिया। यह स्कर्ट दर्शाती थी कि महिलाओं की आबादी में बढ़ोत्तरी हो रही है और उनका कॉन्फिंडेस बढ़ रहा है।
1960 के दशक में महिलाओं के बीच मिनी स्कर्ट का प्रचलन शुरू हुआ। मिनी स्कर्ट के ट्रेंड ने महिलाओं को आजाद और खुद की पहचान को दर्शाने का मौका दिया। आज के समय में स्कर्ट केवल कपड़ा नहीं है, बल्कि फैशन स्टेटमेंट है।
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