नई चीजों का आविष्कार समय और जरूरत के हिसाब से होता रहा है। जब भी किसी चीज की जरूरत महसूस हुई, तो इंसान ने उसे बना लिया। कुछ चीजें प्रकृति ने हमें दी हैं और कुछ हमने इजात कर लीं। दिलचस्प बात यह है कि कई बार चीजों को जिस उद्देश्य के लिए बनाया गया, बाद में उनका इस्तेमाल दूसरे उद्देश्य के लिए किया जाने लगा। ऐसा ही एक उदाहरण है हाई हील्स का, जिसे आज महिलाएं फैशन और स्टाइल के लिए पहनती हैं। हाई हील्स खरीदने के लिए महिलाएं खूब पैसा खर्च करती हैं, क्योंकि यह उन्हें लंबा और अट्रैक्टिव दिखाने में मदद करती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि असल में महिलाओं के लिए हाई हील्स की शुरुआत नहीं हुई थी, बल्कि इसका आविष्कार पुरुषों के लिए किया गया था।
आज हम आपको हाई हील्स के इतिहास के बारे में बताने वाले हैं और कैसे यह पुरुषों से महिलाओं तक पहुंच गई इसके बारे में भी बताएंगे।
10वीं शताब्दी के आसपास प्राचीन फारस में हील्स की शुरुआत हुई थी। फारसी घुड़सवार सेना के सैनिक अपने पैरों को रकाब में मजबूती से टिकाने के लिए ऊंची एड़ी वाले जूते पहना करते थे। इससे, उन्हें घोड़े की पीठ से लेकर तीर चलाने तक में बेहतर बैलेंस और पकड़ मिलती थी। इस तरह हील्स फारसी साम्राज्य और आसपास के क्षेत्रों में काफी पॉपुलर हो गई थी।
जैसे-जैसे व्यापार और सांस्कृतिक आदान-प्रदान बढ़ा, हील्स का भी प्रसार हुआ। फारस से होते हुए यह यूरोप पहुंची, जहां शुरुआत में इसे अपर क्लास के मर्दों ने अपनाया। ऊंची एड़ी वाले जूते, जिन्हें राइडिंग हील्स या लुई हील्स कहा जाता था, वे दौलत-शोहरत का प्रतीक बन गए।
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17वीं शताब्दी में यूरोप के शाही दरबारों में हील्स का चलन जोरों पर था और पुरुषों के फैशन का अहम हिस्सा बन गई थी। फ्रांस के राजा लुई XIV हील्स के सबसे बड़े समर्थकों में से एक थे। वह अपने लाल-एड़ी वाले जूतों के लिए मशहूर थे, जो न केवल उनकी लंबाई बढ़ाते थे, बल्कि उनकी शाही शक्ति और प्रतिष्ठा का प्रतीक भी माने जाते थे। जल्द ही, यूरोप के अपर क्लास के मर्द भी इसे अपनाने लगे और ऊंची एड़ी वाले जूते स्टेटस सिंबल बन गए।
हालांकि, 1789 में फ्रांसीसी क्रांति के दौरान ऊंची एड़ी वाले जूतों को पुरुषों ने पहनना बंद कर दिया। हील्स को दिखावटी और कैजुअल मानते हुए पुरुषों ने इन्हें पहनने से इंकार कर दिया और उनका फैशन आत्म-अभिव्यक्ति और सशक्तिकरण की तरफ बढ़ गया।
18वीं शताब्दी के मध्य में, मैरी एंटोनेट जैसी फैशन आइकॉन ने हील्स को ग्रेस, एलिगेंस और फ़ेमिनिनिटी का प्रतीक बना दिया। धीरे-धीरे हाई हील्स महिलाओं के फैशन का मुख्य हिस्सा बन गई और पुरुषों ने इसे पूरी तरह से पहनना बंद कर दिया। वहीं, 19वीं और 20वीं शताब्दी तक हील्स को स्त्रीत्व से जोड़ दिया गया और इन्हें ग्लैमर, फैशन का प्रतीक माना जाने लगा।
आज महिलाओं के लिए हाई हील्स केवल एक फुटवियर नहीं है, बल्कि कॉन्फिडेंस, स्टाइल और पर्सनैलिटी का प्रतीक बन चुकी हैं। यह कई तरह से महिलाओं के जीवन में खास जगह रखती हैं।
हाई हील्स पहनकर जब कोई महिला चलती है, तो वह खुद को कॉन्फिडेंट महसूस करती है। उनकी चाल-ढाल को हील्स बेहतर बनाती है और उन्हें अधिक आत्मनिर्भर और प्रभावशाली दिखाने में मदद करती है।
ऑफिस मीटिंग से लेकर पार्टी तक, किसी भी खास मौके पर हील्स अब स्टाइल स्टेटमेंट बन चुकी हैं। आज मार्केट में अलग-अलग डिजायन और रंगों में हील्स उपलब्ध हैं।
ऑफिस में हाई हील्स महिलाओं को अधिक प्रोफेशनल और एलीगेंट लुक प्रदान करती है।
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हील्स पहनने से कद लंबा नजर आता है और लेग्स टोंड दिखाई देते हैं।
आज महिलाएं फैशन को केवल सुंदरता के लिए नहीं, बल्कि अपनी पहचान और स्वतंत्रता को दर्शाने के लिए अपनाती हैं। हाई हील्स महिलाओं के लिए सशक्तिकरण और आत्म-अभिव्यक्ति का जरिया बन गई है।
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