आजकल बाजार में बिकने वाले लगभग सभी स्मार्टफोन में एक की जगह दो माइक्रोफोन मिलते हैं। एक माइक्रोफोन आमतौर पर नीचे होता है जबकि दूसरा फोन के ऊपरी हिस्से में या उसके पीछे की ओर। कई लोग यह सोचते हैं कि जब एक माइक्रोफोन के जरिए वो आसानी से कॉल पर बात कर लेते हैं तो कंपनी की ओर से दो माइक्रोफोन मोबाइल में क्यों दिए जाते हैं? हालांकि दोनों माइक्रोफोन का इस्तेमाल हमारे लिए काफी जरूरी होता है। माइक्रोफोन सिर्फ एक फीचर नहीं है, बल्कि यह आपके फोन के सबसे महत्वपूर्ण स्मार्ट कामों में से एक में मदद करता है। यह आपके कॉल की क्वालिटी और ओवरऑल ऑडियो अनुभव को बेहतर बनाता है। कई लोग इसे नहीं जानते हैं कि दूसरे माइक्रोफोन का इस्तेमाल क्या होता है। हम आपको बताएंगे दोनों माइक्रोफोन का इस्तेमाल क्या है।
फोन में आखिर क्यों होते हैं 2 माइक्रोफोन?
मोबाइल में मौजूद पहला माइक्रोफोन निचले हिस्से में रहता है। यह माइक्रोफोन मुख्य रूप से आपकी आवाज को पकड़ता है और कॉल के समय आपको बात करने में मदद करता है। हालांकी दूसरा माइक्रोफोन का इस्तेमाल इससे भी ज्यादा अहम है और उससे कई काम होते हैं। जबकि, मोबाइल में मौजूद दूसरा माइक्रोफोन आमतौर पर नॉइस कैंसलेशन यानि बैकग्राउंड शोर को हटाता है। जब आप भीड़ वाले स्थान पर किसी से कॉल पर बात करते हैं तो उस वक्त दूसरा माइक्रोफोन भीड़ वाली जगह के शोर को कम करता है और आपकी आवाज को अच्छी तरह से दूसरी तरफ पहुंचाता है।
दूसरा माइक्रोफोन शोर को रिकॉर्ड पर उसे प्रोसेसिंग यूनिट तक पहुंचाता है जहां प्रोसेसिंग यूनिट उस शोर को हटाती है। दूसरे माइक्रोफोन की वजह से ही आपकी आवाज इतनी स्पष्ट दूसरे व्यक्ति को सुनाई देती है। इसके अलावा दूसरे माइक्रोफोन के जरिए वीडियो रिकॉर्डिंग, वॉयस कमांड और लाइव स्ट्रीमिंग के दौरान भी बेहतर ऑडियो के लिए भी काम करता है। इससे आप समझ सकते हैं कि फोन में यू हीं दो माइक्रोफोन नहीं दिए जाते हैं बल्कि इन दोनों का इस्तेमाल आपको काफी बेहतर बनाता है।
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स्मार्टफोन में 2 माइक्रोफोन के फायदे
बेहतर कॉल क्वालिटी: यह सबसे बड़ा फ़ायदा है। जब आप किसी से बात कर रहे होते हैं, तो सामने वाले व्यक्ति को आपकी आवाज ज्यादा साफ सुनाई देती है, भले ही आप किसी शोरगुल वाली जगह पर हों।
साफ वीडियो और ऑडियो रिकॉर्डिंग: जब आप वीडियो रिकॉर्ड करते हैं या ऑडियो नोट्स लेते हैं, तो दूसरा माइक्रोफोन बैकग्राउंड नॉइज़ को कम करके रिकॉर्डिंग की क्वालिटी को बेहतर बनाता है।
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स्पीकरफोन अनुभव में सुधार: जब आप स्पीकरफ़ोन पर होते हैं, तब भी यह तकनीक काम करती है, जिससे बातचीत ज्यादा साफ और सुखद होती है।
वॉयस असिस्टेंट की बेहतर पहचान: सिरी, गूगल असिस्टेंट या एलेक्सा जैसे वॉयस असिस्टेंट भी नॉइज कैंसिलेशन से फ़ायदा उठाते हैं। जब आप उनसे बात करते हैं, तो वे आपकी आवाज को ज्यादा सटीकता से पहचान पाते हैं क्योंकि बैकग्राउंड का शोर कम होता है।
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