
नेशनल डिजास्टर रिस्पांस फोर्स यानी NDRF का गठन भारत सरकार ने प्राकृतिक और मानव-जनित आपदाओं से निपटने के लिए किया है। देश में कहीं भी भूकंप, बाढ़, भूस्खलन, चक्रवात, सुनामी, औद्योगिक दुर्घटनाओं आदि में NDRF राहत और बचाव का काम करता है। यही वजह है कि NDRF के जवानों को आपदा का देवदूत भी कहा जाता है, क्योंकि वह अपनी जान का जोखिम उठाकर लोगों की जिंदगी बचाते हैं।
NDRF अकेले काम नहीं करती है, इसके ऊपर भी एक एजेंसी है, जिसका नाम नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी है। इस एजेंसी को डायरेक्ट देश के प्रधानमंत्री देखते हैं और किसी भी आपदा के आने पर तुरंत एक्शन लेने का आदेश देते हैं। NDRF में बटालियन होती हैं, जिसमें इलेक्ट्रिशियन, डॉग स्क्वायड, इंजीनियरिंग, टेक्नीशियन, मेडिकल और पैरामेडिक्स में जवानों की तैनाती होती है। यह सभी पूरी तरह से ट्रेंड होते हैं। एनडीआरएफ क्या है और क्या काम करता है, यह तो आप समझ ही गए होंगे, लेकिन इसमें जवानों की भर्ती कैसे होती है यह बहुत ही कम लोगों को पता होगा। आइए, यहां जानते हैं कि NDRF जवान कैसे बना जा सकता है और उनकी ट्रेनिंग किस तरह से होती है।

नेशनल डिजास्टर रिस्पांस फोर्स में भर्ती के लिए कोई डायरेक्ट एग्जाम या कॉम्पिटिशन नहीं होता है। अगर आपको NDRF ज्वाइन करना है तो पहले पैरा मिलिट्री फोर्स, BSF, CRPF, CISF, ITBP या SSB में शामिल होना पड़ता है। इसके लिए पहले SSC की JD यानी जनरल ड्यूटी परीक्षा क्रैक करनी पड़ती है। परीक्षा पास करने के बाद फोर्स में 4 से 5 साल अपनी सेवाएं देनी होती हैं और फिर NDRF के लिए अप्लाई किया जा सकता है। NDRF में अगर आपका एप्लीकेशन सिलेक्ट हो जाता है और इसके बाद ट्रेनिंग होती है। ट्रेनिंग के बाद अलग-अलग राज्य में तैनाती मिलती है।
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NDRF के जवानों को शारीरिक और मानसिक क्षमता के अनुसार ट्रेनिंग दी जाती है। ट्रेनिंग के लिए पूरे साल का शेड्यूल जारी किया जाता है, जिसमें जवानों को अलग-अलग फील्ड की ट्रेनिंग दी जाती है। जिसमें ऑक्सी फ्यूल कटिंग, बोरवेल सेफ्टी, फायर फाइटिंग, एनिमल डिजास्टर, बाढ़ से निपटने जैसे आपदाओं से निपटने के लिए तैयार किया जाता है।
एनडीआरएफ जवानों को जल, अग्नि, ऊंचाई और भूकंप की स्थिति में किस तरह से ज्यादा से ज्यादा लोगों को बचाने की तकनीक सिखाई जाती है।
जवानों को प्राथमिक चिकित्सा यानी फर्स्ट एड और जीवन बचाने की तकनीक भी सिखाई जाती है।

जवानों को बेसिक के साथ-साथ स्पेशल तकनीकें भी सिखाई जाती हैं, जिसमें डॉग स्क्वॉड, ड्रोन ऑपरेशन और मलबे से बचाने की स्किल्स भी सिखाई जाती हैं। इतना ही नहीं, NDRF जवानों को रासायनिक, जैविक, रेडियोलॉजी और न्यूक्लियर आपदाओं से निपटने की ट्रेनिंग भी दी जाती है।
NDRF जवानों को स्कूबा डाइविंग और जल से बचाव के लिए स्विमिंग आदि की ट्रेनिंग भी दी जाती है।
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साल 2005 में आपदा मोचन एक्ट के आधार पर एजेंसी नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी का गठन किया गया था। एजेंसी की प्लानिंग, पॉलिसी और गाइडलाइन्स के आधार पर नेशनल डिजास्टर रिस्पांस फोर्स बनाई गई, जिन्हें पूरी तरह से प्राकृतिक और मानव निर्मित आपदाओं से निपटने के लिए ट्रेनिंग दी गई।
पब्लिक डोमेन में मौजूद जानकारी के मुताबिक, देशभर में NDRF के 16 से ज्यादा सेंटर हैं, जहां अलग-अलग बटालियन तैनात हैं। यह सभी किसी आपदा के आने पर तुरंत एक्शन लेती हैं और अफेक्टेड एरिया पर पहुंचते हैं।
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