why we should not eat non veg food during pitru paksha

Pitru Paksha 2025 Ke Niyam: पितृपक्ष में तामसिक भोजन करने की मनाही क्यों होती है?

जहां एक ओर पितृपक्ष के 16 दिन पितरों से जुड़ी पूजा के लिए बहुत महत्वपूर्ण माने जाते हैं तो वहीं, दूसरी ओर इन 16 दिनों केदौरान कठिन नियमों का पालन करना पड़ता है, नहीं तो आप पितृ दोष एवं पितरों के क्रोध के भागी बन सकते हैं। 
Editorial
Updated:- 2025-09-08, 14:09 IST

पितृपक्ष के दौरान पितरों को प्रसन्न करने के लिए उनके निमित्त दान किया जाता है, तर्पण एवं श्राद्ध कर्म किया जाता है, पीपल के पेड़ की पूजा की जाती है और ज्योतिष शास्त्र में बताये गए कुछ उपाय भी किए जाते हैं। जहां एक ओर पितृपक्ष के 16 दिन पितरों से जुड़ी पूजा के लिए बहुत महत्वपूर्ण माने जाते हैं तो वहीं, दूसरी ओर इन 16 दिनों केदौरान कठिन नियमों का पालन करना पड़ता है, नहीं तो आप पितृ दोष एवं पितरों के क्रोध के भागी बन सकते हैं। इन्हीं नियमों में से एक है तामसिक भोजन न करना। तो चलिए जानते हैं वृंदावन के ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से कि पितृपक्ष के दौरान तामसिक भोजन का सेवन करने से क्या होता है।

पितृपक्ष के दौरान तामसिक चीजों का सेवन क्यों नहीं करना चाहिए?

हिन्दू धर्म में, भोजन को तीन श्रेणियों में बांटा गया है: सात्विक, राजसिक और तामसिक। तामसिक भोजन वह होता है जो मन और शरीर पर नकारात्मक प्रभाव डालता है। इसमें मांस, मछली, प्याज, लहसुन और शराब शामिल हैं। ऐसा माना जाता है कि ये खाद्य पदार्थ आलस्य, क्रोध और नकारात्मक विचारों को बढ़ाते हैं।

pitru paksha mein tamasic bhojan kyu nahi khana chahiye

पितृपक्ष एक ऐसा समय है जब हमें अपने मन को शांत और अपनी आत्मा को शुद्ध रखना चाहिए। तामसिक भोजन का सेवन करने से हमारा मन भटकता है और हम अपने पूर्वजों के प्रति पूरी श्रद्धा और एकाग्रता से ध्यान नहीं दे पाते। इस कारण, तामसिक भोजन से दूर रहना अत्यधिक जरूरी माना जाता है।

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पितृपक्ष में तामसिक भोजन का सेवन करने से पितृदोष बढ़ सकता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, पितृदोष तब लगता है जब पूर्वज असंतुष्ट या अतृप्त होते हैं। तामसिक भोजन, जैसे मांस और लहसुन-प्याज, को अशुद्ध माना जाता है। इस प्रकार के भोजन से पितर अप्रसन्न होते हैं, जिससे पितृदोष की समस्या और भी गंभीर हो सकती है।

ज्योतिष में भोजन का संबंध ग्रहों से भी होता है। तामसिक भोजन जैसे मांस, मदिरा, और लहसुन-प्याज को राहु-केतु और शनि जैसे पाप ग्रहों से जोड़ा जाता है। पितृपक्ष में इन चीजों का सेवन करने से ये ग्रह और भी अधिक क्रूर हो सकते हैं जिससे जीवन में कई बाधाएं, जैसे आर्थिक नुकसान, स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं और पारिवारिक कलह उत्पन्न हो सकते हैं।

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pitru paksha mein tamsik bhojan kyu nahi khana chahiye

तामसिक भोजन मन को अशांत और बेचैन करता है। ज्योतिष के अनुसार, मन का सीधा संबंध चंद्रमा से होता है। पितृपक्ष के दौरान, हमें अपने मन को शांत और एकाग्र रखना चाहिए ताकि हम अपने पूर्वजों के लिए सही ढंग से तर्पण और पिंडदान कर सकें। तामसिक भोजन करने से मन में नकारात्मक विचार आते हैं और हम धार्मिक कार्यों पर ठीक से ध्यान नहीं दे पाते, जिससे पितरों को मिलने वाली ऊर्जा बाधित होती है।

कर्मों का संबंध बृहस्पति (गुरु) ग्रह से होता है जो धार्मिकता और सद्गुणों का प्रतिनिधित्व करते हैं। पितृपक्ष में तामसिक भोजन करने से हमारे कर्मों पर बुरा असर पड़ सकता है। यह एक तरह से पूर्वजों का अनादर माना जाता है, जिससे आपके सद्कर्मों का प्रभाव कम हो सकता है। यह आपके भविष्य को भी प्रभावित कर सकता है, क्योंकि अच्छे कर्मों का फल ही सुख और समृद्धि देता है।

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पितृपक्ष का सीधा संबंध वंश वृद्धि से भी है। ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति इस दौरान शुद्ध और सात्विक आचरण नहीं करता, उसके पितर नाराज हो जाते हैं। ज्योतिष के अनुसार, पितरों की नाराजगी से वंश वृद्धि में बाधा आ सकती है या संतान सुख में समस्याएं आ सकती हैं। शुद्ध भोजन और आचरण से ही पितरों का आशीर्वाद मिलता है जिससे परिवार में सुख-शांति और समृद्धि आती है।

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image credit: herzindagi 

FAQ
पितृपक्ष के दौरान क्या तुलसी की पूजा करनी चाहिए?
पितृपक्ष के दौरान तुलसी की पूजा की जा सकती है। ऐसा करना पितरों को प्रसन्न करता है और उन्हें शांति प्रदान करता है। 
पितृपक्ष के दौरान कौन से मंत्र का जाप करना चाहिए? 
पितृपक्ष के दौरान 'ॐ पितृभ्यः स्वधा नमः' मंत्र का जाप करना सबसे ज्यादा शुभ माना जाता है। 
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