
शनिदेव को हमेशा से ही न्याय का देवता कहा जाता है और उनकी पूजा ऐसे ही की जाती है। ऐसा कहा जाता है कि शनि हमेशा हमारे कर्मों का सही फल देते हैं। इसका मतलब यह है कि अगर आपने जीवन में अच्छे कर्म किए हैं तो उसका फल अच्छा मिलेगा और अगर आप बुरे कर्म करती हैं तो आपको उसका बुरा फल ही मिलता है। ज्योतिष और शास्त्रों में शनि ग्रह का प्रभाव सबसे गहरा और दीर्घकालिक माना जाता है। इसी वजह से शनिदेव की पूजा को लेकर कई नियम बनाए गए हैं और उनके दर्शन और उनकी मूर्ति को लेकर विशेष भी कई नियम बताए जाते हैं। आपने अक्सर लोगों को ऐसा कहते हुए सुना होगा कि शनिदेव की आंखों में कभी नहीं देखना चाहिए और उनकी ऐसी मूर्ति के दर्शन करने चाहिए जिसकी आंखें बंद हों या फिर आपको शनिदेव की शिला के दर्शन करने चाहिए और शनि देव की शिला पर ही सरसों का तेल चढ़ाया जाना चाहिए। आइए जयोतिर्विद पंडित रमेश भोजराज द्विवेदी से जानें कि शनिदेव की खुली आंखों वाले मूर्ति के दर्शन क्यों नहीं करने चाहिए?
शास्त्रों के अनुसार शनिदेव की दृष्टि बहुत तीव्र और प्रभावशाली मानी जाती है। ऐसा कहा जाता है कि शनि की नजर जहां पड़ती है, वहां व्यक्ति को अपने कर्मों का फल अवश्य भोगना पड़ता है। चाहे वह अच्छा कर्म हो या फिर बुरा कर्म हो। इसी वजह से किसी भी व्यक्ति को शनि की आंखों में देखने से मना किया जाता है।

ज्योतिष में यह भी कहा जाता है कि शनिदेव की दृष्टि से कोई भी व्यक्ति बच नहीं पाता है। इसका मतलब यह हुआ कि व्यक्ति को अपने कर्मों का फल जरूर मिलता है। इसी कारण से उनकी कृपा जितनी कल्याणकारी मानी जाती है उनकी दृष्टि उतनी ही कष्टकारी होती है और उनकी आंखों की तरफ देखने की मनाही होती है।
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ज्योतिष की मानें तो जब किसी भी देवी-देवता की मूर्ति की स्थापना की जाती है, तब उसकी प्राण-प्रतिष्ठा भी की जाती है। इसका अर्थ यह है कि उस मूर्ति में चेतना और ऊर्जा का संचार होता है। ऐसे ही यदि शनिदेव की मूर्ति में आंखें बनी होती हैं, तो यह माना जाता है कि उस मूर्ति में भी पूर्ण रूप से प्राण और ऊर्जा विद्यमान है। ऐसी स्थिति में यदि भक्त ऐसी मूर्ति की पूजा करता है तो सीधे शनिदेव की दृष्टि के सामने आ जाता है और उनकी दृष्टि जीवन में समस्याएं भी ला सकती है। यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में शनि की स्थिति अनुकूल नहीं होती है, तो खुली आंखों वाली मूर्ति की दृष्टि उस व्यक्ति के जीवन में नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है।

शास्त्रों में कहा गया है कि शनिदेव की खुली आंखों वाली मूर्ति के सामने जाने से व्यक्ति को अनजाने में शनि की सीधी दृष्टि का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में व्यक्ति के जीवन में कई समस्याएं आ सकती हैं, जीवन में मानसिक तनाव बढ़ सकते हैं और भय उत्पन्न हो सकता है। यही नहीं इससे आपके जीवन में आर्थिक समस्याएं भी आ सकती हैं और आपके बनते काम भी बिगड़ सकते हैं।
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ऐसा माना जाता है कि आपको हमेशा शनि की शिला की ही पूजा करनी चाहिए या फिर ऐसी मूर्ति की पूजा करें जिनकी आंखें बंद हों। इसी वजह से शनि मंदिरों या बड़े शनि धाम में भी शनि की मूर्ति के स्थान पर शनि की शिला ही मौजूद होती है और लोग उसी शिला की पूजा करते हैं। जहां एक ओर शनि की खुली आंखों वाली मूर्ति के दर्शन की मनाही है वहीं शनि शिला की पूजा को अत्यंत शुभ माना गया है। शनि की शिला वह स्वरूप है जिसमें शनिदेव निराकार रूप में विराजमान होते हैं और वो भक्तों की सभी समस्याओं को दूर करते हैं। शनि की शिला की पूजा से शनि दोष शांत होता है और शनि साढ़े साती का असर कम होता है।
यदि आप शनिदेव की कृपा पाना चाहती हैं तो उनकी खुली आंखों वाली मूर्ति की पूजा करने के बजाय उनकी शिला की पूजा करें। अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसे ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।
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