महाभारत के अनुसार, जब युद्ध समाप्त हुआ था तब श्री कृष्ण अर्जुन को उसके रथ में लेकर एकांत जगह पर गए थे। उस स्थान पर जाने के बाद श्री कृष्ण ने अर्जुन को रथ से फौरन उतर जाने के लिए कहा और जैसे ही अर्जुन रथ से उतर कर बाहर आ गए वैसे ही रथ भयंकर अग्नि से जलने लगा। जब हमने इस घटना के बारे में वृंदावन के ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से पूछा तो उन्होंने हमें इसके पीछे का बड़ा ही रोचक तथ्य बताया। आइये जानते हैं इस बारे में विस्तार से।
महाभारत युद्ध से पहले भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन के सारथी बनना स्वीकार किया था। युद्ध के दौरान श्रीकृष्ण ने अर्जुन के रथ पर भगवान हनुमान को ध्वज पर बैठने के लिए कहा था, ताकि वह रथ की रक्षा कर सकें। हनुमान जी ने इसे स्वीकार किया और पूरे 18 दिन तक रथ के ऊपर बैठकर उसकी रक्षा करते रहे।
महाभारत के युद्ध में, खासकर कर्ण और भीष्म जैसे महारथियों ने अर्जुन के रथ पर कई शक्तिशाली और दिव्य अस्त्र-शस्त्रों से हमला किया। ये अस्त्र इतने शक्तिशाली थे कि वे किसी भी चीज को पल भर में नष्ट कर सकते थे। लेकिन हनुमान जी की कृपा और श्री कृष्ण के सारथी होने के कारण ये सभी प्रहार रथ को कोई नुकसान नहीं पहुंचा पाए। हर बार जब कोई शक्तिशाली अस्त्र रथ से टकराता तो वह रथ को थोड़ा पीछे धकेल देता, लेकिन रथ टूटता नहीं था।
जब महाभारत का युद्ध खत्म हुआ और पांडव विजयी हुए, तब श्री कृष्ण ने अर्जुन से सबसे पहले रथ से उतरने को कहा। अर्जुन ने थोड़ा आश्चर्य से श्री कृष्ण से पूछा कि वह तुरंत रथ से उन्हें उतरने के लिए क्यों कह रहे हैं तो श्री कृष्ण ने मुस्कुराते हुए अर्जुन से कहा कि वो बस उनकी बात माने और रथ से उतर कर भाहर आ जाए। अर्जुन के उतरने के बाद, श्री कृष्ण खुद भी रथ से उतरे। जैसे ही श्री कृष्ण ने अर्जुन के रथ का सात छोड़ा वैसे ही रथ में अचानक आग लग गई और वह पल भर में जलकर राख हो गया।
यह देखकर अर्जुन चौंक गए और श्री कृष्ण से इसका कारण पूछा। तब भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को समझाया कि पूरे युद्ध के दौरान तुम्हारे रथ पर कई शक्तिशाली और दिव्य अस्त्रों से हमला किया गया था। हनुमान जी और मेरी दिव्य शक्ति के कारण वह रथ उन सभी प्रहारों को झेल गया था, लेकिन उन सभी अस्त्रों की ऊर्जा रथ में समा गई थी।
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अगर मैं और हनुमान जी रथ पर रहते तो वह ऊर्जा हमें नुकसान नहीं पहुंचा सकती थी। लेकिन अब जब युद्ध खत्म हो गया है और मेरा और हनुमान जी का काम पूरा हो गया है तो उस रथ का कोई उपयोग नहीं था। यदि हम रथ से नहीं उतरते, तो वह भयंकर ऊर्जा हमें नुकसान पहुंचा सकती थी। इसीलिए मैंने तुम्हें पहले उतारा और फिर खुद उतरा ताकि वह ऊर्जा रथ को जलाकर नष्ट हो जाए।
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