why koti tirth kund water used in mahakal puja ujjain

महाकाल की पूजा में क्यों जरूरी है इस एक कुंड का जल? जानें क्या है हनुमान जी से नाता

ऐसा माना जाता है कि जिस जल से शिवलिंग का जलाभिषेक होता है वह जल सिर्फ एक ही कुंड का है लेकिन उस जल में भारत के सभी तीर्थ स्थलों का जल समाहित है। इस जल को जिस कुंड से लाया जाता है उस संबंध हनुमान जी से बहुत गहरा है।   
Editorial
Updated:- 2024-07-29, 15:54 IST

उज्जैन महाकालेश्वर मंदिर में भस्म आरती से पहले हमेशा शिवलिंग का जलाभिषेक किया जाता है। इस जल को लेकर यह मान्यता है कि यह कोई साधारण जल नहीं है बल्कि इतना दिव्य है कि इस जल के बिना महालेश्वर की पूजा अधूरी मानी जाती है। ऐसा माना जाता है कि जिस जल से शिवलिंग का जलाभिषेक होता है वह जल सिर्फ एक ही कुंड का है लेकिन उस जल में भारत के सभी तीर्थ स्थलों का जल समाहित है। ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स ने हमें बताया कि इस जल को जिस कुंड से लाया जाता है उस संबंध हनुमान जी से बहुत गहरा है। तो आइये जानते हैं कि महाकालेश्वर के जलाभिषेक के लिए कहां से आता है ये जल और क्या है इसका हनुमान जी से नाता।

कहां है आता है माहाकलेश्वर के जलाभिषेक के लिए जल?

kaha hai koti tirth kund

महाकाल भगवान के लिए अभिषेक के लिए लाया जाने वाला जल कोटितीर्थ कुंड से लाया जाता है। कोटि तीर्थ कुंड के स्वयं भू कुंड है यानी कि इस कुंड को किसी ने बनाया नहीं है बल्कि यह कुंड अपने आप प्राकृतिक रूप से उत्पन्न हुआ है। 

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कोटि तीर्थ कुंड महाकाल मंदिर के पिछले हिस्से में स्थित है। इस कुंड के जल को औषधीय गुणों से भरपूर माना जाता है। इस कुंड के जल को लेकर ऐसी मान्यता है कि जो भी व्यक्ति इसका पानी पीता है उसे रोगों से मुक्ति मिल जाती है। 

प्राचीन काल से ही एक विधिवत रूप में महाकाल की पूजा चली आ रही है। इस विधि के अनुसार, सबसे पहले मंदिर के गर्भगृह की सफाई की जाती है। फिर इसके बाद पंचामृत अभिषेक होता है जिसके लिए सारा जल कोटितीर्थ कुंड से लाते हैं। 

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कोटि तीर्थ कुंड से लाये इस जल को हरिओम जल कहते हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, श्री राम ने लंका पर विजय प्राप्त करने के बाद हनुमान जी को शिवलिंग पूजन के लिए सभी तीर्थ स्थलों का जल लाने का काम सौंपा था।

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kya hai koti tirth kund ki manyata

हनुमान जी ने सभी तीर्थ स्थलों का जल एक कलश में भरा और उज्जैन में स्थित कोटि तीर्थ कुंड के जल में मिला दिया। इसके बाद श्री राम ने इसका नाम कोटितीर्थ कुंड रखा जिसका अर्थ होता है करोड़ों तीर्थ के जल वाला कुंड।

 

आप भी इस लेख में दी गई जानकारी के माध्यम से यह जान सकते हैं कि आखिर क्यों कोटितीर्थ कुंड के जल के बिना महाकाल पूजा अधूरी मानी जाती है और क्या है इस कुंड का हनुमान जी से नाता। अगर हमारी स्टोरीज से जुड़े आपके कुछ सवाल हैं, तो वो आप हमें आर्टिकल के नीचे दिए कमेंट बॉक्स में बताएं। हम आप तक सही जानकारी पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से। 

image credit: herzindagi        

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