
विवाह एक ऐसी रस्म है जो न सिर्फ दो आत्माओं और परिवारों का मिलन होता है, बल्कि दो संस्कृतियों का भी मेल होता है। ज्योतिष के अनुसार किसी भी शादी के पहले कुंडली मिलान का बहुत महत्व होता है और कहा जाता है कि जब लोगों की कुंडली सही तरीके से मिलती है तो उनके बीच हमेशा सामंजस्य बना रहता है। यही नहीं कुंडली मिलान को एक सफल शादी की नींव भी माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र में शादी केवल भावनाओं का नहीं बल्कि ग्रह-नक्षत्रों का भी संबंध माना गया है। शादी से पहले कुंडली मिलान एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया होती है, जिसमें 36 गुणों का मिलान किया जाता है। अक्सर देखा जाता है कि लोग मुख्य रूप से नाड़ी दोष पर ही ध्यान देते हैं, लेकिन इसके साथ-साथ गण मिलान का भी बहुत ज्यादा महत्व होता है। अगर हम गण की बात करें तो इसकी गिनती कुंडली मिलान के 36 गुणों में से 6 गुणों में की जाती है। मुख्य रूप से गण तीन प्रकार के होते हैं- देव, मनुष्य और राक्षस। आइए ज्योतिर्विद पंडित रमेश भोजराज द्विवेदी से जानें कि शादी के पहले कुंडली मिलान के साथ गण का मिलान भी क्यों महत्वपूर्ण माना जाता है और वैवाहिक जीवन पर इसका क्या प्रभाव हो सकता है।
ज्योतिष के अनुसार, प्रत्येक व्यक्ति की जन्म कुंडली में चंद्र नक्षत्र के आधार पर उसका एक गण तय होता है। मुख्य रूप से ये गण तीन प्रकार के होते हैं- देव गण, मनुष्य गण और राक्षस गण। इनका वर्गीकरण व्यक्ति के स्वभाव, विचार और ऊर्जा के स्तर के अनुसार किया गया है। आमतौर पर देव गण के लोग शांत, दयालु, धार्मिक और संयमी होते हैं। उनकी तुलना ईश्वर की प्रवृत्तियों से की जाती है और इस गण के लोग ईश्वर पर ज्यादा निष्ठा रखते हैं।

दूसरा मनुष्य गण के लोग होते हैं व्यावहारिक, बुद्धिमान और संतुलित स्वभाव के माने जाते हैं। मनुष्य गण के लोग आमतौर पर देव गण वाले लोगों को ज्यादा सम्मान देते हैं और इसी वजह से देव और मनुष्य गण का मिलान सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। राक्षस गण के लोग ज्यादा ऊर्जावान, आत्मविश्वासी और कभी-कभी आक्रामक प्रवृत्ति के भी हो सकते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस गण के लोगों में तामसिक प्रवृत्ति भी हो सकती हैं।
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शादी के पहले जब दो लोगों की कुंडली मिलाई जाती है, तो उनके गण की तुलना भी की जाती है। यदि दोनों एक ही गण के हों, तो स्वभाव में समानता रहती है और वैवाहिक जीवन में सामंजस्य बना रहता है। ऐसा कहा जाता है कि यदि देव गण के व्यक्ति की शादी देव से ही होती है तो आपसी तालमेल बना रहता है। ऐसे ही मनुष्य और देव का भी अच्छा सामंजस्य होता है। वहीं राक्षस गण का राक्षस के साथ अच्छा सामंजस्य बनता है। ऐसा भी कहा जाता है कि अगर कुंडली में गण अलग हों, तो यह स्वभाव में मतभेद, अहम की टकराहट और समझ की कमी का कारण बन सकता है।
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अगर विवाह में गण असमानता हो और उसका उपाय न किया जाए, तो दांपत्य जीवन में कई तरह की समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। ऐसा कहा जाता है कि गण आपस में न मिलें तो वैवाहिक जीवन में बार-बार विवाद और मतभेद बने रहते हैं। दो लोग एक-दूसरे की बात ठीक से नहीं समझ पाते हैं। आपस में अहंकार या ईर्ष्या का भाव बना रहता है। यही नहीं कई बार वैवाहिक जीवन में असंतुलन या आपसी दूरी भी हो सकती है। हालांकि, अगर कुंडली के अन्य गुण जैसे ग्रह स्थिति, भाव मिलान, या दशा-अंतर्दशा अनुकूल हों, तो इन दोषों का प्रभाव कम हो सकता है।
जिस तरह से शादी से पहले कुंडली मिलान में नाड़ी दोष विवाह में स्वास्थ्य और संतति से जुड़ा होता है, उसी तरह से गण मिलान स्वभाव और तालमेल से संबंधित होता है। ऐसा कहा जाता है कुंडली मिलान में गण मिलान को भी प्राथमिकता देनी चाहिए।
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