why flour diya is used during pooja ()

आटे के दीये क्यों जलाए जाते हैं? जानें इससे जुड़ी खास बातें

आप सभी ने मंदिरों और घरों में लोगों को आटे का दीया जलाते हुए देखा होगा। क्या आपको पता है कि आटे का दीपक क्यों जलाया जाता है, इसका क्या महत्व है? <div>&nbsp;</div>
Editorial
Updated:- 2024-07-20, 14:00 IST

मिट्टी, कांसे, पीतल और तांबे समेत सभी तरह के धातु के दीपक का अपना अलग महत्व और उपयोग है। बता दें कि इन सभी चीजों से बने दीये के अलावा आटे के दीपक का विशेष महत्व है। आटे का दीया अक्सर किसी विशेष मन्नत की प्राप्ति और इच्छा पूर्ति के लिए जलाया जाता है। आज के इस लेख में हमने आटे के दीपक से जुड़ी कुछ खास बातें बताई है, चलिए जानते हैं इसके बारे में। 

आटे के दीये से जुड़ी ये बातें आप भी जानें

What is the significance of diya in pooja

  • आटे के दीये का उपयोग या उसे तब जलाया जाता है, जब कोई अपनी बहुत बड़ी कामना को पूरा करना चाहता है। कामना के पूरा हो इसलिए लोग आटे का दीया बनाकर जलाते हैं।
  • धार्मिक कार्य जैसे सत्य नारायण, भागवत पुराण और शिव पूजा जैसे आयोजन में भी आटे के बड़े दीये को बनाकर सुंदर सजाया जाता है और उसी से फिर आरती की जाती है।
  • मन्नत के लिए दीया आटे से बनाया जाता है, यदि आपने किसी चीज के लिए मन्नत रखी है, तो आप आटे के दीया जलाएंगे।

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why flour diya is used during pooja

  • अन्य धातु के दीये की तुलना में आटे की दीया को सबसे ज्यादा शुभ और पवित्र माना गया है। मान्यता है कि आटे के दीये को मां अन्नपूर्णा का आशीर्वाद मिल जाता है।
  • भगवान शिव, माता दुर्गा, विष्णु जी, हनुमान जी, श्री राम, भगवान श्री कृष्ण के सभी मंदिरों में कामना पूर्ति के लिए आटे का दीया जलाया जाता है।
  • मन्नत पूर्ति के अलावा तांत्रिक कार्यों की पूर्ति के लिए भी आटे के दीये का इस्तेमाल किया जाता है।
  • आटे का दीपक हमेशा घटती और बढ़ती संख्या में जलाया जाता है। एक से शुरू करके 11 तक दीप जलाया जाता है, फिर 10, 9,8,7...1 के घटते क्रम में दीपक जलाया जाता है।
  • कर्ज मुक्ति, विवाह, अदालत, जमीन-जायदाद, पति-पत्नी के विवाद और स्वयं के घर एवं आर्थिक संकट से राहत पाने के लिए संकल्प लेकर आटे का दीपक जलाया जाता है। मांगी हुई मन्नत पूरी होने के बाद एक साथ आटे के सभी संकल्पित दीये को मंदिर में जलाया जाता है।

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  • कई बार दीप की संख्या पूरी होने से पहले ही मन्नत पूरी हो जाती है, ऐसे में दीपक की संख्या को खंडित नहीं करना चाहिए। 
  • आटे का दीपक जलाने के लिए विशेष दिन जैसे जिस भी देवता के सामने दीया जला रहे हैं उनके दिन के साथ दीप जलाना शुरू करें, जैसे हनुमान जी के लिए शनिवार या मंगलवार, शिव जी और दुर्गा जी के लिए सोमवार।

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Image Credit: Freepik

 

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