संगम के लेटे हुए हनुमान मंदिर से घर क्यों लाते हैं तुलसी?

अधिकतर घरों में तुलसी का पौधा लगा हुआ देखने को मिलता है। तुलसी के पौधे का धार्मिक महत्व के साथ ही आयुर्वेद की दृष्टि से भी बहुत अधिक महत्व है। ऐसे में अगर आप महाकुंभ जा रहे हैं, तो तुलसी की पत्ती जरूर लाएं। चलिए जानते हैं ऐसा क्यों-
why do we bring tulsi at home from lete hue hanuman
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Why Do We Bring Tulsi At Home:144 वर्षों पर लगने वाला महाकुंभ इस साल प्रयागराज में 13 जनवरी से लेकर 26 फरवरी तक आयोजित हो रहा है। इस आयोजन में देश-विदेश से आए करोड़ों लोगों का जमावड़ा देखने को मिल रहा है। महाकुंभ में स्नान करने के बाद संगम क्षेत्र में स्थित लेटे हुए हनुमान जी का दर्शन कर वहां का प्रसाद और तुलसी लेकर अपने घर जाते हैं। बता दें काशी का संकटमोचन मंदिर हो या प्रयाग का लेटे हुए हनुमान जी का मंदिर, हर स्थान पर बजरंगबली को तुलसी से तैयार माला और भोग लगाया जाता है। साथ ही विशेष अवसरों जैसे हनुमान जयंती और मंगलवार को तुलसी की माला चढ़ाई जाती है। अब ऐसे में क्या आपने सोचा है कि आखिर हनुमान जी को तुलसी की पत्ती क्यों चढ़ाई जाती है और इसे घर क्यों लाई जाती है। आइए इस लेख में पंडित आचार्य उदित नारायण त्रिपाठी से जानते हैं कि संगम के लेटे हुए हनुमान मंदिर से घर क्यों लाते हैं तुलसी की पत्ती?

तुलसी को क्यों लाते हैं घर? (Why Do We Bring Tulsi At Home)

Mahakumbh Prayagraj why bring tulsi at home

हनुमान जयंती हो या फिर मंगलवार जैसे विशेष अवसर पर तुलसी की माला चढ़ाई जाती है। बता दें इसका कनेक्शन रामायण से है। इसको लेकर ऐसी मान्यता है कि हनुमान जी को तुलसी चढ़ाने से हर संकट से मुक्ति मिलती है। वहीं अगर आप तुलसी की पत्ती अपने घर लाती हैं, तो इससे घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है। ऐसा कहा जाता है कि अगर आप मंगलवार को हनुमान जी को तुलसी की माला चढ़ाते हैं और वहां से तुलसी का पत्र लेकर आते हैं, तो ऐसा करने से धन लाभ के योग बनते हैं और मन से भय व चिंता समाप्त होते हैं।

हनुमान जी को क्यों चढ़ाई जाती है तुलसी? (Why Offer Tulsi to Hanuman)

Why Offer Tulsi to Hanuman

जैसा कि हम सभी जानते है कि हनुमान जी भगवान राम के परम भक्त है और वह माता सीता को अपनी मां मानते थे। हनुमान जी को जब किसी प्रकार की चिंता या परेशानी होती थी, तो वह श्री राम और माता सीता से सभी समस्याओं को साझा करते थे। एक बार ऐसा हुआ कि माता सीता वाल्मीकि ऋषि के लिए अपने हाथों से भोजन बना रही थीं। उसी समय पवन पुत्र पहुंचे और बोले कि मां मुझे भूख लगी है। इस पर माता सीता ने उन्हें खाना परोसा। कुछ ही देर में हनुमान जी ने भोजन चट कर दिया। अपितु उनकी भूख नहीं मिटी। इसके बाद सीता माता ने रामजी के कहने पर उन्हें तुलसी पत्र दिया। इसे खाते ही हनुमान जी की भूख तुरंत शांत हो गई। तब से हनुमान जी को भोग में तुलसी भोग और माता स्वरूप चढ़ाने की परंपरा चली आ रही है।

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Image credit-Freepik,Herzindagi

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