पंचमुखी गणेश प्रतिमा में गणपति के कौन-कौन से रूप हैं?

पंचमुखी गणेश जी की प्रतिमा को घर में स्थापित करने के कई नियम हैं और साथ ही, गणपति के पंचमुखी स्वरूप की पूजा बहुत कठिन भी मानी जाती है। यही कारण है कि पंचमुखी गणेश जी को घर में हर कोई विराजित नहीं कर पाता है। 
different forms of ganapati in panchmukhi ganesha idol
different forms of ganapati in panchmukhi ganesha idol

भगवान गणेश के पंचमुखी स्वरूप को बहुत दुर्लभ माना जाता है। जहां एक ओर गणेश जी के बाल रूप की पूजा करने से घर-परिवार में सुख-शांति बनी रहती है तो वहीं, पंचमुखी गणेश पूजन से जीवन के हर संकट का निवारण हो जाता है। हालांकि, पंचमुखी गणेश जी की प्रतिमा को घर में स्थापित करने के कई नियम हैं और साथ ही, गणपति के पंचमुखी स्वरूप की पूजा बहुत कठिन भी मानी जाती है। यही कारण है कि पंचमुखी गणेश जी को घर में हर कोई विराजित नहीं कर पाता है। वृंदावन के ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स ने हमें कि पंचमुखी गणेश जी का स्वरूप बहुत आलौकिक है। ऐसे में आइये जानते हैं कि पंचमुखी गणेश जी के 5 मुख कौन-कौन से रूप को दर्शाते हैं।

पंचमुखी गणेश जी के 5 मुख किसका प्रतीक हैं?

पूर्व मुख (ईशान): यह मुख भगवान मोदक गणपति का प्रतिनिधित्व करता है। यह मुख पूर्व दिशा की ओर होता है और इसका संबंध जीवन में आने वाली बाधाओं को दूर करने और विजय प्रदान करने से है। यह हमारी आत्मा को शुद्ध करने और जीवन में सफलता पाने में मदद करता है।

panchmukhi ganesh pratima mein ganpati ke kaun kaun se roop hain

दक्षिण मुख (अघोरा): यह मुख भगवान हेरंब गणपति का प्रतीक है। यह मुख दक्षिण दिशा में होता है। यह मुख धन, समृद्धि और अच्छी किस्मत लाने के लिए जाना जाता है। इस रूप की पूजा करने से भक्तों को आर्थिक लाभ होता है।

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पश्चिम मुख (अघोरा): यह मुख भगवान विघ्नहर गणपति का रूप है। यह पश्चिम दिशा में होता है और इसका मुख्य काम जीवन की सभी चुनौतियों और रुकावटों को खत्म करना है। यह हमें नकारात्मक शक्तियों से बचाता है और जीवन में स्थिरता लाता है।

उत्तर मुख (अघोरा): यह मुख भगवान गजानन गणपति को दर्शाता है। यह मुख उत्तर दिशा में होता है और इसका संबंध ज्ञान, बुद्धि और आध्यात्मिक जागृति से है। यह हमें सही रास्ता दिखाता है और हमारी मानसिक शक्तियों को बढ़ाता है।

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ऊपर मुख (ईशान): यह मुख भगवान लंबोदर गणपति का प्रतीक है। यह मुख ऊपर की ओर होता है और इसका संबंध आनंद और मोक्ष से है। यह हमारी इच्छाओं और कर्मों को सही दिशा देता है और हमें आध्यात्मिक शांति प्रदान करता है।

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FAQ

  • पंचमुखी गणेश जी की प्रतिमा किस दिशा में रखें?

    पंचमुखी गणेश जी की प्रतिमा घर के उत्तर-पूर्व दिशा या पूर्व दिशा में रखनी चाहिए।
  • पंचमुखी गणेश जी का प्रिय मंत्र कौन सा है?

    पंचमुखी गणेश जी का प्रिय मंत्र 'गणपतये वर्वे सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा॥:' है।