मृत्यु एक शाश्वत सत्य माना जाता है और इसे जीवन का अटल सत्य कहा जाता है। ऐसा कहा जाता है कि जिसने जन्म लिया है वो एक न एक दिन मृत्यु को जरूर प्राप्त होता है। हर इंसान जो जन्म लेता है, उसे मृत्यु का सामना भी अवश्य करना पड़ता है। यही नहीं उसके परिजनों को भी इस सत्य का सामना जरूर करना होता है। ज्योतिष और हिंदू शास्त्रों के अनुसार, मृत्यु केवल शरीर के अंत का नाम नहीं होता है बल्कि आत्मा की यात्रा की अगली अवस्था की शुरुआत भी है। ज्योतिर्विद पंडित रमेश भोजराज द्विवेदी के अनुसार मृत्यु को महज हृदय की धड़कन रुकने और मस्तिष्क की गतिविधि समाप्त होने के रूप में ही नहीं देखा जाता है बल्कि इसके कई ज्योतिष संकेत भी होते हैं। ऐसे ही एक सवाल मन में आता है कि मृत्यु के तुरंत बाद शरीर का क्या होता है? विशेषकर मृत्यु के ठीक 30 सेकंड बाद शरीर और आत्मा के बीच क्या होता है और इसका मतलब क्या है।
मृत्यु के 30 सेकंड बाद शरीर में क्या होता है?
- हिंदू धर्म की मानें तो 'प्राण' शब्द केवल सांस लेने की क्रिया नहीं है, बल्कि यह पांच मुख्य प्रकार की जीवन ऊर्जा का सूचक है जिसमें प्राण, अपान, समान, उदान और व्यान शामिल हैं।
- मृत्यु के समय ये सभी प्राण-शक्तियां शरीर से धीरे-धीरे निकलती हैं। मृत्यु के 30 सेकंड बाद, उदान वायु शरीर के शीर्ष भाग से आत्मा को बाहर निकालने का कार्य शुरू करती है।
- यह ऊर्जा शरीर के भीतर की सूक्ष्म चेतना को खींचकर बाहर ले जाती है। इसी क्षण आत्मा शरीर से अलग होने की प्रक्रिया में प्रवेश करती है।
मृत्यु के तुरंत बाद नाड़ी मार्ग सक्रिय हो जाते हैं
- ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, शरीर में 72,000 से अधिक नाड़ियां होती हैं, जिनमें से तीन प्रमुख हैं- इड़ा, पिंगला और सुषुम्ना। मृत्यु के ठीक बाद, आत्मा इनमें से एक मार्ग से शरीर त्याग करती है।
- ऐसा कहा जाता है कि इनमें से किसी भी मार्ग से बाहर निकलने वाली आत्मा को अलग तरह से फल मिलते हैं।
- शास्त्रों की मानें तो सुषुम्ना नाड़ी से जब आत्मा बाहर निकलती है तो मोक्ष की प्राप्ति होती है। इड़ा या पिंगला से आत्मा के बाहर निकलने से शरीर का पुनर्जन्म होताहै।
- यह मार्ग आत्मा की कर्मों की स्थिति, मृत्यु के समय की भावनात्मक अवस्था और पिछले जन्मों के संस्कारों पर निर्भर करता है।
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मृत्यु के तुरंत बाद पंचतत्वों में विघटन की शुरुआत
- शरीर पांच तत्वों पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश से बना होता है। ऐसा कहा जाता है कि मृत्यु के तुरंत बाद शरीर में इन तत्वों का विघटन आरंभ हो जाता है।
- वायु के रूप में शरीर से सांस पूरी तरह बाहर निकलती है। अग्नि के रूप में शरीर की ऊष्मा धीरे-धीरे कम होने लगती है।
- जल शरीर का तरल भाग ठंडा और निष्क्रिय होने लगता है। पृथ्वी के रूप में शरीर कठोर और भारी महसूस करने लगता है।
- आकाश के रूप में चेतना का शून्य भाव प्रकट होता है। मृत्यु के 30 सेकंड बाद ही यह विघटन एक सूक्ष्म स्तर पर प्रारंभ हो जाता है, जो धीरे-धीरे आगे बढ़ता है।
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गरुड़ पुराण के अनुसार, मृत्यु के तुरंत बाद आत्मा कुछ क्षणों तक अपने शरीर और आसपास के वातावरण के पास मौजूद रहती है। यही नहीं आत्मा उस व्यक्ति के आस-पास और घर पर कम से कम तरह दिनों तक मौजूद होती है और इसका आभास भी लोगों को होता है।
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