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Mangal Dosh Upay: क्या होता है मांगलिक दोष? किस उम्र में समाप्त होता है इसका प्रभाव और इसे दूर करने के लिए क्या करें

किसी भी व्यक्ति की कुंडली में मंगल का प्रभाव अलग-अलग रूप में दिखाई देता है। कई बार इसके प्रभाव से शादी में देरी जैसी समस्याएं भी आती हैं। आइए जानिए मांगलिक दोष क्या होता है और किस उम्र में इसका प्रभाव कम होने लगता है।
Editorial
Updated:- 2025-11-24, 19:35 IST

यह बात अक्सर हमारी भारतीय समाज में देखी जाती है कि जब भी बच्चे का जन्म होता है उसकी कुंडली बनवाई जाती है। बच्चे की कुंडली कई बार उसके जन्म के समय ही बना दी जाती है, वहीं कुछ लोग 5 साल की उम्र के बाद कुंडली बनवाते हैं। आपने कई लोगों को ऐसा कहते भी सुना होगा कि कुंडली में मंगल भारी है जिसकी वजह से मांगलिक दोष लग गया है और शादी में भी देरी हो रही है। यही नहीं बच्चे की कुंडली में भी यदि मांगलिक दोष होता है तो ऐसा माना जाता है कि उसके जीवन में उतार-चढ़ाव बने रहेंगे। कई लोगों के मन में यह सवाल उठता है कि आखिर मांगलिक दोष होता क्या है? क्या वाकई किसी की कुंडली में सितारों की स्थिति उसके स्वभाव या भविष्य को प्रभावित करती है? क्या वास्तव में मांगलिक दोष से शादी में देरी होती है? क्या एक निश्चित समय अवधि के बाद मांगलिक दोष समाप्त हो जाता है? यदि आपकी कुंडली में भी मांगलिक दोष है तो आपके इससे बाहर नकलने के लिए क्या उपाय करने चाहिए? ऐसी कई सवालों के जवाब जानने के लिए हमने सेलिब्रिटी ऐस्ट्रॉलजर प्रदुमन सूरी जी से बात की। आइए जानें इसके बारे में विस्तार से यहां।

मांगलिक का अर्थ क्या होता है?

मांगलिक शब्द सुनते ही लोग अक्सर उसे विवाह से जुड़ी किसी समस्या से जोड़ने लगते हैं, लेकिन इसका वास्तविक अर्थ इससे कहीं ज्यादा बड़ा है। मंगल का मतलब ही मंगलकारी है यानी कि हर काम में शुभ फल देने वाला। कुंडली में मंगल ग्रह ऊर्जा, साहस, आत्मविश्वास, निर्णय क्षमता और व्यक्ति की विल पावर का प्रतिनिधित्व करता है। जब किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली में मंगल ग्रह कुछ विशेष भावों में स्थित होता है जैसे पहला, चौथा, सातवां, आठवां या बारहवां भाव तो ऐसे व्यक्ति को मांगलिक कहा जाता है और कहा जाता है कि उसकी कुंडली में मांगलिक दोष है।

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मांगलिक दोष कब लगता है?

ऐस्ट्रॉलजर प्रदुमन सूरी बताते हैं कि मांगलिक दोष एक ज्योतिषीय स्थिति है जो व्यक्ति के जीवन में, विशेष रूप से वैवाहिक और पेशेवर जीवन में, दुर्भाग्य और चुनौतियां ला सकती है। इसकी पहचान तब होती है जब मंगल जन्म कुंडली के विशिष्ट भावों में स्थित होता है। हिंदू धर्म में, मांगलिक दोष का सीधा संबंध विवाह से होता है। ज्योतिष शास्त्र में कहा गया है कि यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में मंगल प्रथम, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम और द्वादश भाव में हो, तो व्यक्ति मांगलिक दोष से ग्रस्त माना जाता है।

इसे जरूर पढ़ें: कितनी तरह के मांगलिक दोष होते हैं? जानें आपका कौन सा है

मांगलिक दोष का जीवन में क्या प्रभाव होता है?

मंगल ग्रहों में सेनापति माने जाते हैं और मंगल बल, ऊर्जा और आत्मविश्वास का स्वामी होता है। कई बार मंगल के कुछ अशुभ फल भी दिखाई देते हैं और नवग्रहों के चक्र में सूर्य के बाद मंगल सबसे महत्वपूर्ण ग्रह माना जाता है। जिसे लाल ग्रह भी कहा जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अगर आपकी कुंडली में मंगल अशुभ या नीच है या अन्य ग्रहों के साथ अशुभ युति में है तो आपके जीवन में मांगलिक दोष के कुछ अशुभ फल मिल सकते हैं। कुंडली में मंगलदोष होने से व्यक्ति का क्रोध बढ़ सकता है और उसे नौकरी और व्यापार में घाटा हो सकता हैं। यह किसी भी व्यक्ति के जीवन में छोटी-छोटी समस्याओं का कारण भी बन सकता है।

इसके प्रभाव से व्यक्ति की चिंताएं बढ़ सकती हैं और सेहत पर भी नकारात्मक प्रभाव हो सकते हैं। इससे व्यक्ति की चल-अचल संपत्ति में भी घाटा हो सकता है। यही नहीं यदि व्यक्ति के आत्मविश्वास में अचानक से कमी आ रही है तो यह भी मांगलिक दोष के प्रभाव की वजह से हो सकता है।

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मांगलिक दोष को दूर करने के उपाय

यदि कुंडली में मंगल दोष है, तो केवल एक व्रत ही इस दोष से होने वाले दुर्भाग्य को दूर कर सकता है। ऐसे में आप यदि हनुमान जी का मंगलवार का व्रत करें तो आपके जीवन में सकारात्मक प्रभाव देखने को मिल सकते हैं।
मांगलिक दोष को दूर करने के लिए प्रतिदिन सुबह और शाम हनुमान चालीसा का पाठ करें और मंगलवार के दिन लाल वस्त्र धारण करें।

मांगलिक दोष किस उम्र में समाप्त होता है?

ऐसा माना जाता है कि 28 साल की उम्र के बाद मांगलिक दोष का प्रभाव कम हो जाता है। ज्योतिषियों के अनुसार 28 वर्ष के बाद मंगल का प्रभाव कम माना जाता है, क्योंकि यह उम्र वह समय है जब मंगल की ऊर्जा स्थिर हो जाती है और व्यक्ति मानसिक रूप से परिपक्व होता है। ऐसे में यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में मांगलिक दोष है और उसकी शादी 28 साल की उम्र के बाद हो रही है, तो मांगलिक दोष का प्रभाव काफी हद तक कम हो सकता है। वहीं यह भी  कहा जाता है कि यदि व्यक्ति की कुंडली में मंगल की महादशा या अंतरदशा चल रही हो, तो उस अवधि में प्रभाव अधिक हो सकता है और उम्र का असर मांगलिक दोष दूर होने के लिए उतना तीव्र नहीं दिखाई देता है।

मांगलिक होना कोई दोष नहीं है बल्कि यह ग्रहों की एक ऐसी स्थिति है जो आपकी कुंडली में बनने वाले योगों के लिए जिम्मेदार होती है। अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।

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