Varuthini Ekadashi Shubh Muhurat 2024: कब है वरुथिनी एकादशी, जानें पूजा का शुभ मुहूर्त और महत्व

Varuthini Ekadashi 2024 Date, Shubh Muhurat and Significance: वरुथिनी एकादशी का दिन भगवान विष्णु को समर्पित है। इस दिन विष्णु जी की पूजा-पाठ से व्यक्ति की सभी परेशानियां दूर हो सकती है। 

 
Varuthini Ekadashi  date shubh muhurat and significance

(varuthini ekadashi 2024 date) हिंदू पंचांग के अनुसार वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि के दिन वरुथिनी एकादशी का व्रत रखा जाता है। इस एकादशी के दिन भगवान विष्णु की विधिवत पूजा-अर्चना करने का विधान है। इस दिन ऐसी मान्यता है कि जो व्यक्ति भगवान विष्णु की विधिवत पूजा-अर्चना करता है। उसकी सभी परेशानियां दूर हो सकती है। इस दिन व्रत रखने का 10 हजार साल तक तप करने के समान ही पुण्य फल की प्राप्ति होती है। अब ऐसे में इस साल वरुथिनी एकादशी का व्रत कब रखा जाएगा। शुभ मुहूर्त क्या है और महत्व क्या है। इसके बारे में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।

कब है वरुथिनी एकादशी ? (varuthini ekadashi 2024)

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  • वरुथिनी एकादशी 3 मई शुक्रवार के दिन है। इस तिथि का आरंभ रात 11 बजकर 23 मिनट से लेकर 4 मई शनिवार को रात 8 बजकर 37 मिनट तक रहेगी।
  • वरुथिनी एकादशी के दिन पारण का शुभ मुहूर्त - सुबह 8:16 बजे से 9:05 बजे तक है।
  • द्वादशी अपराह्न का मुहूर्त: 4 मई, 2024 को दोपहर 12:12 बजे से 1:01 बजे तक

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वरुथिनी एकादशी के दिन शुभ योग (Varuthini Ekadashi Shubh Muhurat 2024)

  • वरुथिनी एकादशी के दिन त्रिपुष्कर योग, इंद्र योग और वैधृति योग बनने जा रहा है।
  • त्रिपुष्कर योग रात में 08 बजकर 38 मिनट से बनेगा, जो 10 बजकर 07 मिनट तक रहेगा।
  • वहीं इंद्र योग प्रात:काल से सुबह 11 बजकर 04 मिनट तक है, उसके बाद वैधृति योग बनेगा।
  • पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र सुबह से रात 10 बजकर 07 मिनट तक रहेगा।

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वरुथिनी एकादशी का महत्व क्या है?

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यह एकादशी भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी को समर्पित है। इस दिन व्रत रखने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है। साथ ही पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन व्रत रखने वाले व्यक्ति को वैवाहिक सुख और समृद्धि प्राप्त होती है। इसके अलावा अगर आपके जीवन में किसी प्रकार की कोई परेशानी आ रही है, तो उससे भी छुटकारा मिल सकता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, एक बार राजा इंद्र को देवताओं के साथ युद्ध में हार का सामना करना पड़ा। हार के बाद वे भगवान विष्णु की शरण में गए। भगवान विष्णु ने उन्हें वरुथिनी एकादशी का व्रत रखने की सलाह दी। राजा इंद्र ने व्रत रखा और भगवान विष्णु की कृपा से उन्हें युद्ध में जीत हासिल हुई।

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