
तुलसी विवाह जो कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को मनाया जाता है। यह देवउठनी एकादशी के ठीक अगले दिन मनाया जाता है। हिंदू धर्म में इसे अत्यंत शुभ और पावन तिथि माना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु के शालिग्राम रूप का तुलसी जी के साथ विवाह संपन्न किया जाता है, इसी वजह से इस दिन को तुलसी विवाह नाम से जाना जाता है। शास्त्रों के अनुसार, यह तिथि न केवल आध्यात्मिक दृष्टि से शक्तिशाली होती है, बल्कि वैवाहिक जीवन में चल रहे कलह, तनाव, दूरी, निराशा और अहंकार को समाप्त करके वैवाहिक जीवन में पुनः प्रेम और सौहार्द लाने वाली भी मानी जाती है। ऐसा कहा जाता है कि अगर कोई स्त्री अथवा दंपत्ति इस दिन श्रद्धा से तुलसी विवाह का पूजन करता है, तो उनके जीवन में प्रेम, सम्मान और मानसिक शांति में अत्यधिक वृद्धि होती है। मुख्य रूप से अगर आपके वैवाहिक जीवन में भी बिना वजह कुछ समस्याएं चली आ रही हैं तो आप यहां ज्योतिर्विद पंडित रमेश भोजराज द्विवेदी से कुछ आसान उपायों के बारे में जानें।
तुलसी विवाह के दिन सुबह स्नान आदि से मुक्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें और घर में स्थित तुलसी के पौधे की पूजा करें। तुलसी के पौधे में गंगाजल, रोली, चावल और पीले या लाल पुष्प चढ़ाएं और तुलसी माता का ध्यान माता लक्ष्मी के रूप में करें। तुलसी पत्र को हाथ जोड़कर अपने हृदय से माफी मांगें यदि कभी भूलवश उस पर पैर या अशुद्ध दृष्टि पड़ी हो। यह साधना मानसिक अशांति, पति-पत्नी के बीच अनजाने में बोले गए कटु वचनों के प्रभाव को समाप्त करती है।

तुलसी को शास्त्रों में साक्षात लक्ष्मी स्वरूपा माना जाता है और यदि आप तुलसी के पौधे में तुलसी विवाह के दिन सुहाग की सामग्री चढ़ाती हैं, तो आपके वैवाहिक जीवन में चली आ रही समस्याएं दूर हो सकती हैं। तुलसी विवाह के दिन सिंदूर, लाल चूड़ी, चुनरी, हल्दी, मेहंदी, काजल या मिठाई तुलसी पर चढ़ाएं। यह उपाय विशेष रूप से उन स्त्रियों के लिए अत्यंत शुभ होता है जिनके विवाह में ग्रहदोष, कलह या ‘विरह जैसी स्थिति बनने लगती है। यह उपाय वैवाहिक जीवन में स्थिरता, अपनापन, और भावनात्मक निकटता को बढ़ाता है।
तुलसी विवाह के दिन शाम के समय पति-पत्नी एक साथ तुलसी के पौधे के चारों ओर घी के दीपक के सामने सात फेरे लें। हाथ में फूल या हल्दी का अक्षत रखें और मन ही मन एक-दूसरे की दीर्घायु, सुख, सम्मान और मानसिक एकता की कामना करें। यह उपाय वैवाहिक जीवन की समस्याओं को दूर करने में मदद करता है।

यदि आप तुलसी विवाह के दिन संध्या काल में तुलसी के पौधे के पास शुद्ध घी का दीपक अवश्य जलाएं, तो आपको इसके शुभ परिणाम देखने को मिल सकते हैं। यह केवल दीपक नहीं बल्कि ऊर्जा संतुलन का माध्यम भी माना जाता है। माना जाता है कि यह उपाय पति-पत्नी के मानसिक आवेगों को शांत करता है, क्रोध को नियंत्रित करता है और घर के वातावरण से नकारात्मक ऊर्जाओं को तुरंत समाप्त कर देता है।
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यदि आप तुलसी विवाह के दिन भगवान विष्णु के स्वरूप शालिग्राम और माता तुलसी का संयुक्त पूजन करें तो वैवाहिक जीवन की बाधाएं समाप्त हो सकती हैं। तुलसी विवाह के दिन यदि दंपत्ति एक साथ शालिग्राम पर जल, तुलसी पत्र, चंदन और कुमकुम अर्पित करें, तो उनका वैवाहिक बंधन दिव्य ऊर्जा से जुड़ जाता है। यह उपाय विशेष रूप से शनि, राहु, मंगल या गुरु दोष से प्रभावित विवाह के लिए अत्यधिक फलदायी है।
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