Mangalwar Ki Vrat Katha: हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार, हफ्ते का हर दिन किसी न किसी देवी-देवता को समर्पित होता है। मंगलवार का दिन विशेष रूप से बजरंगबली को समर्पित है। मान्यताओं के मुताबिक, हनुमान जी को कलयुग का जीवंत देवता माना गया है। यही वजह है कि ऐसा कहा जाता है हनुमान जी का पूजन सच्चे और भक्ति भाव से करने से जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं। साथ ही शत्रुओं पर विजय मिलती है। हनुमान जी की कृपा पाने के लिए मंगलवार के दिन पूजा और व्रत करने का विधान है।
मंगलवार के दिन विधि-विधान से व्रत करने और हनुमान जी की कथा सुनने से भक्तों को बल, बुद्धि और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है। यह व्रत न केवल शारीरिक और मानसिक शांति प्रदान करता है, बल्कि जीवन में बाधाओं को दूर करने और मनोकामनाओं को पूरा करने में भी मदद करता है। मंगलवार व्रत की कथा प्रेरणादायक है और इससे सुनने से मन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार भी होता है। आइए, यहां ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से जानते हैं मंगलावर व्रत की पौराणिक कथा के बारे में।
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार, मंगलवार का व्रत उन लोगों के लिए विशेष रूप से फलदायी माना जाता है जिनकी कुंडली में मंगल या राहु-केतु का दोष होता है। मंगलवार के व्रत में हनुमान जी की विधि-विधान के साथ पूजा करने का अहम महत्व माना गया है। साथ ही इस दिन व्रत के साथ कथा का पाठ करना भी अनिवार्य है। व्रत कथा के पाठ के बिना मंगलवार का व्रत अधूरा माना जाता है।
एक बार की बात है एक नगर में ब्राह्मण और उसकी पत्नी निवास करते थे। दोनों हनुमान जी के परम भक्त थे। दोनों हर मंगलवार के दिन जंगल में जाकर न सिर्फ हनुमान जी की पूजा किया करते थे बल्कि हनुमान जी के लिए व्रत का निर्वाहन भी करते थे।
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ब्राह्मण और उसकी पत्नी के पास सब कुछ था लेकिन उनके पास संतान सुख नहीं था। इसी वजह से दोनों घने जंगल में जाकर पूर्ण श्रद्धा से हनुमान जी की आराधना करते हुए पुत्र प्राप्ति की कामना करते थे और हनुमान जी को भोग लगाने के बाद ही खाते थे।
एक बार हुआ यूं कि ब्राह्मण की पत्नी की तबियत खराब हो गई और वह न तो भोजन बना पाई और न ही हनुमान जी का भोग लगा पाई, जिसके बाद ब्राह्मण की पत्नी ने प्रण लिया कि अगले मंगलवार को हनुमान जी को भोग लगाने के बाद ही खाना खाऊंगी।
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ब्राह्मण की पत्नी 6 दिन तक भूखी-प्यासी रहीं और हनुमान जी की श्रद्धा से पूजा करती रहीं, लेकिन मंगलवार के दिन ब्राह्मण की पत्नी बेहोश हो गई। तब हनुमान जी ब्राह्मण और उसकी पत्नी की भक्ति से प्रसन्न हुए और उन्हें दर्शन देने पहुंचें।
हनुमान जी के दर्शन देने के बाद जब उन्होंने ब्राह्मण और उसकी पत्नी से वरदान मांगने को कहा तब ब्राह्मण और उसकी पत्नी ने एक पुत्र की इच्छा जताई और हनुमान जी ने उन्हें एक पुत्र प्रदान किया। इस तरह मंगलवार व्रत कथा का समापन होता है।
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