सोम प्रदोष व्रत रखने से मिलेगी सफलता, जानिए कथा में कैसे भगवान शिव ने बदला ब्राह्मण पुत्र का भाग्य

सोम प्रदोष व्रत भगवान शिव के लिए रखा जाता है। इस व्रत के दिन भगवान शिव की पूजा होती है। इसके बाद कथा कही जाती है, जिसे पढ़ने के बाद आपको भी उनके फल के बारे में जानकारी मिलेगी। आर्टिकल में बताते हैं सोम प्रदोष व्रत की कथा।
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भगवान शिव की आराधना करना सबसे आसान है। भोले बाबा अपने भक्त के चढ़ाए हुए जल से ही प्रसन्न हो जाते हैं। साथ ही, अपने भक्त को मनचाहा फल देते हैं। ऐसा ही होता है सोम प्रदोष व्रत। भगवान शिव के लिए रखा गया यह व्रत बेहद खास होता है। यह किसी शुभ दिन से कम नहीं होता है। इस दिन लोग सुबह स्नान करते हैं। फिर भगवान शिव की पूजा करते हैं और व्रत की कथा पढ़कर इस व्रत को धारण करते हैं। आर्टिकल में बताते हैं सोम प्रदोष व्रत की खास कथा। इसके बाद ही मिलता है इस व्रत का फल।

सोम प्रदोष व्रत की क्या है कथा

कथा के अनुसार एक नगरी में एक पंडिताइन रहती थी। उसके पति की मृत्यु काफी समय पहले ही हो गई थी। उनकी मृत्यु के बाद उन्हें किसी को आश्रय नहीं दिया। इसकी वजह से उन्हें अपना जीवन बेटे के साथ भटकते-भटकते काटना पड़ा। वह रोजाना अपने बच्चे के साथ भीग मांगा करती थी। इसी से वह अपना और अपने बच्चे का पेट पालती थी। एक दिन जब पंडिताइन अपने घर लौटी तो उसे एक लड़का रास्ते में कराहता मिला।

Pradosh vrat

उसे इसकी जानकारी नहीं थी कि वो बच्चा विदर्भ का राजकुमार है। वह पंडिताइन उस बच्चे को अपने घर ले आई। अब वह राजकुमार उसके और बेटे के साथ उनके घर में रहने लगा। एक दिन अंशुमति एक कन्या ने राजकुमार को वहां रहते हुए देखा तो वह उसपर मोहित हो गई। एक दिन वह कन्या अपने माता-पिता को लेकर पंडिताइन के घर पहुंची और राजकुमार के सामने शादी का प्रस्ताव रखा। इसे हर किसी ने स्वीकारा। उसी रात भगवान शिव ने अंशुमति के माता-पिता के स्वप्न में दर्शन देकर कहा कि आप अपनी पुत्री का विवाह राजकुमार के करा दें। जिसे उन्होंने स्वीकारा और उसका विवाह राजकुमार के साथ हो गया।

यह सभी पंडिताइन के द्वारा किए गए प्रदोष व्रत का प्रभाव था। उसके बाद गंधर्वराज की सेना के साथ मिलकर राजकुमार ने अपने पिता और राज्य को भी दोबारा प्राप्त किया। वहीं राजकुमार के राज्य दोबारा मिलने के बाद उसने पंडिताइन के बेटे को राज्य का प्रधानमंत्री बनाया। पंडिताइन के सोम प्रदोष के व्रत का ही फल था कि उसके और बेटे के दिन बदल गए। इसलिए कहा जाता है कि प्रदोष व्रत के दिन आपको कथा सुननी के साथ-साथ दूसरों को भी बतानी चाहिए। इससे आपको इस व्रत का शुभ फल मिलता है।

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सोम व्रत कथा करते समय इन बातों का रखें ध्यान

  • व्रत कथा को करते समय आप साफ आसन पर बैठकर इस कथा को कहें।
  • आप कोशिश करें कि इस कथा को भगवान शिव के मंदिर में जाकर कहें। इससे आपका व्रत पूरा होता है।
  • इस व्रत कथा को करते समय लाल रंग के वस्त्र को धारण करें।
  • व्रत कथा के बीच नही उठे और न ही किसी तरह की कोई बात करें।
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सोम प्रदोष व्रत आप कर सकते हैं। इससे आपको भगवान शिव की अन्य कथाओं के बारे में पता चलेगा। साथ ही, आपको आपका मनचाहा फल मिलेगा।

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Image Credit-Freepik

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