(significance of mangal kalash) सनातन धर्म में धार्मिक कार्यों में कलश रखने का विशेष महत्व है। अगर आप चाहे मांगलिक कार्य कर रहे हो या नया व्यापार कर रहे हो। इसी के साथ नए साल का आरंभ, गृह प्रवेश, दिवाली पूजन, यज्ञ-अनुष्ठान, दुर्गा पूजा आदि के अवसर पर विशेष कलश स्थापना की जाती है। उसके बाद शुभ काम शुरू किए जाते हैं।
अब ऐसे में पूजा घर में मंगल कलश रखने का क्या महत्व है। इसके बारे में जानना बेहद जरूरी है।
आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।
ऐसा माना जाता है कि कलश के मुख में भगवान विष्णु (भगवान विष्णु मंत्र) का वास होता है और कंठ में रुद्र और मूल में ब्रह्मा जी वास करते हैं। साथ ही कलश के मध्य में दैवीय शक्तियां निवास करती हैं। कलश में भरा पवित्र जल इस बात का संकेत देता है कि हमारा मन जल की तरह शीतल, साफ और निर्मल बना रहे।
साथ ही व्यक्ति को लोभ, क्रोध, माया, ईर्ष्या, घृणा जैसे बुरी भावनाओं से दूर रखें। इसलिए पूजा में मंगल कलश रखना बेहद जरूरी माना जाता है। इससे घर में सकारात्मकता का भी संचार होता है।
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पूजा का कलश हमेशा सोना, चांदी, तांबे और मिट्टी का बना होना चाहिए। पूजा के लिए लोहे का कलश कभी भी उपयोग नहीं करना चाहिए। कलश को हमेशा उत्तर या उत्तर पूर्व दिशा में रखना चाहिए। जहां कलश बैठाना है, उस स्थान पर पहले गंगाजल के छींटे मारकर उस जगह को पवित्र कर लेना चाहिए। इससे घर में सभी देवी-देवता का आगमन होता है और शुभ फलों की भी प्राप्ति होती है।
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जहां आप कलश स्थापना कर रहें हैं, वहां मिट्टी के वेदी बनाएं। फिर उस पर हल्दी से अष्टदल बनाएं। पश्चात उसके ऊपर कलश रखें। कलश के अंदर पंच पल्लव, जल, दुर्वा, चंदन, पंचामृत, सुपारी, हल्दी, अक्षत, सिक्का, लौंग, इलायची और पान डालें। इसके बाद कलश पर रोली से स्वास्तिक (स्वास्तिक नियम) बनाएं। बता दें, कलश पर बनाए जाने वाले स्वास्तिक का चिन्ह चार युगों का प्रतीक माना जाता है। इसलिए इन नियमों का विशेष ध्यान रखें।
इसके बाद कलश के ऊपर आम के पत्ते जरूर रखें। कलश में नारियल रखने से पहले कलश के ऊपर एक कटोरी में जौ या गेहूं रखें। कलश पर रखे जाने वाले नारियल को लाल कपड़े में लपेटकर रख दें। इसके बाद पंचोपचार से कलश की विधिवत पूजा करें। इससे व्यक्ति को सभी दुखों से छुटकारा मिल सकता है।
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