सावन में पार्थिव शिवलिंग घर पर बनाने के लिए कौन सी मिट्टी का करें प्रयोग, जानें पूजा विधि से लेकर नियम और महत्व

सावन का महीना भगवान शिव को समर्पित होता है और इस दौरान पार्थिव शिवलिंग बनाकर पूजा करने का विशेष महत्व है। मान्यता है कि इससे अकाल मृत्यु का भय दूर होता है और सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। अब ऐसे में किस मिट्टी का पार्थिव शिवलिंग बनाना शुभ माना जाता है। इसके बारे में इस लेख में विस्तार से जानते हैं। 
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सावन का महीना भगवान शिव को समर्पित है और इस दौरान उनकी पूजा का विशेष महत्व होता है। मान्यता है कि सावन में पार्थिव शिवलिंग बनाकर पूजा करने से भगवान शिव अत्यंत प्रसन्न होते हैं और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। पार्थिव शिवलिंग यानी मिट्टी से बने शिवलिंग की पूजा का वर्णन हमारे धर्म ग्रंथों में भी मिलता है। आइए इस लेख में विस्तार से ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं कि घर पर पार्थिव शिवलिंग बनाने के लिए किस मिट्टी का प्रयोग करें, इसकी पूजा विधि क्या है और इसके नियम व महत्व क्या हैं।

पार्थिव शिवलिंग के लिए किस मिट्टी का प्रयोग करें?

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नदी या फिर तालाब की मिट्टी पार्थिव शिवलिंग बनाने के लिए सबसे उत्तम मानी जाती है। यह मिट्टी पवित्र और शुद्ध होती है। यदि आपको नदी या तालाब की मिट्टी न मिल पाए, तो आप अपने घर के बगीचे या किसी साफ स्थान से भी मिट्टी ले सकते हैं। मिट्टी को अच्छी तरह गूंथने के बाद एकाग्र मन से शिवलिंग का निर्माण करें। शिवलिंग बहुत बड़ा नहीं होना चाहिए, बल्कि इतना हो कि आप उसे आसानी से स्थापित कर सकें और पूजा के बाद विसर्जित कर सकें। शिवलिंग बनाते समय शिव मंत्रों का जाप कर सकते हैं। शिवलिंग के साथ ही मां पार्वती, गणेश जी, कार्तिकेय जी और नंदी जी की छोटी प्रतिमाएं भी मिट्टी से बना सकते हैं।

सावन में पार्थिव शिवलिंग की पूजा किस विधि से करें?

पूजा शुरू करने से पहले हाथ में जल, फूल और चावल लेकर अपनी मनोकामना कहते हुए पूजा का संकल्प लें।
एक साफ चौकी पर लाल या सफेद वस्त्र बिछाकर उस पर पार्थिव शिवलिंग को स्थापित करें। शिवलिंग के पास गणेश जी, माता पार्वती, कार्तिकेय और नंदी की मूर्तियां या चित्र भी रख सकते हैं।
शिवलिंग पर सबसे पहले गंगाजल से अभिषेक करें, फिर दूध, दही, घी, शहद और चीनी मिलाकर बने पंचामृत से अभिषेक करें। अभिषेक करते समय 'ऊँ नमः शिवाय' मंत्र का जाप करते रहें।
पंचामृत स्नान के बाद फिर से शुद्ध जल से शिवलिंग का अभिषेक करें।
पूजा करने के दौरान 'महामृत्युंजय मंत्र' या 'ऊं नमः शिवाय' मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करें।
आखिर में भगवान शिव की आरती जरूर करें।
पूजा पूर्ण होने के बाद पार्थिव शिवलिंग का विसर्जन किसी पवित्र नदी में कर सकते हैं।

सावन में पार्थिव शिवलिंग की पूजा के नियम

पूजा के लिए चिकनी और साफ मिट्टी का चुनाव करें। उसमें किसी भी प्रकार के पत्थर, बालू आदि नहीं होने चाहिए।
मिट्टी में थोड़ा गंगाजल या पवित्र जल मिलाकर उसे गूंथ लें। मिट्टी इतनी गीली होनी चाहिए कि उससे शिवलिंग आसानी से बन सके।
शिवलिंग बनाते समय 'ऊं नमः शिवाय' मंत्र का जाप करते रहें। शिवलिंग का आकार अंगूठे के पोर से अधिक नहीं होना चाहिए। शिवलिंग के साथ-साथ माता पार्वती, गणेश जी और कार्तिकेय जी की छोटी-छोटी आकृतियां भी बनाई जा सकती हैं।
अपनी श्रद्धा अनुसार 1, 11, 21, 51, 108 या इससे भी अधिक पार्थिव शिवलिंग का निर्माण किया जा सकता है।

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सावन में पार्थिव शिवलिंग की पूजा का महत्व

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शास्त्रों के अनुसार, पार्थिव शिवलिंग की पूजा करने से व्यक्ति को कई गुना अधिक पुण्य की प्राप्ति होती है. पुराणों में उल्लेख है कि भगवान राम ने भी रावण का वध करने से पहले रामेश्वरम में पार्थिव शिवलिंग की स्थापना कर उसकी पूजा की थी। इसलिए सावन में पार्थिव शिवलिंग की पूजा का विशेष विधान है। इससे व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं।

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Image Credit- HerZindagi

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FAQ

  • सावन के महीने में शिवलिंग पर क्या नहीं चढ़ाना चाहिए?

    धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, शिवलिंग पर तुलसी का पत्ता चढ़ाना वर्जित माना गया है. ऐसा करने से महादेव रुष्ट हो सकते हैं और घर-परिवार पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकते हैं.
  • सावन में शिवलिंग पर क्या लगाएं?

    सावन के महीने में शिवलिंग पर काली मिर्च चढ़ाने से रोगों से छुटकारा मिलता है. वही शिवलिंग पर घी चढ़ाने से मानसिक ऊर्जा में सुधार होने के साथ आत्मविश्वास में भी इजाफा होता है. सावन के पवित्र महीने में शिवलिंग पर सरसों का तेल चढ़ाने से शत्रुओं का नाश होता है।