रोहिणी व्रत जैन धर्म में बहुत ही महत्वपूर्ण और पवित्र माना जाता है। वहीं, इस व्रत का हिन्दू धर्म में खासा महत्व मौजूद है। जहां एक ओर जैन धर्म में इस व्रत का पालन करते हुए भगवान वासुपूज्य की पूजा की जाती है तो वहीं, हिन्दू धर्म में इस व्रत का निर्वाहन करते हुए महिलाएं चंद्रमा की पूजा करती हैं क्योंकि रोहिणी चंद्र देव की पत्नी हैं। ऐसा माना जाता है कि रोहिणी व्रत का पालन करने से लंबी आयु, अच्छा स्वास्थ्य और परिवार की सुख-समृद्धि का वरदान मिलता है। ऐसे में ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से आइये जानते हैं कि इस साल कब रखा जाएगा रोहिणी व्रत और क्या है पूजा का शुभ मुहूर्त एवं महत्व।
रोहिणी व्रत 2025 कब है?
रोहिणी व्रत हर महीने पड़ता है क्योंकि यह रोहिणी नक्षत्र के उदय होने पर आधारित होता है, लेकी जून यानी कि आषाढ़ माह में पड़ने वाला रोहिणी व्रत बहुत खास माना जाता है। 2025 में जून महीने का रोहिणी व्रत 24 जून यानी कि मंगलवार के दिन पड़ रहा है।
इस दिन रोहिणी नक्षत्र पूरे दिन रहेगा, इसलिए व्रत इसी दिन किया जाएगा। व्रत का आरंभ रोहिणी नक्षत्र के उदय होने के साथ होगा और इसका समापन अगले नक्षत्र यानी मार्गशीर्ष नक्षत्र के उदय होने पर होगा।
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रोहिणी व्रत 2025 शुभ मुहूर्त
रोहिणी व्रत के दिन 24 जून को रोहिणी नक्षत्र दोपहर 12 बजकर 54 मिनट तक रहेगा। ऐसे में स्नान या दान के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 04:04 बजे से सुबह 04:44 बजे तक है जो ब्रह्म मुहूर्त का समय है। इसके अलावा, पूजा के लिए अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:33 बजे से दोपहर 12:28 बजे तक। इस दौरान भगवान विष्णु की पूजा करना इस दिन शुभ सिद्ध होगा। वहीं, अमृत काल सुबह 10:01 बजे से 11:27 बजे तक है और इस मुहूर्त में शुभ काम की शुरुआत लाभकारी होगी।
रोहिणी व्रत के दिन विजय मुहूर्त दोपहर 02:18 बजे से 03:12 बजे तक है। इस दौरान किये गए शुभ कामों में आपको विजय मिल सकती है। अगर आप अभिजीत मुहूर्त में पूजा न कर पाएं तो शाम के लिए भी पूजा का समय गोधुली मुहूर्त में है जो शाम 06:51 बजे से 07:11 बजे तक है। इस मुहूर्त में चंद्रमा की पूजा करना शुभ होगा। चंद्रमा के मंत्रों के जाप के साथ ही, चंद्रमा को अर्घ्य देकर रोहिणी सकट भेदन स्तोत्र का जाप करने से मानसिक शांति की प्राप्ति हो सकती है।
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रोहिणी व्रत 2025 महत्व
रोहिणी व्रत रखने से दांपत्य जीवन में खुशहाली आती है और घर-परिवार में प्रेम व शांति बनी रहती है। ज्योतिष के अनुसार, रोहिणी नक्षत्र के स्वामी चंद्रमा हैं और इस व्रत को करने से चंद्रमा से जुड़े दोष कम होते हैं जिससे मानसिक शांति और स्थिरता प्राप्त होती है। साथ ही, यह व्रत धन-धान्य में वृद्धि करता है और सभी प्रकार के कष्टों को दूर करने में सहायक माना जाता है। रोहिणी व्रत रखने से शांति प्राप्त होती है, तनाव दूर होता है, निर्णय लेने की क्षमता बढ़ती है और सौभाग्य जागता है।
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