सदियों से भारतीय सभ्यता न जाने कितने रहस्यवादी सत्यों, दैवीय अभिव्यक्तियों और अकथनीय चमत्कारों का घराना रही है। वास्तव में ये वो प्रमाण हैं तो आज भी कई वैज्ञानिक तर्कों को भी चुनौती दे सकते हैं। हालांकि विज्ञान भी ऐसी कई बातों का प्रमाण देने में असमर्थ है। ऐसी कथाएं न केवल हमारी आध्यात्मिक विरासत को दिखाती हैं, बल्कि कई बार वैज्ञानिक तर्कों को भी चुनौती देती हैं। अगर हम कलयुग की बात करें तो इस अवधि मन भगवान के अस्तित्व के बारे में विभिन्न मत और विचार देखने को मिलते हैं, जो व्यक्तिगत अनुभवों, धार्मिक ग्रंथों और दार्शनिक तर्कों पर आधारित हो सकते हैं। आज भी कुछ लोग इस बात को मानते हैं कि भगवान का अस्तित्व विभिन्न रूपों में है, जैसे कि प्राकृतिक सौंदर्य, आध्यात्मिक अनुभव, धार्मिक ग्रंथों और जीवन के अनगिनत स्वरुप ईश्वर की मौजूदगी का प्रमाण देते हैं। ये प्रमाण न केवल भगवान के अस्तित्व को दिखाते हैं, बल्कि हमारे जीवन को भी प्रभावित करते हैं। आइए आपको बताते हैं कुछ ऐसे प्रमाणों के बारे में जो कलयुग में ईश्वरीय उपस्थिति को दिखाते हैं।
जगन्नाथ पुरी का उल्टी दिशा में लहराने वाला ध्वज
जगन्नाथ मंदिर, पुरी के मुख्य शिखर के ऊपर लगा झंडा हमेशा हवा की विपरीत दिशा में लहराता है। वास्तव में यह किसी विरोधाभास से कम नहीं है और कहीं न कहीं विज्ञान भी इसका प्रमाण नहीं दे पा रहा है। वास्तव में यह भगवान की उपस्थिति को ही दिखाते हैं। जगन्नाथ मंदिर ऊर्जा का एक जीवंत केंद्र है जहां दैवीय नियम भौतिक नियमों से परे हैं। वास्तव में जगन्नाथ पुरी मंदिर का ध्वजा किसी चमत्कार से कम नहीं है और यह कलयुग में ईश्वर की उपस्थिति को दिखाता है।
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गंगाजल का कभी खराब न होना
गंगाजल को यदि आप कई सालों तक भी किसी बोतल में भरकर रख देती हैं तब भी यह कभी खराब नहीं होता है।
गंगाजल को जब आप बोतल में भरकर सालों तक के लिए रखती हैं, तो उसमें कभी दुर्गंध नहीं आती और न ही कीड़े पड़ते हैं। यह वास्तव में किसी चमत्कार से कम नहीं है क्योंकि आमतौर पर जल को आप यदि किसी स्थान पर रख दें या किसी भी नदी के जल को यदि आप बोतल में भरकर रख भी दें तो यह जल कुछ ही दिनों में खराब हो जाता है। वहीं गंगाजल में हमेशा ताज़गी, शुद्धता और सुगंध बनी रहती है, जो वास्तव में कलयुग में ईश्वर की उपस्थिति को दिखाता है।
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अमरनाथ का बर्फ से बनने वाला शिवलिंग
हिमालय की गहराई में, पवित्र अमरनाथ गुफा के अंदर, हर साल बिना किसी मानवीय प्रयास के बर्फ का शिवलिंग प्राकृतिक रूप से खुद ही तैयार हो जाता है। ज्योतिष की मानें तो यह चंद्रमा के चक्र के साथ बढ़ता और घटता है और समय के साथ ही गायब हो जाता है यह समय से फिर से वापस भी आ जाता है। वास्तव में यह भगवान शिव की मौजूदगी का संकेत है और यह बताता है कि आज भी स्वयं भगवान शिव मौजूद हैं जो पवित्र श्रावण महीने के दौरान अपने भक्तों को आशीर्वाद देने के लिए बर्फ के शिवलिंग के रूप में प्रकट होते हैं। हर साल, हजारों की संख्या में लोग भगवान के शुद्धतम, निराकार रूप को देखने के लिए तीर्थयात्रा करते हैं।
भगवान कृष्ण आज भी वृंदावन में हैं मौजूद
वृंदावन में आज भी रात के समय, खासतौर पर निधिवन में, किसी को भी रुकने की अनुमति नहीं है। अंधेरा होते ही इस स्थान को खाली कर दिया जाता है। ऐसा माना जाता है कि वृन्दावन में आज भी भगवान कृष्ण मौजूद हैं और रोज रात में गोपियों के साथ रास लीला करने आते हैं और ऐसी मान्यता है कि यहां मौजूद सभी पेड़-पौधे रात के समय गोपियों का रूप धारण कर लेते हैं। यही नहीं मंदिर के भीतर आज भी राधा रानी का श्रृंगार रोज सुबह बिखरा हुआ मिलता है और चादर पर सिलवटें मिलती हैं जो उस स्थान पर श्री कृष्ण की मौजूदगी को दिखाते हैं।
वास्तव में ये कुछ ऐसे संकेत हैं जो कलयुग में ईश्वर की मौजूदगी को दिखाते हैं। आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर शेयर और लाइक जरूर करें। इसी तरह और भी आर्टिकल पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी से। अपने विचार हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।
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