Kharmas 2025 mein kaun se dharmik kaam kare

Kharmas Niyam 2025: खरमास में कौन-कौन से धार्मिक काम करने चाहिए? जानें लाभ

Kharmas ke Nyam 2025: शास्त्रों में खरमास के समय को आत्म-चिंतन, तपस्या और भक्ति के लिए सर्वश्रेष्ठ बताया गया है। इस दौरान कुछ विशिष्ट धार्मिक कार्य करने से कई गुना अधिक पुण्य और लाभ प्राप्त होता है। 
Editorial
Updated:- 2025-12-12, 11:17 IST

खरमास उस समय को कहा जाता है जब सूर्य धनु राशि में प्रवेश करते हैं और अगले तीस दिनों तक वहीं रहते हैं। ज्योतिषीय गणना के अनुसार, यह समय बृहस्पति ग्रह के प्रभाव के कारण शुभ कार्यों के लिए उपयुक्त नहीं माना जाता। हालांकि, इसका मतलब यह नहीं है कि यह अवधि धार्मिक रूप से खाली होती है। बल्कि शास्त्रों में इस समय को आत्म-चिंतन, तपस्या और भक्ति के लिए सर्वश्रेष्ठ बताया गया है। इस दौरान कुछ विशिष्ट धार्मिक कार्य करने से कई गुना अधिक पुण्य और लाभ प्राप्त होता है। आइये जानते हैं इस बारे में वृंदावन के ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से।

खरमास में किए जाने वाले शुभ धार्मिक कार्य 

ईश्वर की उपासना और नाम जप: इस दौरान भगवान विष्णु की पूजा विशेष रूप से फलदायी मानी जाती है। रोज़ाना तुलसी की माला से 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र का जाप करें। साथ ही, सूर्योदय के समय भगवान सूर्य को जल अर्पित करना भी शुभ होता है। नाम जप और उपासना करने से मन शुद्ध होता है, नकारात्मकता दूर होती है और भगवान का आशीर्वाद प्राप्त होता है जिससे जीवन में शांति और मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है।

Kharmas 2025 niyam

धार्मिक ग्रंथों का पाठ: खरमास में श्रीमद्भगवद्गीता, रामचरितमानस, और विष्णु सहस्त्रनाम जैसे पवित्र ग्रंथों का नियमित पाठ करना चाहिए। इन ग्रंथों का पाठ करने से ज्ञान की प्राप्ति होती है, जीवन की समस्याओं को समझने की शक्ति मिलती है और मानसिक तनाव कम होता है।

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दान और परोपकार: यह समय दान-पुण्य के लिए उत्तम है। इस दौरान गरीबों और जरूरतमंदों को वस्त्र, अन्न जैसे कि चावल, दाल, तिल, गुड़ और कंबल का दान करना चाहिए। दान करने से पुण्य संचित होता है। खरमास में किए गए दान का फल अक्षय माना जाता है जिससे आर्थिक परेशानियां दूर होती हैं और ग्रह दोष शांत होते हैं।

Kharmas 2025 ke niyam

तीर्थ यात्रा और पवित्र नदियों में स्नान: अगर संभव हो तो इस अवधि में पवित्र नदियों जैसे गंगा, यमुना, गोदावरी आदि में स्नान करें या तीर्थ स्थानों जैसे वृंदावन, खाटू श्याम, वैष्णों देवी आदि की यात्रा करें। तीर्थ स्नान को आत्म-शुद्धि का साधन माना गया है। इससे सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है और आध्यात्मिक उन्नति होती है।

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image credit: herzindagi 

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