नवरात्रि के दौरान कलश स्थापना करना विशेष महत्व होता है। इसी के साथ लोग अखंड ज्योति जलाते हैं। इससे नवरात्रि के दिनों में सकारात्मक ऊर्जा घर में बनी रहती है। शारदीय नवरात्रि के समापन के बाद रखे गए कलश का विसर्जन किया जाता है। इसके लिए विधि, तारीख, मंत्र और पूजा महत्व का खास ध्यान रखना जरूरी है, ताकि आप सही समय पर कलश विसर्जन कर सके। ऐसा करने से आपके ऊपर हमेशा माता रानी का आशीर्वाद बना रहेगा। साथ ही आपकी पूजा पूरी मानी जाएगी। आइए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।
कलश विसर्जन दशमी तिथि में होगा। ऐसे में 2 अक्टूबर को कलश को लोग विसर्जन करेंगे। इसकी सही तिथि की बात करें तो दशमी तिथि का मुहूर्त 1 अक्टूबर को शाम 7:01 बजे से लेकर 2 अक्टूबर शाम 7: 10 तक रहेगा। ऐसे में आप 2 अक्टूबर को पूरे दिन कलश विसर्जन कर सकते हैं। इससे आपकी पूजा भी सही मुहूर्त में संपन्न होगी।
कलश को उठाते समय आपको कई सारे ऐसे मंत्र हैं, जिनका जाप जरूर करना चाहिए। इससे आपके कलश की ऊर्जा सकारात्मक बनी रहती है। इस बार आप, 'आवाहनं न जानामि न जानामि विसर्जनम्। पूजां चैव न जानामि क्षमस्व परमेश्वर॥ मंत्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं जनार्दन। फिर ' ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे' मंत्रों का जाप करें।
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