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Navratri Kalash Visarjan 2025: नवरात्रि समापन के बाद कब करें कलश विसर्जन? यहां जानें विधि-तारीख, मंत्र और पूजा का महत्व

शारदीय नवरात्रि में लोग घरों में कलश की स्थापना करते हैं। जब 10 दिन पूरे हो जाते हैं, तो इसको विसर्जन किया जाता है। ऐसे में आप भी जानें की किस तारीख में आप कलश विसर्जन कर सकते हैं, और इसकी महत्व क्या है?
Editorial
Updated:- 2025-10-01, 14:11 IST

नवरात्रि के दौरान कलश स्थापना करना विशेष महत्व होता है। इसी के साथ लोग अखंड ज्योति जलाते हैं। इससे नवरात्रि के दिनों में सकारात्मक ऊर्जा घर में बनी रहती है। शारदीय नवरात्रि के समापन के बाद रखे गए कलश का विसर्जन किया जाता है। इसके लिए विधि, तारीख, मंत्र और पूजा महत्व का खास ध्यान रखना जरूरी है, ताकि आप सही समय पर कलश विसर्जन कर सके। ऐसा करने से आपके ऊपर हमेशा माता रानी का आशीर्वाद बना रहेगा। साथ ही आपकी पूजा पूरी मानी जाएगी। आइए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।

कलश विसर्जन की तारीख 

कलश विसर्जन दशमी तिथि में होगा। ऐसे में 2 अक्टूबर को कलश को लोग विसर्जन करेंगे। इसकी सही तिथि की बात करें तो दशमी तिथि का मुहूर्त 1 अक्टूबर को शाम 7:01 बजे से लेकर 2 अक्टूबर शाम 7: 10 तक रहेगा। ऐसे में आप 2 अक्टूबर को पूरे दिन कलश विसर्जन कर सकते हैं। इससे आपकी पूजा भी सही मुहूर्त में संपन्न होगी।

Kalash

कलश विसर्जन करते समय किन मंत्रों का करें जाप

कलश को उठाते समय आपको कई सारे ऐसे मंत्र हैं, जिनका जाप जरूर करना चाहिए। इससे आपके कलश की ऊर्जा सकारात्मक बनी रहती है। इस बार आप, 'आवाहनं न जानामि न जानामि विसर्जनम्। पूजां चैव न जानामि क्षमस्व परमेश्वर॥ मंत्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं जनार्दन। फिर ' ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे' मंत्रों का जाप करें।

कलश विसर्जन की पूजा विधि

  • इसके लिए आपको सबसे पहले कलश के ऊपर रखा हुआ नारियल उठाना है।
  • फिर उसे प्रसाद स्वरूप सभी में बांट दें।
  • इसके बाद कलश के जल को पूरे घर में छिड़कें।
  • इसके बाद बचे हुए जल को आपको पेड़ों में डाल देना है।
  • अब आपको जिस जगह पर कलश रखा था, वहां पर पैसे या कीमती सामान को रखना है।
  • साल भर तक जौ को घर में ही रखे रहें।
  • इसके बाद कलश को नदी में प्रवाहित कर दें।

Kalash sthapana

 

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कलश विसर्जन की क्या है महत्व?

  • पूजा के बाद कलश विसर्जन करने से देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
  • कलश को जल में प्रवाहित करके, उन आविवाहित देवताओं को सम्मान पूर्वक उनके लोक में विदा कर रहे हैं। यह बताता है कि पूजा सफलतापूर्वक संपन्न हुई है।
  • कलश विसर्जन से पहले इन जवारों में से कुछ को निकालकर तिजोरी पर रखा जाता है।
  • यह मान्यता है कि ऐसा करने से माँ अन्नपूर्णा की कृपा बनी रहती है और पूजा के दौरान लिया गया संकल्प पूर्ण होता है।

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