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Navratri Ke Jaware: नवरात्रि में कलश के पास जवारे ही क्यों उगाए जाते हैं? इसके रहस्य से जुड़ी बातें नहीं जानती होंगी आप

नवरात्रि पूजन के साथ इस दौरान कलश के पास ज्वारे उगाने की प्रथा सदियों से चली आ रही है। आइए आपको बताते हैं इसके कारण, महत्व और इससे जुड़े कुछ रहस्यों के बारे में।
Editorial
Updated:- 2025-09-22, 07:01 IST

नवरात्रि हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है जिसमें माता दुर्गा के नौ स्वरूपों की विधि पूर्वक पूजा-अर्चना की जाती है। इस पवित्र त्योहार के दौरान कलश स्थापना के साथ जवारे उगाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। ऐसी मान्यता है कि यह पूजा का एक स्वरूप ही नहीं है बल्कि घर को धन धान्य से पूर्ण करने का भी संकेत देते हैं। नवरात्रि के जवारे जितने हरे-भरे और घने होते हैं घर में उतनी ही खुशहाली आती है। हमारे मन में भी जवारे उगाने की परंपरा को लेकर कई सवाल आते हैं कि आखिर क्यों कई और अनाज नहीं बल्कि ज्वारे ही नवरात्रि में उगाने की परंपरा है। आइए जानते हैं कि नवरात्रि में कलश के पास जवारे उगाने का क्या महत्व है और यह क्यों विशेष रूप से पूजा का हिस्सा होता है। इसके महत्व के बारे में हमारे पुराणों में भी कई बातें मिलती हैं। आइए ज्योतिर्विद पंडित रमेश भोजराज द्विवेदी से जानें इसके रहस्य के बारे में और इसके नवरात्रि में पूजन के रहस्य के बारे में कुछ बातें।

नवरात्रि के दौरान जवारे उगाने का धार्मिक महत्व

प्राचीन मान्यताओं के अनुसार, ज्वार या जौ को उर्वरता, समृद्धि और नए जीवन का प्रतीक माना जाता है। नवरात्रि के समय आप घर में कलश स्थापित करती हैं  तब उसके पास ज्वार बोना बहुत शुभ माना जाता है। यह नए जीवन के आगमन और सकारात्मक ऊर्जा का संकेत देता है। ऐसा कहा जाता है कि मां दुर्गा की कृपा से ही ये ज्वार तेजी से अंकुरित होते हैं और उनका हरा-भरा होना घर में खुशहाली, समृद्धि और शांति लाता है।

jaware kaise ugaye jate hain

पौराणिक कथा की मानें तो जब मां दुर्गा ने दैत्यों का संहार किया था, तब धरती अकाल और सूखे की स्थिति में थी। उसी समय पहली फसल के रूप में धरती पर जौ उगा था, इसी वजह से आज भी इसे माता दुर्गा की कृपा का प्रतीक माना जाता है और इसे आज भी समृद्धि के संकेत के रूप में देखा जाता है। ज्वार उगाने से यह संकेत मिलता है कि मां दुर्गा की  पूजा सफल है और उनका आशीर्वाद परिवार पर बना हुआ है।

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नवरात्रि के दौरान जवारे उगाने की धार्मिक कथा क्या है?

भारतीय मान्यताओं के अनुसार, जब हमारी सृष्टि का आरंभ हुआ, तो उगने वाली पहली फसल जौ थी। आज भी इसे संपूर्ण फसल माना जाता है। हवन अनुष्ठानों के दौरान इसे देवी-देवताओं को भोग के रूप में अर्पित किया जाता है। इस जौ जिसे ज्वार भी कहा जाता है को नवरात्रि के दौरान कलश स्थापना के समय उसके नीचे रेत डालकर उगाया जाता है। जौ बोने की यह प्रथा हमें अपने अन्न और धान्य का सदैव सम्मान करना सिखाती है। इसी वजह से हम बसंत ऋतु की इस पहली फसल को माता दुर्गा को अर्पित करते हैं। नवरात्रि में जौ बोने के 2-3 दिन बाद से ही जवारे हरे होने लगते हैं जो किसी रहस्य से कम नहीं हैं और यह इस बात का संकेत भी देते हैं कि आपका घर भविष्य में खुशहाली से भरा रहने वाला है।

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significance of barley in navratri

कलश स्थापना के दौरान जवारे कैसे उगाए जाते हैं

नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना के समय मिट्टी के पात्र में मिट्टी भरी जाती है और इसे गंगाजल से शुद्ध किया जाता है। मिट्टी को साफ करने के बाद इसमें ज्वार या जौ के बीज बोए जाते हैं। इसके बाद शुद्ध जल छिड़का जाता है और कलश में सुपारी, दूर्वा, चावल, सिक्का, हल्दी आदि सामग्री डालकर कलश के ऊपर एक जटाओं वाला नारियल रखा जाता है। इस पूरे आयोजन को सही विधि से करना बहुत शुभ माना जाता है। नौ दिनों तक इन जवारों को नियमित जल देना जरूरी होता है। इस दौरान जवारे तेजी से बढ़ते हैं और हरे-भरे होकर पूजा स्थल में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करते हैं।

नवरात्रि के जवारे जितने भी ज्यादा हरे-भरे होते हैं घर में उतनी ही अधिक खुशहाली बनी रहती है। अगर आप भी घर में इन्हें उगाती हैं तो यह बहुत शुभ संकेत लेकर आते हैं।
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