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December Ekadashi Dates 2024: दिसंबर में कब-कब रखा जाएगा एकादशी का व्रत, यहां जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि समेत अन्य बातें

साल 2024 के दिसंबर महीने में दो प्रमुख एकादशी व्रत रखे जाएंगे। मोक्षदा और सफला। इन दोनों ही एकादशी व्रत की सही तिथियों, पूजा के शुभ मुहूर्त और महत्व के बारे में यहां विस्तार से जानें।
Editorial
Updated:- 2024-12-11, 11:36 IST

हिंदू धर्म में पड़ने वाली कोई भी तिथि विशेष महत्व रखती हैं, जिनमें से एक है एकादशी। इस तिथि को विशेष रूप से पूजनीय माना जाता है और इस दिन कई लोग उपवास करते हैं।

हर महीने दो एकादशी तिथियां होती हैं, पहली शुक्ल पक्ष में और दूसरी कृष्ण पक्ष में। इन तिथियों में विशेष रूप से भगवान विष्णु की पूजा का विधान है और उन्हें पूजा के साथ भोग भी अर्पित किया जाता है।

पूरे साल में 24 एकादशी मनाई जाती हैं, वहीं यदि किसी साल में मलमास यानी अतिरिक्त महीना होता है तो उस साल 26 एकादशी पड़ती हैं। ऐसी मान्यता है कि जो भी व्यक्ति इस व्रत का पालन विधि-विधान से करता है और इसके सही नियमों का पालन करता है उसकी सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। हर महीने की तरह दिसंबर में भी दो एकादशी तिथियां मनाई जाएंगी। पहली मोक्षदा और दूसरी सफला। आइए ज्योतिर्विद पंडित रमेश भोजराज दिवेदी से जानें दिसंबर की दोनों एकादशी की तिथियों, पूजा के शुभ मुहूर्त और अन्य जानकारियों के बारे में विस्तार से।

दिसंबर में मोक्षदा एकादशी 2024 कब है?

mokshda ekadashi vrat 2024

हिंदू पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष महीने के शुक्ल पक्ष के ग्यारहवें दिन मोक्षदा एकादशी मनाई जाएगी। इस साल यह तिथि 11 दिसंबर, बुधवार को है।
मोक्षदा एकादशी आरंभ- 11 दिसंबर, बुधवार, प्रातः 03 बजकर 42 मिनट पर
मोक्षदा एकादशी का समापन- 12 दिसंबर। गुरुवार, प्रातः 01 बजकर 09 मिनट तक।
उदया तिथि की मानें तो मोक्षदा एकादशी 11 दिसंबर को ही मनाना शुभ होगा और इसी दिन उपवास रखा जाएगा।
मोक्षदा एकादशी व्रत का पारण- इस एकादशी तिथि के व्रत का पारण 12 दिसंबर, गुरुवार प्रातः 7:05 से 9:05 तक। आपके लिए इसी दौरान व्रत का पारण करना शुभ होगा।

दिसंबर में सफला एकादशी 2024 कब है?

ekadashi 2024 vrat vidhi

दिसंबर महीने में दूसरी एकादशी तिथि हिंदी पौष महीने के शुक्ल पक्ष की सफला एकादशी है। यह एकादशी 26 दिसंबर, गुरुवार को मनाई जाएगी।
सफला एकादशी तिथि का आरंभ- 25 दिसंबर 2024, रात्रि 11 बजकर 29 मिनट से
सफला एकादशी तिथि समापन-  27 दिसंबर 2024, प्रात: 12.43 तक
उदया तिथि के अनुसार सफला एकादशी 26 दिसंबर, गुरुवार को मनाई जाएगी और इस व्रत का पारण समय 27 दिसंबर को है।

हिंदू धर्म में मोक्षदा और सफला एकादशी का महत्व

हिंदू धर्म के अनुसार मोक्षदा और सफला एकादशी दोनों का विशेष महत्व है। मोक्षदा एकादशी मार्गशीर्ष महीने के शुक्ल पक्ष में मनाई जाती है और इसे आत्मा की शुद्धि और मोक्ष प्राप्ति का विशेष अवसर माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने से पापों का नाश होता है और व्यक्ति को ईश्वर की कृपा प्राप्त होती है। साथ ही, यह तिथि गीता जयंती के रूप में भी जानी जाती है, क्योंकि इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था।

वहीं, सफला एकादशी पौष महीने के कृष्ण पक्ष में मनाई जाती है। इसे जीवन में सफलता और समृद्धि पाने का विशेष दिन माना जाता है। इस दिन व्रत रखने और भगवान विष्णु की आराधना करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। ज्योतिष में यह दिन भौतिक और आध्यात्मिक उन्नति के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।

इन दोनों ही एकादशी तिथियों पर व्रत, ध्यान और दान-पुण्य करने का विशेष महत्व है। ऐसा माना जाता है कि इन तिथियों पर श्रद्धा और भक्ति से की गई आराधना व्यक्ति को पापमुक्त करके मोक्ष और सफलता का मार्ग प्रशस्त करती है।

एकादशी व्रत की पूजा विधि क्या है?

december ekadashi puja vidhi 2024

एकादशी व्रत की पूजा विधि हिंदू धर्म में बहुत पवित्र और शुभ मानी जाती है। मान्यता है कि इस व्रत का पालन करने वाले व्यक्ति को एक दिन पहले यानी दशमी तिथि से ही सात्विक भोजन करना चाहिए और मन को शांत रखते हुए व्रत का संकल्प लेना चाहिए।

  • किसी भी एकादशी तिथि के दिन प्रातः जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इसके बाद घर के मंदिर की अच्छी तरह से सफाई करें और किसी चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर विष्णु जी की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें।
  • विष्णु जी की मूर्ति के सामने घी का दीपक जलाकर पूजा आरंभ करें। विष्णु जी को पीले फूल, तुलसी पत्र, धूप, दीप, चंदन और नैवेद्य आदि अर्पित करें। यही नहीं यदि आप पूजा के समय भी पीले वस्त्र धारण करें तो अत्यंत शुभ माना जाता है।
  • एकादशी के दिन विष्णु सहस्रनाम या भगवद्गीता का पाठ करना बहुत शुभ माना जाता है। पूजा के दौरान 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र का जाप करें और भगवान विष्णु से अपनी मनोकामना पूर्ति की प्रार्थना करें। पूजा के समय एकादशी व्रत की कथा का पाठ अवश्य करें।
  • यदि संभव हो, तो दिनभर उपवास रखें और फलाहार या जल का सेवन करें। यदि आप व्रत न भी करें तो एकादशी के दिन चावल का सेवन न करें। शाम के समय पुनः भगवान विष्णु की पूजा और आरती करें।
  • एकादशी व्रत का पारण अगले दिन यानी द्वादशी तिथि के दिन शुभ मुहूर्त में करने की सलाह दी जाती है। एकादशी व्रत श्रद्धा और भक्ति से करने से जीवन में शांति, पापों का नाश और ईश्वर की कृपा प्राप्त होती है।

यदि आप भी एकादशी व्रत का पालन करते हैं तो यहां बताई बातों का ध्यान रखना जरूरी है। आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर शेयर और लाइक जरूर करें। इसी तरह और भी आर्टिकल पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी से। अपने विचार हमें कमेंट बॉक्स में जरूर भेजें।

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