May First Pradosh Vrat 2025: मई महीने के पहले प्रदोष व्रत के दिन चंद्रदेव की पूजा किस विधि से करें, जानें सामग्री और महत्व

हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती के साथ-साथ चंद्रदेव की पूजा का भी विधान है। अब ऐसे में इस दिन चंद्रदेव की पूजा किस विधि से करने से लाभ हो सकता है। इसके बारे में इस लेख में विस्तार से जानते हैं। 
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हिंदू धर्म में चंद्रदेव को मन का कारक माना जाता है। वे शीतलता, शांति और सौंदर्य के प्रतीक हैं। उनकी पूजा से मानसिक शांति, प्रसन्नता और सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है। भगवान शिव अपने मस्तक पर चंद्रमा को धारण करते हैं, इसलिए उनका चंद्रदेव से गहरा संबंध है। प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा के साथ-साथ चंद्रदेव की पूजा करना शुभ माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, ऐसा माना जाता है कि प्रदोष व्रत की शुरुआत स्वयं चंद्रदेव ने की थी। अपने ससुर दक्ष प्रजापति के श्राप के कारण उन्हें क्षय रोग हो गया था। नारद मुनि के कहने पर उन्होंने त्रयोदशी तिथि को भगवान शिव की प्रदोष काल में पूजा की, जिससे उन्हें इस रोग से मुक्ति मिली। इस कथा के कारण भी प्रदोष व्रत के दिन चंद्रदेव की पूजा का विशेष महत्व है। आइए इस लेख में विस्तार से ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।

चंद्रदेव की पूजा के लिए सामग्री क्या-क्या लगेगा?

  • चंद्रदेव की मूर्ति या चित्र।
  • आसन
  • शुद्ध जल
  • गंगाजल
  • सफेद चंदन
  • सफेद फूल
  • दीपक
  • धूप
  • नैवेद्य
  • चावल
  • रोली
  • कलावा
  • चांदी या पीतल का कलश
  • दूध
  • घी
  • तिल
  • गुड़

प्रदोष व्रत के दिन चंद्रदेव की पूजा किस विधि से करें?

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  • प्रदोष काल में स्नान करें और स्वच्छ, सफेद वस्त्र धारण करें। सफेद रंग चंद्रमा को प्रिय है।
  • पूजा के स्थान को गंगाजल या स्वच्छ जल से शुद्ध करें।
  • एक चौकी पर सफेद कपड़ा बिछाएं और उस पर चंद्रदेव की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
  • चंद्रदेव की प्रतिमा को सफेद चंदन का तिलक लगाएं।
  • चंद्रदेव को सफेद फूल चढ़ाएं।
  • चंद्रदेव के सामने धूप और घी का दीपक जलाएं।
  • चंद्रदेव को खीर, दूध, दही और फल का नैवेद्य अर्पित करें।
  • चांदी के लोटे में दूध, जल, सफेद फूल और थोड़ा सा केसर डालकर चंद्रदेव को अर्घ्य दें।
  • अर्घ्य देते समय चंद्रदेव के मंत्रों का जाप करें।
  • ऊंश्रांश्रींश्रौंसःचन्द्रमसेनमः
  • ऊंसोमसोमायनमः
  • ऊंक्षीरपुत्रायविद्महेअमृततत्वायधीमहि,तन्नोचन्द्रःप्रचोदयात्।
  • पूजा करने के बाद प्रदोष व्रत की कथा सुनें।
  • आखिर में चंद्रदेव की आरती करें।

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प्रदोष व्रत के दिन चंद्रदेव की पूजा का महत्व

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ऐसा माना जाता है कि सबसे पहले चंद्रदेव ने ही प्रदोष व्रत किया था। उन्हें श्राप के कारण क्षय रोग हो गया था, जिससे मुक्ति पाने के लिए उन्होंने त्रयोदशी तिथि पर भगवान शिव की आराधना की और प्रदोष व्रत रखा। भगवान शिव और माता पार्वती की कृपा से चंद्रदेव रोगमुक्त हुए और उन्हें वापस जीवन मिला। इसी कारण, प्रदोष व्रत के दिन चंद्रदेव की पूजा का महत्व है। जिन लोगों की कुंडली में चंद्रमा कमजोर होता है, उन्हें विशेष रूप से प्रदोष व्रत के दिन चंद्रदेव की पूजा करने से लाभ हो सकता है।

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Image Credit- HerZindagi

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