(mauni amavasya 2024 vrat katha) माघ माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को माघ अमावस्या और मौनी अमावस्या कहा जाता है। इस दिन पवित्र नदी में स्नान करने का विशेष महत्व है। शास्त्रों में इस दिन का विशेष महत्व है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन स्नान-दान करने से हजारों गुणा पुण्य फल मिल सकता है। इस दिन ग्रह दोषों से छुटकारा पाने के लिए शुभ दिन है। इस दिन स्नान करने के बाद सूर्यदेव को जल में दूध, तिल और गुड़ डालकर अर्घ्य देने से व्यक्ति की सभी परेशानियां दूर हो सकती है।
अब ऐसे में इस दिन व्रत रखने के दौरान कथा सुनने और पढ़ने का विशेष महत्व है। इससे भगवान विष्णु की कृपा बनी रहती है। आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।
मौनी अमावस्या के दिन जरूर पढ़ें ये व्रत कथा (Mauni Amavasya Vrat Katha 2024)
प्राचीनकाल में एक समय की बात है कि कांचीपुरी में देवस्वामी नामक एक ब्राह्मण रहता था। उनकी धकर्मपत्नी बहुत गुणवान थी। दांपत्ति को 7 पुत्र और एक पुत्री थी। वहीं देवस्वामी ने अपनी पुत्री के विवाह के लिए एक ज्योतिष से सलाह ली। ज्योतिष ने कुंडली देखकर ब्राह्मण को ग्रह दशा (ग्रहदोष उपाय) के बारे में बताया। इस दौरान ज्योतिष ने बताया कि विवाह के बाद कन्या विधवा हो जाएगा। उसके बाद यह बात सुनकर ब्राह्मण दंपत्ति चिंता में रहने लग गए, लेकिन ज्योतिष ने उन्हें समस्या का समाधान भी बताया।
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ज्योतिष ने ब्राह्मण को सलाह दी कि सिंहलद्वीप की धोबिन सोमा की पूजा करने से दोष दूर किया जा सकता है। फिर देवस्वामी ने धोबिन को घर बुलाकर उनकी पूजा की। ब्राह्मण देवस्वामी के अतिथि सत्कार से धोबिन खुश हो गई और उसने पुत्री के पति को जीवनदान दिया। समय के बाद जब ब्राह्मण की पुत्री के पति की मृत्यु हुई, तो धोबिन के वरदान से वह दोबारा जीवित हो उठा, लेकिन जब धोबिन की पूजा करने का पुण्य क्षीर हो गया, तो पुन: उसके पति की मृत्यु हो गई। उस समय ब्राह्मण दांपत्ति ने पीपल के पेड़ के नीचे बैठकर मौनी अमावस्या के दिन भगवान विष्णु (भगवान विष्णु मंत्र) की पूजा विधिवत रूप से की । ऐसा करने से वह दोबारा जीवित हो उठे।
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व्रत के दौरान जरूर पढ़ें ये मंत्र (Chant These Mantras During Vrat Katha)
मौनी अमावस्या के दिन व्रत के दौरान इस मंत्र का विशेष रूप से जाप करें।
- ॐ नमो गंगायै विश्वरूपिण्यै नारायण्यै नमो नमः
- गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती। नर्मदे सिन्धु कावेरी जले अस्मिन् सन्निधिम् कुरु।।
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