हरियाली तीज का त्योहार सुहागिन महिलाओं के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है। यह त्योहार भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन का प्रतीक है और इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु, सुख-समृद्धि और अखंड सौभाग्य के लिए निराहार व्रत रखती हैं। यह व्रत बहुत निष्ठा और भक्ति के साथ किया जाता है और ऐसी मान्यता है कि यदि इसमें कोई गलती हो जाए तो व्रत खंडित हो सकता है जिससे व्रत का पूरा फल नहीं मिलता। इस साल हरियाली तीज का व्रत 27 जुलाई को रखा जाएगा। ऐसे में हर सुहागिन महिला को हरियाली तीज पर कुछ खास बातों का ध्यान रखना चाहिए ताकि उनका व्रत सफल हो सके। ऐसे में ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से आइये जानते हैं कि हरियाली तीज पर क्या करें और क्या न करें।
हरियाली तीज का व्रत निर्जला रखा जाता है जिसका अर्थ है कि दिन भर पानी की एक बूंद भी नहीं पीनी चाहिए। कुछ महिलाएं गलती से पानी या फलों का सेवन कर लेती हैं जिससे व्रत खंडित हो सकता है। गर्भवती महिलाएं या स्वास्थ्य कारणों से असमर्थ महिलाएं डॉक्टर की सलाह पर ही व्रत रखें और फलाहार या जल ग्रहण कर सकती हैं, लेकिन स्वस्थ महिलाओं को निर्जला व्रत का पालन करना चाहिए।
इस दिन मन को शांत और पवित्र रखना बहुत जरूरी है। क्रोध करना, अपशब्द बोलना या किसी से वाद-विवाद करना व्रत के नियमों के विरुद्ध माना जाता है। ऐसा करने से व्रत का फल नष्ट हो सकता है। हरियाली तीज पर दिन में सोना वर्जित माना जाता है। माना जाता है कि ऐसा करने से व्रत का पूरा पुण्य नहीं मिलता। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का ध्यान और भजन-कीर्तन करना चाहिए।
इस शुभ दिन पर काले या सफेद रंग के कपड़े पहनना अशुभ माना जाता है। हरा रंग इस दिन विशेष रूप से महत्वपूर्ण होता है क्योंकि यह हरियाली, प्रकृति और सौभाग्य का प्रतीक है। लाल, पीला, गुलाबी जैसे चमकीले और शुभ रंग के वस्त्र धारण करने चाहिए। हरियाली तीज का त्योहार सोलह श्रृंगार का प्रतीक है। इस दिन महिलाओं को पूरा श्रृंगार करना चाहिए और हाथों में मेहंदी लगानी चाहिए।
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कुछ महिलाएं श्रृंगार नहीं करतीं जिससे व्रत अधूरा माना जा सकता है। यह त्योहार सौभाग्य और सुहाग से जुड़ा है, इसलिए श्रृंगार का विशेष महत्व है। व्रत के बाद, अन्न और जल का दान करना बहुत शुभ माना जाता है। जो महिलाएं दान नहीं करतीं उनके व्रत का फल अधूरा रह सकता है। यह व्रत वैवाहिक जीवन के लिए रखा जाता है। इसलिए, इस दिन जीवनसाथी के साथ विवाद या झगड़ा न करें।
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इस दिन सुई-धागे या कैंची जैसी नुकीली चीजों का प्रयोग करने से बचना चाहिए। ऐसी मान्यता है कि इससे नकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और यह व्रत की पवित्रता को भंग कर सकता है। कुछ मान्यताओं के अनुसार, इस दिन तुलसी के पत्ते तोड़ना भी अशुभ माना जाता है। तुलसी को देवी लक्ष्मी का रूप माना जाता है और इस दिन उन्हें परेशान करने से बचना चाहिए।
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