मंगला गौरी व्रत सावन महीने के हर मंगलवार को रखा जाता है और यह देवी पार्वती जिनका एक नाम गौरी भी है, उन्हें समर्पित है। मंगला गौरी व्रत सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र, अच्छे स्वास्थ्य और सुखी वैवाहिक जीवन की कामना करते हुए रखती हैं। वहीं, अविवाहित लड़कियां मनपसंद जीवनसाथी और शीघ्र विवाह के लिए यह व्रत रखती हैं। ऐसा माना जाता है कि मंगला गौरी व्रत रखने से कुंडली में मंगल दोष के नकारात्मक प्रभाव कम होते हैं और घर में सुख, समृद्धि और शांति बनी रहती है। ऐसे में ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से आइये जानते हैं कि इस साल कब से शुरू हो रहा है मंगला गौरी व्रत, किन तिथियों पर होगी माता पार्वती की पूजा और क्या है इस व्रत को रखने के लाभ।
मंगला गौरी व्रत 2025 कब है?
सावन माह में पड़ने वाले मंगलवार के दिन मंगला गौरी व्रत रखा जाता है। ऐसे में इस साल मंगला गौरी व्रत का आरंभ सावन माह के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि यानी कि 15 जुलाई से होगा।
सावन कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि यानी कि मंगला गौरी व्रत के दिन का आरंभ ब्रह्म मुहूर्त से होगा और इसका समापन रात 10 बजकर 38 मिनट पर होगा। इस दिन माता गौरी की पूजा की जाएगी।
मंगला गौरी व्रत 2025 की तिथियां
इस बार सावन माह में चार मंगलवार पड़ेंगे यानी कि 4 मंगला गौरी व्रत रखे जाएंगे। ऐसे में आप यहां मंगला गौरी व्रत की तिथियां और पूजा के लिए उस दिन का शुभ मुहूर्त जान सकते हैं।
अंग्रेजी तिथि | दिन | हिंदी तिथि | शुभ मुहूर्त |
15 जुलाई 2025 | मंगलवार | श्रावण कृष्ण पक्ष पंचमी | अभिजित मुहूर्त 11:59 AM से 12:55 PM |
22 जुलाई 2025 | मंगलवार | श्रावण कृष्ण पक्ष द्वादशी | अभिजित मुहूर्त 11:37 AM से 12:31 PM तक |
29 जुलाई 2025 | मंगलवार | श्रावण शुक्ल पक्ष पंचमी | अभिजित मुहूर्त 11:38 AM से 12:31 PM तक |
5 अगस्त 2025 | मंगलवार | श्रावण शुक्ल पक्ष द्वादशी | अभिजीत मुहूर्त 12:00 PM से 12:54 PM तक |
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मंगला गौरी व्रत 2025 का महत्व
मंगला गौरी व्रत रखने से विवाहित महिलाओं के वैवाहिक जीवन में सुख-शांति और समृद्धि आती है। इस व्रत को रखने से पति को लंबी आयु मिलती है और उनका स्वास्थ्य अच्छा रहता है।
ऐसी मान्यता है कि देवी पार्वती जिन्होंने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए घोर तपस्या की थी, इस व्रत को करने वाली सुहागिन महिलाओं को अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद देती हैं।
यह पति-पत्नी के रिश्ते में प्रेम, समझ और तालमेल को बढ़ाता है जिससे गृहस्थी खुशहाल रहती है। अविवाहित कन्याओं के लिए मंगला गौरी व्रत शीघ्र विवाह और मनपसंद जीवनसाथी की प्राप्ति के लिए अत्यंत प्रभावी माना जाता है।
जो लड़कियां योग्य वर की तलाश में हैं या विवाह में किसी प्रकार की बाधा का सामना कर रही हैं उन्हें यह व्रत पूरी श्रद्धा से करने की सलाह दी जाती है। देवी पार्वती की कृपा से उनकी इच्छाएं पूरी होती हैं और उन्हें सुयोग्य जीवनसाथी मिलता है जो उनके जीवन को सुखमय बनाता है।
मंगला गौरी व्रत कुंडली में मंगल दोष के नकारात्मक प्रभावों को कम करने में सहायक होता है। मंगल दोष के कारण विवाह में देरी, वैवाहिक जीवन में समस्याएं या अन्य कष्ट आ सकते हैं।
इस व्रत को करने से मंगल ग्रह के अशुभ प्रभाव शांत होते हैं, जिससे जीवन में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। यह व्यक्ति को साहस और आत्मविश्वास भी प्रदान करता है।
जिन दंपत्तियों को संतान प्राप्ति में कठिनाई आ रही है, उनके लिए भी मंगला गौरी व्रत लाभकारी माना जाता है। देवी पार्वती को मातृत्व और सृजन की देवी माना जाता है।
इस व्रत को सच्चे मन से करने से उनकी कृपा प्राप्त होती है और संतान सुख की प्राप्ति में मदद मिलती है। यह व्रत संतान के स्वास्थ्य और उज्ज्वल भविष्य के लिए भी शुभ फलदायी होता है।
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