आज भी भगवान परशुराम कर रहे हैं अपने शिष्य का इंतजार, जानें

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार भगवान परशुराम श्रीहरि विष्णु के छठे अवतार हैं। ऐसा कहा जाता है कि  उन्होंने 21 बार पृथ्वी को क्षत्रियों से मुक्त कराया था।

Lord parashuram is waiting for kalki Avatar ()

(lord parashuram waiting for kalki avatar) धार्मिक ग्रंथों में परशुराम जी भगवान विष्णु के छठे अवतार हैं और क्षत्रियों के संहारक हैं। भगवान परशुराम भगवान शिव के परम भक्त हैं। भगवान परशुराम का जन्म भृगुवंशी ऋषि जमदग्नि और उनकी पत्नी रेणुका के पुत्र रूप में हुआ था। वे वीरता, पराक्रम और दया के प्रतीक हैं। भगवान शिव से प्राप्त दिव्य फरसे यानी कि परशु के कारण इन्हें "परशुराम" नाम मिला। ऐसा कहा जाता है कि सहस्त्रार्जुन के पुत्रों ने ऋषि जमदग्नि की हत्या कर दी। तभी

भगवान परशुराम ने क्रोधित होकर सहस्त्रार्जुन के पुत्रों सहित 21 बार क्षत्रियों का संहार किया। भगवान परशुराम वेदों और सनातन धर्म की रक्षा के लिए सदैव तत्पर रहते थे। ऐसा कहा जाता है कि भगवान परशुराम कलियुग में अपने शिष्य का इंतजार कर रहे हैं। आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं, कि कौन हैं भगवान परशुराम के शिष्य?

भगवान परशुराम कर रहे हैं भगवान कल्कि का इंतजार (lord parashuram is waiting for kalki avatar)

parshuram jayanti  date

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, भगवान परशुराम कलियुग में अपने 5वें और अंतिम शिष्य का इंतजार कर रहे हैं। ऐसा माना जाता है कि यह शिष्य विशेष होगा और कलियुग के अंत में कल्कि अवतार के रूप में जन्म लेगा। भगवान परशुराम इस शिष्य को अपना ज्ञान और शक्ति प्रदान करेंगे ताकि वह कलियुग की बुराइयों का नाश कर सके और धर्म की स्थापना कर सके। ऐसा कहा जाता है कि भगवान परशुराम महेंद्र पर्वत पर तपस्या कर रहे हैं और वे सही समय आने पर अपने शिष्य को बुलाएंगे।

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किसके अवतार होंगे भगवान कल्कि (Whose incarnation will Lord Kalki be)

kalki avtar

ग्रंथों के अनुसार, भगवान कल्कि श्रीहरि विष्णु जी के दसवें और अंतिम अवतार होंगे। वे कलियुग के अंत में जन्म लेंगे और अधर्म का नाश करके धर्म की स्थापना करेंगे। कल्कि पुराण और अग्नि पुराण के अनुसार, भगवान कल्कि का जन्म उत्तर भारत में शंखपुर नामक स्थान पर क्षत्रिय विष्णुयशा और उनकी पत्नी इला के घर होगा।

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वह एक दिव्य घोड़े पर सवार होकर आएंगे। भगवान कल्कि सोलह वर्ष की आयु में राज्याभिषेक ग्रहण करेंगे और अपनी सेना सहित कालीपुरुष नामक राक्षस का नाश भी करेंगे। इसके बाद वे पृथ्वी पर घूम कर अधर्मियों का सफाया करेंगे और धर्म की स्थापना करेंगे। बता दें, भगवान कल्कि एक वीर योद्धा होंगे जिनके पास अद्भुत शक्तियां होंगी। वह सभी धर्मों का सम्मान करेंगे और पृथ्वी पर शांति और समृद्धि लाएंगे।

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Image Credit- Freepik

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