Kanwar Yatra Muhurat 2025: कावड़ यात्रा शुरू करने के लिए ये समय है सबसे ज्यादा शुभ, जानें किन नियमों का रखना होगा ध्यान

Kawad Yatra 2025 Kab Start Kare: इस साल सावन 11 जुलाई से शुरू हो रहा है। ऐसे में कावड़ यात्रा भी इसी दिन से शुरू हो जाएगी। तो चलिए जानते हैं कि कावड़ यात्रा आरंभ करने के लिए सबसे ज्यादा शुभ समय कौन सा है और किन नियमों का कावड़ियों को ध्यान रखना चाहिए। 
best muhurat to start kanwar yatra on 11 july 2025

कावड़ यात्रा भगवान शिव के प्रति अटूट भक्ति और श्रद्धा का प्रतीक है। यह सावन मास में की जाने वाली एक पवित्र तीर्थयात्रा है जिसमें भक्त गेरुआ वस्त्र धारण कर, कंधे पर कावड़ में गंगाजल भरकर सैकड़ों किलोमीटर पैदल चलकर शिवलिंग पर जल चढ़ाते हैं। यह यात्रा केवल शारीरिक तपस्या नहीं बल्कि मानसिक शुद्धता, त्याग और समर्पण का भी मार्ग है। कावड़ यात्रा के माध्यम से भक्त अपनी मनोकामनाएं पूर्ण करने और भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त करने की इच्छा रखते हैं जिससे उन्हें आत्मिक शांति और मोक्ष की अनुभूति होती है। इस साल सावन 11 जुलाई से शुरू हो रहा है। ऐसे में ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स ने हमें बताया कि कावड़ यात्रा भी इसी दिन से शुरू हो जाएगी। तो चलिए जानते हैं कि कावड़ यात्रा आरंभ करने के लिए सबसे ज्यादा शुभ समय कौन सा है और किन नियमों का कावड़ियों को ध्यान रखना चाहिए।

कावड़ यात्रा शुभमुहूर्त 2025

पंचांग के अनुसार, 11 जुलाई को कावड़ यात्रा शुरू करने के लिए तीन शुभ मुहूर्त बन रहे हैं। पहला शुभ समय ब्रह्म मुहूर्त है जो सुबह 4 बजकर 10 मिनट से शुरू होगा और सुबह 4 बजकर 51 मिनट पर समाप्त होगा यानी कि कुल अवधि 50 मिनट।

kab se shuru hai kanwar yatra 2025

दूसरा शुभ मुहूर्त है अमृत चौघड़िया जो सुबह 8 बजकर 59 मिनट से शुरू होगा और सुबह 10 बजकर 43 मिनट पर समाप्त हो जाएगा। तीसरा शुभ समय अभिजीत मुहूर्त है जो सुबह 8 बजकर 59 मिनट से सुबह 10 बजकर 43 मिनट तक रहेगा।

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यूं तो आप इन तीनों में से किसी भी मुहूर्त में कावड़ यात्रा का 11 जुलाई को आरंभ कर सकते हैं, लेकिन सबसे ज्यादा शुभ समय है अमृत चौघड़िया मुहूर्त क्योंकि इस मुहूर्त में कार्य अवश्य सफल होता है और साकारात्मक ऊर्जा सबसे ज्यादा होती है।

अगर किसी कारण से आप सावन के पहले दिन कावड़ यात्रा की शुरुआत न कर पाएं तो ऐसे में कुछ अन्य तिथियां भी हैं जो कावड़ यात्रा के लिए बहुत शुभ हैं, इनमें 14, 17, 18, 21, और 22 जुलाई शामिल है।

कावड़ यात्रा के दौरान कौन से नियमों का करना होता है पालन

कावड़ यात्रा शुरू करने से पहले और यात्रा के दौरान मन, वचन और कर्म से शुद्ध रहना सबसे महत्वपूर्ण है। इसका अर्थ है किसी के प्रति कोई द्वेष, क्रोध, ईर्ष्या या नकारात्मक विचार न रखना।

यात्रा के दौरान मांस, मदिरा, लहसुन, प्याज, अंडे और किसी भी प्रकार के नशे (जैसे चरस, गांजा, सिगरेट, गुटखा) का सेवन पूरी तरह वर्जित होता है। कावड़ियों को केवल सात्विक भोजन जैसे दाल, रोटी, सब्जी, फल आदि ही ग्रहण करना चाहिए।

यह कावड़ यात्रा का सबसे महत्वपूर्ण और कठोर नियम है। गंगाजल से भरी कावड़ को यात्रा के दौरान कभी भी सीधे जमीन पर नहीं रखा जाता है। यदि कावड़िए को विश्राम करना हो या रात में रुकना हो, तो कावड़ को किसी साफ ऊंचे स्थान पर रखें।

कावड़ को पेड़ पर लटका सकते हैं या लकड़ी के स्टैंड पर रख सकते हैं। मान्यता है कि यदि कावड़ गलती से भी जमीन को छू जाए, तो उसे अशुद्ध माना जाता है और कावड़िए को फिर से पवित्र गंगाजल भरकर यात्रा शुरू करनी पड़ती है।

कावड़ यात्रा पूरी तरह से पैदल ही की जाती है। भक्त सैकड़ों किलोमीटर का सफर पैदल चलकर पूरा करते हैं। इस यात्रा में किसी भी प्रकार के वाहन का प्रयोग वर्जित होता है। यह शारीरिक तपस्या और दृढ़ संकल्प का प्रतीक है।

kab se shuru hai kawad yatra 2025

कावड़ यात्रा के दौरान चमड़े से बनी किसी भी वस्तु का स्पर्श वर्जित होता है चाहे वह जूते हों, बेल्ट हो या कोई अन्य चमड़े का सामान। चमड़े को अपवित्र माना जाता है और इसे यात्रा की पवित्रता के खिलाफ समझा जाता है।

कावड़ियों को यात्रा के दौरान नियमित रूप से स्नान करना चाहिए और साफ-सुथरे वस्त्र पहनने चाहिए। कावड़ को छूने से पहले हमेशा स्नान करके या कम से कम हाथ-पैर धोकर शुद्ध हो लेना चाहिए। शौच आदि के बाद भी शुद्धिकरण का विशेष ध्यान रखना चाहिए।

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यात्रा के दौरान वाणी पर संयम रखना चाहिए। किसी को अपशब्द न कहें, किसी से झगड़ा न करें और हमेशा विनम्रता से व्यवहार करें। 'जय भोलेनाथ', 'हर हर महादेव' या 'बोल बम' जैसे जयकारों और भगवान शिव के भजनों व मंत्रों का जाप करते हुए यात्रा करना शुभ माना जाता है।

कावड़ यात्रा के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करना अनिवार्य माना जाता है। मन को पूरी तरह से शिव भक्ति में लीन रखना चाहिए। कावड़ यात्री अक्सर समूह में चलते हैं। रास्ते में अन्य कावड़ियों की मदद करना और उनकी सेवा करना पुण्य का कार्य माना जाता है।

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image credit: herzindagi

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FAQ

  • कावड़ यात्रा के दौरान क्या व्रत रखना होता है?

    कावड़ यात्रा के दौरान काफी चलना पड़ता है, ऐसे में व्रत रखने का विधान शास्त्रों में नहीं है। 
  • कावड़ यात्रा किसने सबसे पहले शुरू की थी? 

    धार्मिक मान्यताओं के अनुसार प्रभु श्रीराम ने अपने पिता दशरथ की मोक्ष के लिए पहली बार कांवड़ यात्रा की थी।