Kamada Ekadashi Vrat Katha 2025: कामदा एकादशी के दिन जरूर पढ़ें ये व्रत कथा, मिलेगा मनचाहा फल

हिंदू धर्म में कामदा एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा विधिवत रूप करने का विधान है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन जो जातक व्रत रखते हैं, उन्हें पूजा करने के साथ-साथ व्रत कथा जरूर पढ़नी चाहिए। आइए इस लेख में विस्तार से कामदा एकादशी की व्रत कथा के बारे में विस्तार से जानते हैं। 
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हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि के दिन कामदा एकादशी का व्रत रखा जाता है। इस दिन साधक विशेष रूप से भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस दिन जो व्यक्ति भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करते हैं, उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है और सुख-सौभाग्य में वृद्धि होती है। इसके अलावा अगर आपकी जीवन में कोई भी समस्याएं चल रही है तो उससे छुटकारा मिल सकता है। अब ऐसे में कामदा एकादशी के दिन जो जातक व्रत रख रहे हैं,उन्हें भगवान विष्णु की पूजा जरूर करनी चाहिए। आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से व्रत कथा के बारे में जानते हैं।

कामदा एकादशी के दिन पढ़ें व्रत कथा (Kamada Ekadashi Vrat Katha 2025)

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भगवान श्रीकृष्ण ने धर्मराज युधिष्ठिर को कामदा एकादशी की कथा का वर्णन किया था। प्राचीन समय में भोगीपुर नामक एक नगर था, जहां पुंडरीक नाम का एक राजा राज्य करता था। वह सदैव सुख-सुविधाओं में डूबा रहता था। उसी राज्य में ललित और ललिता नाम के एक पुरुष और एक स्त्री निवास करते थे, जिनके बीच गहरा प्रेम था। एक दिन जब ललित राजा के दरबार में गाना गा रहा था, तभी उसका ध्यान ललिता की ओर चला गया।

इस कारण उसकी आवाज बिगड़ गई और उसका गाना भी ठीक से नहीं हो पाया। यह देखकर राजा अत्यंत क्रोधित हुए और उन्होंने ललित को राक्षस बनने का शाप दे दिया। अपने पति की ऐसी दशा में देखकर ललिता बहुत उदास हो गई। उसने अपने पति को ठीक करने के लिए अनेक लोगों से सहायता की प्रार्थना की। तब किसी के बताने पर ललिता विंध्याचल पर्वत पर श्रृंगी ऋषि के आश्रम पहुंची। वहां जाकर उसने अपनी पीड़ा ऋषि को सुनाई। तब ऋषि ने उसे कामदा एकादशी का उपवास रखने की सलाह दी। ऋषि ने यह भी कहा कि इस व्रत के प्रभाव से तुम्हारा पति दोबारा मनुष्य रूप में आ जाएगा। ऋषि के कहे अनुसार, ललिता ने पूरे विधि-विधान से कामदा एकादशी का व्रत किया और भगवान विष्णु का ध्यान किया। व्रत पूर्ण होने पर भगवान विष्णु की कृपा से ललित फिर से मनुष्य बन गया। इस प्रकार उन दोनों को अपने जीवन की परेशानियों से छुटकारा मिल गया। इसके बाद, वे दोनों नियमित रूप से कामदा एकादशी का व्रत करने लगे, जिसके परिणामस्वरूप उन्हें मोक्ष की प्राप्ति हुई।

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कामदा एकादशी व्रत का महत्व

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कथा के अनुसार, ऐसी मान्यता है कि जो जातक की व्रत को पूरे विधि-विधान के साथ करता है। उनके सभी पापों से छुटकारा मिल सकता है और व्यक्ति के जीवन में चल रही समस्याएं दूर हो सकती है। साथ ही अगर आपको काम में कोई बाधा आ रही है तो उससे भी छुटकारा मिल सकता है।

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Image Credit- HerZindagi

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