श्रीकृष्ण जन्माष्टमी हिंदू धर्म का एक प्रमुख त्योहार है। इस त्योहार की तैयारी जोरो-शोरो से की जा रही है। कहीं पर जन्माष्टमी के आने से पहले मंदिरों को सजाने का काम चल रहा है, तो कुछ लोग अपने घर में विराजे हुए लड्डू गोपाल के लिए वस्त्र और अन्य चीजों को खरीद रहे हैं। आपको बता दें कि इस बार यह त्योहार 16 अगस्त को मनाया जाएगा। इस दिन भगवान विष्णु के आठवें अवतार की पूजा की जाएगी। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान कृष्ण का जन्म कंस के अत्याचार से पीड़ित लोगों को मुक्ति दिलाने के लिए हुआ था। इस प्रकार, जन्माष्टमी अधर्म पर धर्म की जीत का प्रतीक है। भगवान कृष्ण को प्रेम और भक्ति का प्रतीक माना जाता है। जन्माष्टमी के दिन भक्त उनके प्रति अपनी भक्ति प्रकट करते हैं। भगवान कृष्ण को ज्ञान और बुद्धि का अवतार भी माना जाता है। अब ऐसे में आज श्रीकृष्ण जन्माष्टमी व्रत का पारण कब करें, किस विधि से करें। व्रत पारण के नियम क्या हैं। इसके बारे में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।
जन्माष्टमी व्रत पारण का समय क्या है? (Janmashtami Vrat Paran Muhurat 2025)
रात 12 बजे भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के बाद विधिपूर्वक व्रत का पारण किया जाता है। इस साल व्रतपारण 17 अगस्त को सुबह 5:51 बजे किया जा सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि रोहिणी नक्षत्र इस बार 17 की सुबह लग रहा है। इसलिए आपको इसमें ही व्रत का पारण करना जरूरी है।
जन्माष्टमी व्रत पारण की विधि और नियम क्या है? (Janmashtami Vrat Paran Vidhi 2025)
व्रती सबसे पहले भगवान श्रीकृष्ण को प्रणाम करें और उन्हें धन्यवाद अर्पित करें। प्रार्थना करें कि उन्होंने आपके व्रत को सफल बनाया और आपकी मनोकामनाएं पूरी कीं। पारण के दिन भोजन हल्का और सात्विक होना चाहिए। आमतौर पर फल, दूध, दही, मठ्ठा या कुट्टू का आटा जैसे पदार्थ सेवन किए जाते हैं। भगवान श्रीकृष्ण को अर्पित किए गए भोग का प्रसाद परिवार और भक्तों के बीच वितरित करें। फिर स्वयं ग्रहण करें। पारण के समय सफाई का ध्यान रखें। व्रत के पारण के दिन गरीबों और जरूरतमंदों को दान देना शुभ माना जाता है। यह व्रत के पुण्य को बढ़ाता है।
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जन्माष्टमी व्रत पारण के दौरान किन मंत्रों का करें जाप?
जन्माष्टमी व्रत के पारण के दौरान इन मंत्रों का जाप विशेष रूप से करें। ऐसा करने से व्यक्ति के सौभाग्य में वृद्धि होती है।
ॐ श्री कृष्णाय नमः
ॐ वासुदेवाय नमः
ॐ हरये नमः
श्री कृष्ण शरणं मम
श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी, हे नाथ नारायण वासुदेव
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Image Credit- HerZindagi
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