16 अगस्त 2025 के दिन देशभर में जन्माष्टमी का त्योहार बड़े उत्साह के साथ मनाया जाएगा। हिंदू पंचांग के अनुसार, यह पर्व भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भगवान श्री कृष्ण के बाल स्वरूप, जिन्हें लड्डू गोपाल कहा जाता है उनकी विशेष पूजा की जाती है। माना जाता है कि लड्डू गोपाल की विधिवत पूजा करने से व्यक्ति के जीवन की सभी परेशानियां दूर हो जाती हैं और उनकी सभी इच्छाएं पूरी होती हैं। जन्माष्टमी को सौभाग्य और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।
इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी ने विस्तार से बताया है कि जन्माष्टमी के दिन लड्डू गोपाल की पूजा किस विधि से करनी चाहिए और इसके लिए कौन-कौन सी पूजा सामग्री की आवश्यकता होती है। अगर आप भी इस शुभ दिन पर पूजा करने की विधि और सामग्री के बारे में जानना चाहते हैं, तो यहां से आप विस्तार में सब कुछ जान सकते हैं।
जन्माष्टमी के दिन लड्डू गोपाल की पूजा के लिए सामग्री क्या है?
- गेंदे के फूल
- कपूर और धूपबत्ती
- रोली, चंदन
- दीपक
- नैवेद्य
- पंचामृत
- चंदन और सिंदूर
- तुलसी का पत्ते
- कलश स्थापना के लिए सामग्री- कलश को स्थापित करने के लिए गंगाजल, नारियल, पान का पत्ता, सुपारी आदि की आवश्यकता होती है।
इसे जरूर पढ़ें -Janmashtami Vrat Katha 2025: जन्माष्टमी के शुभ अवसर पर करें इस कथा का पाठ, मनोकामनाएं होंगी पूर्ण
जन्माष्टमी के दिन लड्डू गोपाल की किस विधि से पूजा करें?
- जन्माष्टमी पर पूजा का सबसे शुभ समय रात को है। इसके अलावा आप लड्डू गोपाल की पूजा सुबह भी करें।
- स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें। घर और पूजा स्थान की भी अच्छी तरह सफाई करें।
- पूजा स्थल पर साफ कपड़े बिछाएं और वहां भगवान श्रीकृष्ण की प्रतिमा रखें। यदि संभव हो, तो एक चौकी पर भगवान की प्रतिमा स्थापित करें।
- भगवान की प्रतिमा पर पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और शक्कर) का अभिषेक करें। इसे करने के बाद, पवित्र जल से स्नान कराएं।
- भगवान को ताजे फूल चढ़ाएं।
- भगवान को मिठाई, फल, माखन-मिश्री का भोग लगाएं।
- उसके बाद धूप, दीपक जलाएं और भगवान की पूजा करें।
- लड्डू गोपाल का पालना झूलाएं और उनके भजन या मंत्रों का जाप करें। "हरे कृष्ण हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण हरे हरे" और "हरे राम हरे राम, राम राम हरे हरे" जैसे मंत्रों का जाप करें।
- भगवान श्रीकृष्ण की आरती करें।
- श्रीकृष्ण की जन्मकथा, जैसे कि उनके जन्म की रात की कथा, सुनें या पढ़ें।
- जन्माष्टमी पर विशेष पूजा रात्रि के समय की जाती है, जब श्रीकृष्ण के जन्म का समय आता है। इस समय विशेष भजन, कीर्तन और पूजा आयोजित कर सकते हैं।
- पूजा के बाद प्रसाद का वितरण करें।
- इसके बाद आप व्रत का पारण कर सकते हैं। इसके अलावा आप अगले दिन भी पारण विधिवत रूप से कर सकते हैं।
अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर शेयर और लाइक जरूर करें। इसी तरह के और भी आर्टिकल पढ़ने के लिए जुड़े रहें हर जिंदगी से। अपने विचार हमें आर्टिकल के ऊपर कमेंट बॉक्स में जरूर भेजें।
Image Credit- HerZindagi
HerZindagi ऐप के साथ पाएं हेल्थ, फिटनेस और ब्यूटी से जुड़ी हर जानकारी, सीधे आपके फोन पर! आज ही डाउनलोड करें और बनाएं अपनी जिंदगी को और बेहतर!
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों