
हिन्दू धर्म और वास्तु शास्त्र में घर के मंदिर को सबसे पवित्र और पूजनीय स्थान माना जाता है, जहां सकारात्मक ऊर्जा का निवास होता है। यह वह जगह है जहां हम भगवान से जुड़ते हैं और शांति प्राप्त करते हैं। वास्तु शास्त्र में बताया गया है कि घर के मंदिर से जुड़े नियमों का पालन करना आवश्यक माना गया है नहीं तो इससे वास्तु दोष उत्पन्न हो सकता है और घर में शांति के बजाय पारिवारिक क्लेश जन्म ले सकता है। ऐसे में वृंदावन के ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से आइए जानते हैं कि घर के मंदिर में सीढ़ियों बनी होना कितना सही है और इसके क्या प्रभाव हो सकते हैं।
वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर के मंदिर में भगवान की प्रतिमा को हमेशा किसी ऊंचे स्थान पर रखना चाहिए। हालांकि, अक्सर लोग ये गलती कर बैठते हैं कि घर के मंदिर को ऊंचा बनवाने के चक्कर में उसमें सीढ़ियों का निर्माण करवा देते हैं। वास्तु शास्त्र में इसे गलत माना गया है।

असल में किसी प्राचीन मंदिर या अन्य बड़े मंदिर में सीधी का होना शुभ होता है क्योंकि उन सीढ़ियों का इस्तेमाल करते हुए यानी कि उन सीढ़ियों के माध्यम से चढ़ते हुए हम भगवान के समीप पहुंचते हैं, लेकिन घर के मंदिर में बनी सीढ़ियों का प्रयोग व्यक्ति द्वारा नहीं हो पाता है।
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ऐसे में घर के मंदिर में बनी सीढ़ियां खाली रहती हैं और खाली सीढ़ियां नकारात्मकता को जन्म देती हैं। इससे मंदिर के आसपास बुरी ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है और मंदिर के सामने बैठकर की गई पूजा दोष पूर्ण हो जाती है एवं इसका कोई शुभ फल भी प्राप्त नहीं होता है।
वास्तु शास्त्र में बताया गया है कि घर के मंदिर में सीढ़ियां होने से ग्रहों का दुश्पभाव भी बढ़ता है। ऐसे में मंदिर में भगवान की प्रतिमा स्थापित करने के बाद भी उनका वास उस मंदिर में नहीं हो पाता है। इस बात का ख्याल रखना बहुत जरूरी है कि सीढ़ियों वाला मंदिर कभी न लें।

अगर आपके घर में पहले से ही सीढियों वाला मंदिर मौजूद है तो उसके दोष से बचने के लिए आप 2 उपाय कर सकते हैं। पहला उपाय ये कि मंदिर में बनी सीढ़ियों पर लाल कपड़ा बिछाकर उसपर फूल या थोड़े से अक्षत रख दें। इससे मंदिर का वास्तु दोष दूर हो जाएगा।
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वहीं, दूसरा उपाय यह है कि मंदिर का निर्माण दोबारा से करवाएं और उसमें बनी सीढ़ियां तुड़वा दें। इससे भी मंदिर का वास्तु दोष दूर हो जाएगा। साथ ही, इस बात का भी ध्यान रखें कि मंदिर का रंग हल्का होना चाहिए। गहरे रंग का मंदिर खरीदने से सकारात्मकता बाधित होती है।
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