(Dussehra 2023) इस साल दशहरा का पर्व दिनांक 24 अक्टूबर को मनाया जाएगा। इस दिन ऐसी मान्यता है कि भगवान श्रीराम ने दस सिर वाले रावण का वध किया था। इसलिए हर साल बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में रावण दहन किया जाता है। वहीं वाल्मीकि रामायण और रामचरित मानस में 10 सिर वाले रावण का वर्णन विस्तार से किया गया है, लेकिन रामायण में अन्य रावण का वर्णन भी मिलता है। ऐसा कहा जाता है कि रावण का एक भाई भी था, जिसके 1 हजार सिर थे।
आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से 1 हजार सिर वाले रावण के बारे में विस्तार से जानते हैं।
जानें किस ग्रंथ में है 1 हजार सिर वाले रावण की कथा?
हिंदू धर्म में भगवान श्रीराम के जीवन पर आधारित कई ग्रंथों में विस्तार से बताया गया है। जिनमें वाल्मीकि रामायण और रामचरित मानस सबसे ज्यादा विख्यात है। वहीं इनके अलावा कई भाषाओं में करीब 100 से भी ज्यादा राम कथाओं के बारे में बताया गया है। आनंद रामायण में भी कई कथाएं प्रचलित हैं। जिनमें अद्भुत कथाओं का वर्णन विस्तार से बताया गया है।
आनंद रामायण में रावण 1 नहीं 2 थे
आनंद रामायण के अनुसार, ऐसा बताया गया है कि जब भगवान श्री राम रावण का वध कर अयोध्या लौटे, तो यहां अनेक ऋषि मुनि और विद्वान ने आकर उनकी खूब प्रशंसा की। तब भगवान श्री राम की प्रशंसा सुनकर माता सीता हंसने लगी। जब भगवान श्रीराम(श्रीराम मंत्र) ने उनके हंसने का कारण पूछा, तो माता सीता ने कहा कि विश्रवा मुनि की पत्नी कैकेयी के दो पुत्र थे। दोनों का नाम ही रावण था, जिसमें बड़े भाई का नाम सहस्त्रवान रावण था। जिसके 1 हजार सिर थे। वहीं दूसरा दशानन रावण था, जिसके दस मुख थे। आपने 10 मुख वाले रावण का वध किया है, लेकिन 1 हजार सिर वाला रावण बेहद पराक्रमी और भयंकर है।
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माता सीता ने किया 1 हजार सिर वाले रावण का वध
पौराणिक कथा के अनुसार माता सीता की बात सुनकर भगवान श्री राम अपनी सेना और माता सीता को लेकर पुष्कर पहुंच गए, जहां हजार सिर वाला रावण रहता था। पश्चात सहस्त्रवान रावण और भगवान श्री राम (सहस्त्रनाम मंत्र जाप) के बीच भयंकर युद्ध हुआ। इस युद्ध में श्रीराम बेहोश गए और उनका पुष्पक विमान नीचे गिर गया। जब माता सीता ने ये देखा, तो उन्होंने भयंकर रूप धारण किया और हाथ में खड्ग लेकर रावण के सभी सिर को काट दिया और उसका वध किया।
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भगवान श्रीराम ने सहस्त्र नामों से की माता सीता की स्तुति
जब भगवान श्रीराम को होश आया और उन्होंने देखा कि देवी माता सीता ने 1 हजार सिर वाले रावण का वध कर दिया है, तो उन्होंने सहस्त्र नामों से मां सीता की स्तुति की। भगवान श्री राम के मुख से स्तुति सुनकर माता सीता का क्रोध शांत हुआ। वह वास्तविक स्वरूप में लौट आईं।
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