Chhath Puja 2023: कौन हैं छठी मैया? इनसे जुड़ी ये बातें आपको नहीं होंगी पता

कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को छठ पूजा का पर्व मनाया जाता है। तीन दिनों तक चलने वाले इस पर्व के दौरान सूर्य भगवान की पूजा कि जाती है। 

who is chhathi maiya hindi mein
who is chhathi maiya hindi mein

Kaun Hai Chhathi Maiya: कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को छठ पूजा का पर्व मनाया जाता है। तीन दिनों तक चलने वाले इस पर्व के दौरान सूर्य भगवान की पूजा कि जाती है। साथ ही, छठी मैया की आराधना का भी विधान है। विशेष बात यह हा कि छठ पूजा के दौरान 36 घंटों का कठिन व्रत भी रखा जाता है।

यूं तो छठ पूजा से जुड़ी कई रोचक बातें हैं जैसे कि व्रत के नियम, पूजा के रिवाज, पूजा की विधि आदि लेकिन आज हम आपको इस लेख में छठी मैया से जुड़ी वो बातें बताएंगे जिनके बारे में आपको नहीं पता होगा। तो चलिए ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से जानते हैं कि कौन हैं छठी मैया और साथ ही, इनसे जुड़े रोचक तथ्य।

छठ पूजा क्यों मनाई जाती है?

छठ पूजा मनाने के पीछे कई पौराणिक कथाएं मौजूद हैं। पहली कथा के अनुसार, श्री राम ने रावण का वध किया था जो एक ब्राह्मण था। ऐसे में ब्राह्मण हत्या के पाप से मुक्ति पाने के लिए श्री राम (श्री राम की मृत्यु कैसे हुई) और माता सीता ने मुग्दल ऋषि के आश्रम में रह कर 6 दिनों तक सूर्य भगवान की उपासना की थी और कार्तिक शुक्ल पक्ष षष्ठी के दिन उन्हें सूर्य देव का आशीर्वाद प्राप्त हुआ था। तभी से छठ पूजा मनाने की परंपरा शुरू हुई।

interesting facts about chhathi maiya

इसके अलावा, एक कथा यह भी है कि छठ पर्व की शुरुआत महाभारत काल से हुई थी। इस पर्व को सबसे पहले सूर्य पुत्र कर्ण ने शुरू किया था। कर्ण रोजाना सूर्य देव की आराधना करते थे और जल में खड़े रहकर उन्हें अर्घ्य देते थे। एक दिन कार्तिक शुक्ल पक्ष षष्ठी के दिन सूर्य देव ने उन्हें तेजस्वी कर्ण और कुंडल प्रदान किये और साथ ही कर्ण को अपने तेज का अंश भी दिया जिससे कर्ण एक भावी योद्धा बने।

हालांकि ऐसा भी माना जाता है कि जब पांडव अपना सारा राजपाट हार गए थे तब द्रौपदी ने पहली बार सूर्य भगवान की कठिन उपासना एवं व्रत किया था जिससे प्रसन्न होकर सूर्य देव ने पांडवों को आशीर्वाद दिया और उसी के कारण पांडवों को उनका खोया हुआ राजपाट वापस मिला। ऐसा माना जाता है कि द्रौपदी की तपस्या से ही द्रौपदी को पांडवों से पांच तेजस्वी पुत्रों की भी प्राप्ति हुई थी।

यह भी पढ़ें:Chhath Puja 2023: छठ पूजा में भूलकर भी न करें ये गलतियां, छठी मैया हो जाएंगी नाराज

छठ पूजा में छठी मैया कौन है?

पौराणिक कथाओं के अनुसार, छठी मैया ब्रह्मा जी की मानस पुत्री हैं। कथा कहती है कि ब्रह्माजी ने सृष्टि की रचना करते हुए खुद को दो भागों में विभाजित किया था। एक भाग पुरुष एक रूप में और दूसरा प्रकृति के रूप में था। साथ ही, प्रकृति वाले भाग ने खुद को 6 हिस्सों में बाटा था। इसमें से एक मातृ देवी थीं जिहें देवसेना के नाम से भी जाना जाता है। यही देव सेना छठी माता के नाम से पूजी जाती हैं।

facts about chhathi maiya

छठ मैया किसकी पत्नी हैं?

पुराणों के अनुसार, छठी मैया के पति का नाम कार्तिकेय है। शिव जी और माता पार्वती के पुत्र कार्तिकेय छठी माता के अर्धांग हैं। कथा के अनुसार, जब भगवान शिव (भगवान शिव के प्रतीक) और माता पार्वती ने कार्तिकेय भगवान से विवाह करने के लिए कहा तब उन्होंने यह शर्त रखी कि उन्हें ऐसी पत्नी चाहिए जिसमें करुणा भी हो और वह शस्त्र कला में निपुण भी हो। तब शिव-शक्ति ने छठी मैया का विवाह कार्तिकेय जी से कराया था।

सूर्य और छठी मैया में क्या संबंध है?

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, छठी मैया सूर्य देव की बहन हैं। छठ पर्व के दौरान दोनों की पूजा से न सिर्फ संतान की प्राप्ति होती है बल्कि भाग्य भी जाग उठता है । सूर्य देव और छठी मैया की कृपा से व्यक्ति को समस्त प्रकार के भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है।

यह भी पढ़ें:Chhath Puja 2023: पहली बार कर रहे हैं छठ का व्रत तो इन बातों का रखें विशेष ध्यान

छठ पूजा का दूसरा नाम क्या है?

हिन्दू धर्म में जितने भी पर्व हैं सभी में उगते सूर्य यानी कि सूर्योदय के समय अर्घ्य देने का विधान है लेकिन एक मात्र छठ पूजा में ही डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। छठ पूजा को प्रतिहार डाला, छठ-छठी और सूर्य षष्ठी के नाम से भी जाना जाता है।

छठ में सूर्य की पूजा क्यों होती है?

शास्त्रों और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, छठ पूजा के दौरान सूर्य भगवान की उपासना करने से संतान की प्राप्ति होती है। सूनी गोद जल्दी भर जाती है और संतान का भाग्य भी उज्जवल और तेजस्वी बनता है। संतान को किसी प्रकार का कोई रोग नहीं सताता है।

छठ माता की सवारी क्या है?

धार्मिक ग्रंथों में इस बात का उल्लेख मिलता है कि छठी मैया की सवारी बिल्ली है। यूं तो हिन्दू धर्म में बिल्ली को शुभ जानवर नहीं माना जाता है लेकिन छठ पर्व के दौरान बिल्ली को भोजन अवश्य कराना चाहिए और उसे दूध भी पिलाना चाहिए।

आप भी इस लेख में दी गई जानकारी के माध्यम से यह जान सकते हैं कि कौन हैं छठी मैया जिनकी पूजा छठ पूजा के दौरान कि जाती है और क्या हैं इनसे जुड़ी रोचक बातें। अगर हमारी स्टोरीज से जुड़े आपके कुछ सवाल हैं, तो वो आप हमें आर्टिकल के नीचे दिए कमेंट बॉक्स में बताएं। हम आप तक सही जानकारी पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।

image credit: shutterstock

HerZindagi Video

HzLogo

HerZindagi ऐप के साथ पाएं हेल्थ, फिटनेस और ब्यूटी से जुड़ी हर जानकारी, सीधे आपके फोन पर! आज ही डाउनलोड करें और बनाएं अपनी जिंदगी को और बेहतर!

GET APP