क्या आपकी कुंडली में है विदेश यात्रा का योग? 5 मिनट में खुद ही देखकर करें पता, जानें कैसे

क्या आप जानना चाहते हैं कि आपकी कुंडली में विदेश यात्रा के योग हैं या नहीं? यह एक ऐसा सवाल है जो कई लोगों के मन में आता है। ज्योतिष के अनुसार, कुंडली में कुछ विशेष ग्रहों की स्थिति और भावों को देखकर ही पता लगाया जा सकता है। आइए इस लेख में विस्तार से खुद ही जानते हैं कि कुंडली में विदेश यात्रा का योग है या नहीं। 
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क्या आपके मन में भी कभी यह सवाल आया है कि क्या आपको विदेश यात्रा का अवसर मिलेगा? क्या आप अपनी जन्मभूमि से दूर, किसी नए देश में जाकर बसने या घूमने का सपना देखते हैं? ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, हमारी कुंडली में ऐसे कई योग होते हैं जो विदेश यात्रा और यहां तक कि विदेश में स्थायी निवास की संभावना को दर्शाते हैं। अगर आप भी अपनी कुंडली के माध्यम से अपने भविष्य को जानने की उत्सुकता रखते हैं, तो यह लेख आपके लिए है। आइए इस लेख में विस्तार से जानते हैं कि कुंडली के उन महत्वपूर्ण भावों और ग्रहों के बारे में जो विदेश यात्रा के योग बनाते हैं।

कुंडली में खुद कैसे देखें विदेश यात्रा के योग है या नहीं?

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कुंडली का तीसरा भाव - यह भाव छोटी यात्राओं और पड़ोस की यात्राओं का प्रतिनिधित्व करता है, लेकिन इसका संबंध विदेश यात्रा से भी हो सकता है, खासकर यदि इसका संबंध नौवें या बारहवें भाव से बने।
कुंडली का सातवां भाव- यह भाव साझेदारी और विवाह के साथ-साथ लंबी दूरी की यात्राओं का भी प्रतीक है। विदेश में व्यापार या विवाह के माध्यम से विदेश यात्रा के योग इस भाव से देखे जाते हैं।
कुंडली का नौवां भाव- यह भाव भाग्य, धर्म, उच्च शिक्षा और लंबी दूरी की यात्राओं का सबसे महत्वपूर्ण कारक है। नौवां भाव जितना मजबूत होता है, विदेश यात्रा की संभावना उतनी ही अधिक होती है।
कुंडली का दसवां भाव- यह भाव करियर और व्यवसाय का होता है। यदि दसवें भाव का संबंध विदेश से जुड़े कारकों से हो, तो व्यक्ति को नौकरी या व्यवसाय के लिए विदेश जाने का मौका मिल सकता है।
कुंडली का कुंडली का बारहवां भाव- यह भाव विदेश, खर्च, अलगाव और मोक्ष का भाव है। विदेश यात्रा या विदेश में स्थायी निवास के लिए यह सबसे महत्वपूर्ण भाव माना जाता है। यदि बारहवें भाव का संबंध शुभ ग्रहों से हो और यह मजबूत हो, तो विदेश में बसने के योग बनते हैं।

कौन से ग्रह बनाते हैं विदेश यात्रा के योग?

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कुंडली में चंद्रमा का भाव देखें - चंद्रमा मन और यात्राओं का कारक है। यदि कुंडली में चंद्रमा नौवें या बारहवें भाव से संबंधित हो, तो व्यक्ति को विदेश में रहने की इच्छा हो सकती है।
कुंडली में राहु का भाव देखें - राहु को एक रहस्यमयी ग्रह माना जाता है और यह विदेशी भूमि, विदेशी लोगों और अचानक यात्राओं का मुख्य कारक है। यदि राहु नौवें या बारहवें भाव में हो या इन भावों के स्वामियों से संबंध बनाए, तो विदेश यात्रा के प्रबल योग बनते हैं। राहु के प्रभाव से व्यक्ति को विदेश में सफलता भी मिल सकती है।

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कुंडली में शनि का भाव देखें - शनि ग्रह है और यह विदेश में स्थायी निवास या लंबी अवधि के प्रवास का संकेत देता है। यदि शनि का संबंध नौवें या बारहवें भाव से हो, तो व्यक्ति को विदेश में स्थिर होने का मौका मिल सकता है, हालांकि इसमें थोड़ी देरी हो सकती है।
कुंडली में बृहस्पति का भाव देखें - बृहस्पति को भाग्य और विस्तार का ग्रह है। यदि बृहस्पति नौवें या बारहवें भाव से संबंधित हो, तो यह शुभ विदेश यात्रा और विदेश में उच्च शिक्षा या आध्यात्मिक विकास का संकेत देता है।
अगर चंद्रमा और राहु का संयोग बनें - यदि कुंडली में चंद्रमा और राहु का संयोग हो और यह नौवें या बारहवें भाव से संबंधित हो, तो व्यक्ति को विदेश यात्रा का अवसर मिल सकता है।

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Image Credit- HerZindagi

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FAQ

  • चंद्रमा को अर्घ्य देते समय क्या बोलना चाहिए?

    गृहाणार्ध्यं शशांकेदं रोहिण्यसहितो मम
  • कौन सा ग्रह मानसिक तनाव देता है?

    कुंडली में चंद्र और शनि पाप ग्रह में हों या फिर चंद्र और शनि ग्रह की युति हो। ऐसे में भी तनाव होता है। यदि कुंडली में चंद्र और सूर्य करीब भाव में हों तो भी तनाव होता है। कुंडली में राहु या शनि हो तो चंद्रमा राहु केतु के साथ अशुभ भाव बनाता है।