मनोकामना पूरी होने पर कितनी बार लाया जाता है कांवड़, जानें यहां

 कांवड़ सावन के महीने में लाया जाता है। इसमें कुछ ऐसे पवित्र स्थान हैं, जहां से भोलेनाथ पर चढ़ाने के लिए जल को लाया जाता है। कई सारे लोग कांवड़ मनोकामना पूर्ण होने के बाद लाते हैं। आर्टिकल में बताते हैं आपको कितनी बार आपको कांवड़ लानी चाहिए।
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सावन का महीना इस साल 11 जुलाई से शुरू हो रहा है। इसके बाद हर दिन आपको हर हर महादेव ही सुनने को मिलेगा। ऐसा इसलिए क्योंकि यह महीना भगवान शिव की पूजा के लिए होता है। साथ ही, इसी महीने में लाखों भक्त कांवड़ लाते हैं, जिसमें वे पवित्र गंगाजल लाते हैं, ताकि भगवान शिव का जलाभिषेक कर सके। कई सारे भक्त ऐसे होते हैं जो मनोकामना पूरी होने का बाद कांवड़ लाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि कांवड़ को मनोकामना पूरी होने पर कितनी बार लानी चाहिए। आर्टिकल में आपको इसके बारे में बताते हैं।

कांवड़ क्यों लाई जाती है

हिंदू धर्म में भगवान के प्रति निष्ठा दिखाने का सबका अलग-अलग तरीका होता है। ऐसे में कांवड़ भी इसी का हिस्सा है। इसलिए लोग भगवान के प्रति अपने आभार, पापों के प्रायश्चित और जीवन में संतुलन बना रहे। इसको ध्यान में रखते हुए कांवड़ को लाते हैं। कांवड़ यात्रा के समय जिस तरह की कठिनाईयों का सामना करता है, वही भगवान के प्रति प्रेम और भक्ति दिखाने का तरीका होता है। इसलिए कांवड़ के समय भक्तों को सारे कार्यों को श्रद्धा के साथ करना चाहिए, ताकि जीवन सरलता से बीते।

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मनोकामना पूरी होने पर कितनी बार लाएं कांवड़

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कांवड़ यात्रा का संकल्प व्यक्ति की अपनी श्रद्धा और इच्छा पर निर्भर करता है। लेकिन अगर आप मनोकामना पूरी होने के बाद कांवड़ यात्रा पर जा रहे हैं, तो ऐसे में आपको 2, 5, 7, 11 या 21 बार कांवड़ लानी चाहिए। इससे आपका किया हुआ संकल्प पूरा होता है। साथ ही, आप भगवान को धन्यवाद कर पाते हैं। लेकिन कई सारे लोग ऐसे होते हैं भगवान शिव के प्रति अपनी भक्ति को प्रकट करते हैं। ऐसे में भी आप इसी संख्या में कांवड़ ला सकते हैं। इससे भगवान शिव प्रसन्न होते हैं। साथ ही, आपकी कांवड़ यात्रा को आसान बनाते हैं। भक्तों का ये प्रेम दिखाने का तरीका सबसे अलग माना जाता है। इसमें भक्त पदयात्रा के जरिए शिवलिंग पर चढ़ाने के लिए जल को दूर जगह से लेकर आते हैं। इसके बाद शिवलिंग पर जलाभिषेक करते हैं।

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कांवड़ यात्रा के जरूर जानें नियम

  • कांवड़ यात्रा सिर्फ एक यात्रा नहीं, बल्कि संयम, भक्ति और इच्छाशक्ति का प्रतीक है। कांवड़ियों को कुछ कड़े नियमों का पालन करना होता है। तभी उनकी यह यात्रा पूरी होती है।
  • इस यात्रा को शुरू करने के बाद उन्हें सात्विकता का पालन करना जरूरी होता है।
  • कोशिश करें कि आप यात्रा के समय नंगे पैर चलें।
  • कांवड़ को जमीन पर न रखें। ऐसा इसलिए क्योंकि इसमें पवित्र जल होता है। जिसे शिवलिंग पर चढ़ाया जाता है।
  • मांस, मदिरा का सेवन बिल्कुल भी न करें। इससे आपकी यात्रा खंडित हो सकती है।
  • कांवड़ यात्रा में 'बोल बम', 'हर हर महादेव' का जयघोष जरूर करें।

कांवड़ यात्रा से संतान सुख की प्राप्ति, स्वास्थ्य लाभ और नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति मिलती है। इसलिए आपको सच्चे मन से कांवड़ यात्रा करनी चाहिए। साथ ही, यात्रा के समय कोई गलत काम नहीं करना चाहिए।

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Image Credit- Freepik

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