हरियाली तीज का पर्व श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं और भगवान शिव व माता पार्वती की पूजा-अर्चना करती हैं, जिससे उन्हें अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है. माना जाता है कि माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए वर्षों तक कठोर तपस्या की थी और उनकी तपस्या इसी दिन सफल हुई थी. इसलिए, यह व्रत विवाहित महिलाओं को उनके पति के लिए समर्पित रहने और उनके रिश्ते को मजबूत करने की प्रेरणा देता है। बता दें, हरियाली तीज पर महिलाएं सोलह श्रृंगार करती हैं। हरे रंग के वस्त्र, हरी चूड़ियां, मेहंदी और अन्य श्रृंगार सामग्री का विशेष महत्व होता है। यह श्रृंगार उनके सुहाग और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। अब ऐसे में हरियाली तीज के दिम सुहागिन महिलाएं भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा किस विधि से करें। आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।
हरियाली तीज के दिन सुहागिन महिलाएं इस विधि से करें शिव-शक्ति की पूजा के लिए सामग्री
- भगवान शिव की प्रतिमा या चित्र- आप मिट्टी, पीतल या किसी अन्य धातु से बनी शिव प्रतिमा का उपयोग कर सकती हैं, या एक सुंदर चित्र भी रख सकती हैं।
- माता पार्वती की प्रतिमा या चित्र- शिव प्रतिमा के साथ माता पार्वती की प्रतिमा या चित्र भी आवश्यक है।
- गणेश जी की प्रतिमा या चित्र- किसी भी शुभ कार्य से पहले भगवान गणेश की पूजा अनिवार्य है।
- पूजा की चौकी या आसन- भगवान शिव और माता पार्वती की प्रतिमाओं को स्थापित करने के लिए एक साफ़ चौकी या पाटा।
- लाल या पीला वस्त्र- चौकी पर बिछाने के लिए।
- गंगाजल- शुद्धिकरण के लिए।
- कलश- जल से भरा हुआ, जिसे आप पूजा स्थल पर रखेंगे।
- दीपक और तेल/घी- पूजा के लिए दीपक जलाने हेतु।
- धूप और अगरबत्ती- सुगंध के लिए।
- कपूर-आरती के लिए।
हरियाली तीज के दिन सुहागिन महिलाएं इस विधि से करें शिव-शक्ति की पूजा विधि
- चौकी पर भगवान शिव और माता पार्वती की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। यदि आपके पास शिव परिवार की प्रतिमा है, तो उसे भी स्थापित कर सकते हैं। गणेश जी को सबसे पहले स्थान दें।
- हाथ में जल और चावल लेकर अपनी मनोकामना कहते हुए व्रत और पूजा का संकल्प लें।
- किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत में भगवान गणेश की पूजा आवश्यक है। उन्हें जल अर्पित करें, रोली-चावल लगाएं, फूल चढ़ाएं और मोदक या लड्डू का भोग लगाएं।
- अब भगवान शिव और माता पार्वती का ध्यान करें और उन्हें अपनी पूजा स्वीकार करने के लिए आमंत्रित करें।
- सबसे पहले भगवान शिव को गंगाजल से अभिषेक करें।
- इसके बाद दूध, दही, घी, शहद और चीनी से बने पंचामृत से अभिषेक करें।
- आखिर में शुद्ध जल से अभिषेक करें।
- इसी प्रकार माता पार्वती को भी जल से स्नान कराएं।
- भगवान शिव और माता पार्वती को नवीन वस्त्र अर्पित करें। यदि वस्त्र न हों तो कलावा मौली अर्पित कर सकते हैं।
- भगवान शिव को चंदन और अक्षत लगाएं। माता पार्वती को रोली, अक्षत और सिंदूर अर्पित करें।
- भगवान शिव को बेलपत्र, धतूरा, आक के फूल, कनेर, शमी के पत्ते आदि चढ़ाएं। माता पार्वती को लाल फूल, गुड़हल, चंपा आदि पसंद हैं, उन्हें ये फूल अर्पित करें।
- भगवान शिव को भांग, धतूरा, बेलपत्र और मीठे पकवान जैसे हलवा, खीर आदि का भोग लगाएं। माता पार्वती को फल, मिठाई, सूखे मेवे और घर में बने पकवान जैसे पूड़ी-सब्जी या मिष्ठान का भोग लगाएं।
- भगवान को पान का पत्ता और सुपारी अर्पित करें।
- आखिर में भगवान शिव और मां पार्वती की आरती करें।
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हरियाली तीज के दिन सुहागिन महिलाएं इस विधि से करें शिव-शक्ति की पूजा के नियम
- हरियाली तीज का व्रत निर्जला रखा जाता है, यानी व्रत के दौरान पानी भी नहीं पिया जाता है।
- व्रत के दिन क्रोध, कटु वचन बोलने से बचें।
- व्रत के दौरान मन को शांत और पवित्र रखना चाहिए।
- व्रत के दिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करती हैं और मेहंदी लगाती हैं, क्योंकि यह सुहाग का प्रतीक माना जाता है।
- हरे रंग को हरियाली तीज पर विशेष महत्व दिया जाता है. महिलाएं हरे वस्त्र और चूड़ियां पहनती हैं।
हरियाली तीज के दिन सुहागिन महिलाएं इस विधि से करें शिव-शक्ति की पूजा का महत्व
हरियाली तीज का पर्व मुख्य रूप से माता पार्वती और भगवान शिव के प्रेम, त्याग और मिलन को समर्पित है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए वर्षों तक कठोर तपस्या की थी। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें पत्नी के रूप में स्वीकार किया। कहा जाता है कि श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया को ही भगवान शिव ने माता पार्वती को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया था, जिससे उनका मिलन हुआ। इसी कारण सुहागिन महिलाएं इस दिन व्रत रखती हैं और शिव-शक्ति की पूजा करती हैं, ताकि उन्हें भी माता पार्वती जैसा अखंड सौभाग्य प्राप्त हो और उनके पति की लंबी उम्र हो। कुंवारी कन्याएं भी अच्छे वर की प्राप्ति के लिए यह व्रत करती हैं।
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Image Credit- HerZindagi
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