हिंदू धर्म के पवित्र ग्रंथों में से एक है श्रीमद्भगवद्गीता। इसे सभी ग्रंथों से उच्च स्थान प्राप्त है और इसमें कई ऐसी बातें बताई गई हैं जो आपके जीवन जीने के तरीके को ही बदल सकती हैं। गीता में भगवान कृष्ण का ज्ञान आज भी लोगों को आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है। गीता के श्लोक जीवन के हर पहलू धर्म, कर्म, कर्तव्य, आत्मा, भक्ति और मोक्ष के गहन रहस्यों को उजागर करते हैं। इसी वजह से गीता को केवल धार्मिक ग्रंथ नहीं समझा जाता है बल्कि जीवन को अच्छी तरह से प्रबंधन करने का निर्देशक भी कहा जाता है। आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में जब व्यक्ति तनाव और दुविधाओं से घिरा रहता है, तब गीता के कई श्लोक प्रेरणा का स्रोत बनते हैं। ये श्लोक हमें कठिन परिस्थितियों में सही निर्णय लेने और धैर्य बनाए रखने की भी प्रेरणा देते हैं। अगर आप भी गीता के कुछ श्लोकों से सफल जीवन की प्रेरणा लेना चाहती हैं, तो यहां पढ़ें ऐसे ही कुछ श्लोक।
श्रीमद्भगवद्गीतागीता श्लोक (Bhagwat Geeta Shlok in Sanskrit)
1- योगस्थः कुरु कर्माणि सङ्गं त्यक्त्वा धनञ्जय।
सिद्ध्यसिद्ध्योः समो भूत्वा समत्वं योग उच्यते।।
योगस्थः कुरु कर्माणि संगं त्यक्त्वा धनंजय
सिद्धयसिद्ध्योः समो भूत्वा समत्वं योग उच्यते
2-तं विद्याद् दुःखसंयोगवियोगं योगसंज्ञितम्।
स निश्चयेन योक्तव्यो योगोऽनिर्विण्चेतसा।।
तं विद्याद् दुःखसंयोगवियोगं योगसंज्ञितम्
सा निश्चयेन युक्तव्यो योगोनिर्विणचेतसा
3-मन्मना भव मद्भक्तो मद्याजी मां नमस्कारु।
मामेवैष्यसि सत्यं ते प्रतिजाने प्रियोऽसि मे ॥
मन्मना भव मद्भक्तो मद्याजी मां नमस्कुरु
मामेवैष्यसि सत्यं ते प्रतिजने प्रियोऽसि मे
4- न हि ज्ञानेन सदृशं पवित्रमिह विद्यते।
तत्सस्वयं योगसंसिद्धः कालेनात्मनि विन्दति॥
न हि ज्ञानेन सदृशं पवित्रमिहा विद्यते
तत्स्वयं योगसंसिद्धः कालेनात्मनि विन्दति
5-वेदाविनाशिनं नित्यं य एनमजमव्ययम्।
कथं स पुरुषः पार्थ कं घातयति हन्ति कम्॥
वेदविनाशिनां नित्यं या एनामजमव्ययम्
कथं स पुरुषः पार्थ कं घटयति हन्ति कम
6- ज्ञानेन तु तदज्ञानं येषां नाशितमात्मनः।
तेषामादित्यवज्ज्ञानं प्रकाशयति तत्परम् ॥
ज्ञानेन तु तदज्ञानं येषां नाशितामात्मनः
तेषामादित्यवज्ज्ञानं प्रकाशयति तत्परम्
7- नैनं छिन्दन्ति शस्त्राणि नैनं दहति पावकः।
न चैनं क्लेदयन्त्यापो न शोषयति मारुतः।
8- कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि॥
कर्मण्येव अधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन
मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि
9-यद्यदाचरति श्रेष्ठस्तत्तदेवेतरो जनः।
स यत्प्रमाणं कुरुते लोकस्तदनुवर्तते।।
यद् यद् आचरति श्रेष्ठस् तत् तद इवेतरो जनः
स यत् प्रमाणं कुरुते लोक तद् अनुवर्तते
भगवत गीताकोट्स (Bhagavad Gita Quotes )
1-जो हुआ, वह अच्छा हुआ,
जो हो रहा है, वह भी अच्छा हो रहा है,
और जो होगा, वह भी अच्छा ही होगा ।
2- क्रोध से भ्रम उत्पन्न होता है,
मोह से स्मृति का नाश होता है,
स्मृति के नष्ट होने से बुद्धि भ्रष्ट हो जाती है,
जब बुद्धि नष्ट हो जाती है,
तो मनुष्य पूरी तरह से विनाश की ओर चला जाता है।
3-जो श्रद्धावान होता है,
जो ज्ञान प्राप्ति के लिए तत्पर रहता है,
जिसने अपनी इंद्रियों को संयम में रखा है,
उसे ज्ञान की प्राप्ति होती है।
4-जिसने मन पर विजय प्राप्त कर ली है,
उसके लिए मन सबसे अच्छा मित्र है,
जो ऐसा करने में असफल रहा,
उसका मन ही सबसे बड़ा शत्रु बना रहेगा।
5- अहंकार से मुक्ति पाकर व्यक्ति अपने वास्तविक स्वरूप को पहचान सकता है।
6- अपने धर्म का पालन करना ही सबसे बड़ा धर्म है।
7- हर व्यक्ति अपने कर्तव्यों से बंधा हुआ है।
अपने कर्तव्यों का पालन करें, यह श्रेष्ठ मार्ग है।
गीता में लिखे ये श्लोक आप सभी के जीवन को नई प्रेरणा देने में मदद कर सकते हैं और आपकी सफलता की ओर ले जाते हैं। आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर शेयर और लाइक जरूर करें। इसी तरह और भी आर्टिकल पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी से। अपने विचार हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।
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