साल 2025 में सावन का महीना 11 जुलाई से शुरू हो रहा है और इसका समापन 9 अगस्त को रक्षाबंधन के साथ होगा। सावन का महीना और खासकर सावन सोमवार भगवान शिव और माता पार्वती की विशेष पूजा-अर्चना के लिए समर्पित होते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस पवित्र महीने में जो भक्त सच्चे मन से भगवान शिव की आराधना और सोमवार का व्रत करते हैं उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और घर में सुख-समृद्धि आती है।
माता पार्वती ने भी भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए सावन में ही कठोर तपस्या और सोमवार का व्रत किया था, इसलिए अविवाहित कन्याओं के लिए अच्छे वर की कामना हेतु और विवाहित महिलाओं के लिए सुखी वैवाहिक जीवन के लिए यह व्रत बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस बार सावन में 4 सोमवार पड़ेंगे। ऐसे में ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से आइये जानते हैं कि सावन का पहला सोमवार कब पड़ रहा है, क्या है इस दिन पूजा एवं जलाभिषेक का शुभ मुहूर्त।
सावन का पहला सोमवार 2025 कब है?
सावन का पहला सोमवार 14 जुलाई को पड़ रहा है। सूर्योदय से शुरू होकर सूर्यास्त तक भक्तों द्वारा सावन सोमवार की पूजा चलेगी एवं व्रत का पालन किया जाएगा।
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सावन के पहले सोमवार पर जलाभिषेक का शुभ मुहूर्त क्या है ?
सावन के पहले सोमवार के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की विशेष पूजा-अर्चना के लिए कई शुभ मुहूर्त बन रहे हैं।शिवलिंग जलाभिषेक के लिए सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त प्रदोष काल का है जो शाम 5:38 से 7:22 बजे तक रहे वाला है।सावन के पहले सोमवार पर स्नान एवं भगवान शिव के ध्यान के लिए ब्रह्म मुहूर्त सुबह 04:02 बजे से सुबह 04:43 बजे तक है।
वहीं, भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा के लिए प्रीति योग सुबह 10 बजे से रात 10:30 बजे तक रहेगा। इसके अलावा, पूजा के लिए दूसरा मुहूर्त जो कि अभिजीत मुहूर्त है वह दोपहर 12:05 से 12:58 तक है। सावन के पहले सोमवार पर अन्य योग भी हैं।
सावन के पहले सोमवार पर आयुष्मान योग दोपहर 12:18 बजे से 1:51 बजे तक है, सुकर्मा योग दोपहर 1:43 बजे से 2:33 बजे तक है, शोभन और सर्वार्थ सिद्धि योग दोपहर 2:37 बजे से शाम 4:58 बजे तक है।
इन योगों में आप दान-पुण्य कर सकते हैं। भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा के लिए शाम के मुहूर्त शिव योग में बन रहा है जो शाम 5:19 बजे से 7:11 बजे तक रहेगा।
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सावन का पहला सोमवार 2025 महत्व
सावन सोमवार का व्रत रखने से भगवान शिव और माता पार्वती की विशेष कृपा मिलती है। मान्यता है कि यह व्रत रखने से जीवन में सुख, शांति, धन-समृद्धि आती है और सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
खासकर अविवाहित कन्याओं को मनचाहा जीवनसाथी मिलता है और विवाहित महिलाओं के वैवाहिक जीवन में खुशहाली आती है। यह व्रत रोगों से मुक्ति, संतान सुख और अकाल मृत्यु के भय को दूर करने में भी सहायक माना जाता है।
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