क्या घर से बाहर जाते समय मीठा खाना होता है अशुभ? जानें इसके पीछे का सच

हिंदू धर्म में किसी भी शुभ काम को करने से पहले या फिर बाहर जाने से पहले कुछ मीठा खाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। अब ऐसे में सवाल है कि ज्योतिष के लिहाज से इसे शुभ माना जाता है कि नहीं। आइए इस लेख में विस्तार से जानते हैं। 
eating sweets while going outside home is good or bad

सनातन धर्म में किसी भी शुभ कार्य या यात्रा पर निकलने से पहले मीठा खाना एक शुभ शगुन माना जाता है। यह माना जाता है कि मीठा खाने से कार्य निर्विघ्न रूप से संपन्न होता है और सफलता मिलती है। मीठा स्वाद मन को प्रसन्न और शांत करता है। यह माना जाता है कि घर से मीठा खाकर निकलने से नकारात्मक विचार दूर होते हैं और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। यह परंपरा सदियों से चली आ रही है। लेकिन कुछ मान्यातओं के अनुसार, ऐसा कहा जाता है कि केवल मीठा खाना ही उचित नहीं है। इसके साथ पानी पीने की भी मान्यता है। इसे लेकर ज्योतिष का क्या कहना है। इसके बारे में आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।

घर से बाहर जाते समय मीठा खाने के साथ जरूर पीएं पानी

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ज्योतिष में राहु ग्रह को एक अशुभ ग्रह माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि मीठा खाने और पानी पीने से राहु का नकारात्मक प्रभाव कम होता है और यात्रा या कार्य में सफलता मिलती है। किसी भी कार्य की शुरुआत मीठे से करना भारतीय संस्कृति में शुभ माना जाता है। बाहर जाते समय मीठा खाना एक अच्छी और सकारात्मक शुरुआत का प्रतीक है। साथ ही जल भी पीने की मान्यता है। क्योंकि जल का संबंध मन से है। पानी पीने से शरीर में शीतलता बनी रहती है, जो बाहर की गर्मी और नकारात्मक ऊर्जा से बचाव करती है। इसलिए अगर आप जब भी बाहर जा रहे हैं तो मीठा खाने के साथ-साथ पानी जरूर पीएं।

ज्योतिष शास्त्र में मीठा और जल का संबंध

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ज्योतिष शास्त्र में जल का मुख्य कारक ग्रह चंद्रमा माना जाता है। चंद्रमा मन, भावनाएं और शीतलता का प्रतीक है। शुक्र ग्रह को मिठास, सौंदर्य का कारक माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि जीभ के मीठे स्वाद का संबंध चंद्रमा से होता है। मीठे स्वाद को बृहस्पति से भी जोड़ा जाता है, जो ज्ञान, वृद्धि और शुभता का कारक है। सूर्य को जल अर्पित करते समय उसमें कभी-कभी चीनी या गुड़ मिलाया जाता है। यह सूर्य को मजबूत करने और जीवन में मधुरता लाने का उपाय माना जाता है। इतना ही नहीं चंद्रमा को शांत करने के लिए दूध या पानी से भरे बर्तन को रात में सिरहाने रखकर सुबह बबूल के पेड़ में डालने का विधान है। साथ ही मीठा बृहस्पति का कारक है और जल शुक्र ग्रह का कारक है। इसलिए यह दोनों ही एक दूसरे के पूरक माने जाते हैं। इसलिए मीठा खाने के साथ-साथ पानी पीने की भी मान्यता है।

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Image Credit- HerZindagi

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